के. पी. सिंह डीएलएफ समूह के अध्यक्ष हैं और उन्हों ने भारत के अचल संपत्ति के कारोबार को एक नया रूप दिया है। उनका जन्म 15 अगस्त 1931 को हुआ था। उनका जन्म स्थान बुलंद शहर है, जो कि उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। उन्होंने मेरठ कॉलेज से विज्ञान से स्नातक किया और वैमानिकी इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के लिए अमेरिका चले गए। उसके बाद देहरादून की भारतीय सैन्य अकादमी में शामिल होने के लिए भारत लौट आए।

उसके बाद के. पी. सिंह अमेरिकन यूनिवर्सल कंपनी में शामिल हो गए, जो ओवोसो, मिशिगन की यूनिवर्सल इलेक्ट्रिक कंपनी और के. पी. सिंह के परिवार के बीच एक संयुक्त उद्यम है। बाद में उन्होंने फिलाडेल्फियन कंपनी ईएसबी इंक के सहयोग से विलार्ड इंडिया लिमिटेड की स्थापना की। वह वर्ष 1979 में डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक बने।

के. पी. सिंह की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने एक बंजर गाँव गुड़गांव को भारत के पसंदीदा अचल सम्पति वाले शहर में बदल दिया। पूरे भारत में वर्तमान समय में डीएलएफ की 100 मिलियन वर्ग फुट जमीन है, जो कि आवासीय, वाणिज्यिक और खुदरा परियोजनाओं के लिए विकसित की जा रही है। उनका दिल्ली में 21 कालोनियों के निर्माण कार्य का उत्कृष्ट रिकॉर्ड है और दिल्ली के पड़ोसी क्षेत्रों में, इसकी तुलना में अभी छह दशक का अंतराल देखने को मिलता है।

के. पी. सिंह कई व्यवसायिक संगठनों से जुड़े हुए हैं। वह एसोचैम (एसोसिएटेड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष भी रहे हैं। वह वाणिज्य एवं उद्योग के पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वर्तमान में, वह केंद्रीय बोर्ड के पद पर और भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक, कौन्सल जनरल, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की कार्यकारी समिति के सदस्य, योजना और आवास के लिए पूर्वी क्षेत्रीय संगठन (ईआरओपीएच) परिषद सदस्य, नेशनल एस्टेट विकास परिषद (एनएआरईडीसीओ) के संस्थापक सदस्य, आर्थिक नीति और सुधार परिषद के सदस्य, राजस्थान सरकार और गवर्नर्स बोर्ड के सदस्य और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दुर्गापुर के संस्थापक भी हैं।

दिल्ली में असाधारण योगदान के लिए उन्हें दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से ‘दिल्ली रत्न’ पुरस्कार भी मिला है।

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