अभिनेता किशोर कुमार भारतीय सिनेमा में बहुमुखी प्रतिभा के एक मशहूर गायक थे। किशोर कुमार बेमिसाल पार्श्व गायक के अलावा एक अनोखे कॉमेडियन (हास्य कलाकार), एक सुप्रसिद्ध संगीतकार, एक आदर्श निर्देशक और एक संवेदनशील गीतकार थे। किशोर कुमार की गायिकी में इतना महत्वपूर्ण योगदान रहा है कि मृत्यु के 29 साल बाद भी उन्हें बहुत प्रशंसा और सम्मान के साथ याद किया जाता है।

व्यक्तिगत जीवन

किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में आभास कुमार गांगुली के रूप में हुआ था। किशोर कुमार के पिता कुंजीलाल गांगुली एक वकील थे और माँ गौरी देवी एक गृहणी थी। किशोर कुमार अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।

किशोर कुमार ने चार शादियाँ की थी। किशोर कुमार की पहली पत्नी रुमा गुहा ठाकुर उर्फ रुमा घोष, जोकि एक प्रसिद्ध गायिका थीं। उनकी शादी वर्ष 1950 से 1958 तक, सिर्फ आठ वर्षों तक ही चली। वर्ष 1960 में किशोर कुमार ने मधुबाला से शादी कीऔर मधुबाला से शादी करने के लिए उन्होंने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया और उनका नाम बदलकर करीम अब्दुल हो गया। वर्ष 1969 में मधुबाला का निधन हो गया और उनकी शादी समाप्त हो गई। किशोर कुमार ने तीसरी शादी योगिता बाली से की थी, जो वर्ष 1976 से 1978 तक सिर्फ दो साल ही चली। किशोर कुमार की चौथी पत्नी लीना चंदावरकर थी, जो उनके जीवन के आखिरी दिनों तक उनके साथ रही थी।

कैरियर

जब किशोर कुमार कॉलेज में पढ़ाई करते थे, तब उनके बड़े भाई अशोक कुमार पहले से ही एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। किशोर कुमार ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, फिल्म उद्योग में अपना कैरियर बनाने का फैसला किया। जब किशोर कुमार छोटी भूमिकाएं कर रहे थे, तो प्रसिद्ध संगीत निर्देशक खेम चंद प्रकाश ने उनकी गायन प्रतिभा को देखा था। उन्होंने किशोर कुमार में छिपी गायन प्रतिभा को एक नया रूप देने की कोशिश की। बाद में एसडी बर्मन के साथ मिलकर किशोर कुमार ने गीत गाए। किशोर कुमार ने खुद को आगामी हास्य अभिनेता के रूप में जगह बनाई और वर्ष 1958 में किशोर कुमार ने फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ का निर्माण और निर्देशन किया। यह एक ब्लॉकबस्टर फिल्म थी। किशोर कुमार ने आखिरकार नंबर एक के हास्य अभिनेता के रूप में खुद को स्थापित कर लिया था।

किशोर कुमार ने लगातार असफल फिल्मों (वर्ष 1968, फिल्म पड़ोसन को छोड़कर) के कारण एक करियर के रूप में अपने अभिनय को छोड़ने का फैसला किया और इसके अलावा उन्होंने पार्श्व गायन पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उसके बाद एक गायक के रूप में उन्हें एक बड़ा फिल्म आराधना के गीत ‘मेरे सपनो की रानी’  को गाने का मौका मिला और यह गीत पूरे राष्ट्र में बहुत ज्यादा प्रचलित हुआ। उनके कुछ गीत इतने उत्कृष्ट हो गए कि स्टार कलाकार को भी इन गीतों में अभिनय करना मुश्किल हो जाता था। लगभग सभी प्रसिद्ध निर्देशक, संगीत निर्देशक, संगीत कंपनियां और निर्माता इनके गीतों के भरोसे हिट होने पर निर्भर रहते थे। किशोर कुमार का गायन दिल को छू लेने वाला और इतना भावपूर्ण था, जिसने एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायक, मो. रफी को दूसरे स्थान पर पहुँचा दिया था। वर्ष 1987 में अपनी अकाल मृत्यु से पहले तक, किशोर कुमार ने अपनी मधुर आवाज और अतुलनीय शैली से खुद को नंबर वन स्थान पर बरकरार रहे।

पुरुस्कार और उपलब्धियाँ

किशोर कुमार ने लोकप्रिय गीतों के लिए फिल्म फेयर पुरुस्कार जीता उनमें से कुछ हैं:

  • 1970 में, फिल्म आराधना “रूप तेरा मस्ताना”
  • 1976 में, फिल्म अमानुष “दिल ऐसा किसी ने मेरा”
  • 1979 में, फिल्म डॉन “खइके पान बनारस वाला”,
  • 1981 में, फिल्म थोड़ी सी बेवफाई “हजार राहें मुड़के देखें”
  • 1983 में, फिल्म नमक हलाल “पग घुंघरू बाँध”
  • 1984 में, फिल्म अगर तुम ना होते “अगर तुम ना होते”
  • 1985 में, फिल्म शराबी “मंजिलें अपनी जगहहै”
  • 1986 मे, फिल्म सागर “सागर किनारे”

इसके अलावा, किशोर कुमार ने कई बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन पुरुस्कार जीते, जिनमें कुछ शामिल हैं।

  • आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक, 1971
  • अंदाज के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक, 1972
  • हरे राम हरे कृष्णा के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक, 1973
  • कोरा कागज के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक, 1975
 

संबंधित लोग   

संगीत निर्देशक

 

बॉलीवुड गायक
आदेश श्रीवास्तव ए. आर. रहमान आशा भोंसले
अभिजीत सावंत लता मंगेशकर लकी अली
सोनू निगम मोहम्मद रफी किशोर कुमार
एस. जानकी
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