पृथ्वीराज कपूर भारतीय थियेटर और हिंदी फिल्म उद्योग के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। इस आकर्षक नायक ने अपने दिलकश व्यक्तित्व के साथ 40 वर्षों तक फिल्म उद्योग पर राज्य किया। इनका जन्म 3 नवंबर 1906 को पाकिस्तान में पेशावर के एक मध्यम वर्गीय लेंडलार्ड परिवार में हुआ था। उनके पिता दीवान बशेस्वरनाथ कपूर एक पुलिस अधिकारी थे। उनकी शादी रामा कपूर से हुई और उनके तीन बेटे राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर थे, ये सभी बॉलीवुड के अभिनेता हैं। पृथ्वीराज कपूर ने लायलपुर और लाहौर से अपनी पढ़ाई पूरी की। एक वर्षतकलॉ (कानून) की पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और फिल्मों में शामिल होने के लिए 1929 में बॉम्बे (मुंबई) चले गए। पृथ्वीराज कपूर ग्रांट एंडरसन रंगमंच कंपनी के अलावा, अंग्रेजी में शेक्सपियर के नाटकों में प्रदर्शन किया।

हेमलेट नाटक में लार्ट्स  भूमिका के लिए उन्होंने पुरस्कार जीता। 1933 में, वह कलकत्ता के न्यू थिएटर में शामिल हो गए, जोकि उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने न्यू थिएटर में कुछ शानदार फिल्में की जैसे मंजिल (1936), प्रेसिडेंट (1937) और विद्यापति (1937) आदि में अभिनय किया। उन्होंने 1941 में सोहराब मोदी की ‘सिकंदर’ में मुख्य भूमिका निभाई थी। सिकंदर महान के जीवन पर  आधारित  इस महाकाव्य फिल्म  में  उनके  द्वारा  निभाई गई  भूमिका के लिए अभी भी उनको याद  किया जाता है। 1960 में उन्होंने एक और ऐतिहासिक फिल्म मुगल-ए-आजम में अभिनय किया और मुगल शासक अकबर की  भूमिका निभाई थी।

पृथ्वीराज कपूर ने सन् 1944 में पृथ्वी थिएटर, हिंदुस्तान का पहला व्यवसायी थिएटर की स्थापना की। 16 वर्षों की अवधि में पृथ्वी थिएटर ने कुछ 2,662 शो (नाटक)  दिखाए। थिएटर के हर शो (नाटक) में पृथ्वीराज कपूर ने  प्रमुख भूमिका  निभाई। पृथ्वी  थिएटर ने रामानंद सागर, शंकर-जयकिशन और राम गांगुली जैसी कई महत्वाकांक्षी प्रतिभाएं प्रस्तुत की। ये महान अभिनेता थिएटर और फिल्म दोनों में सफल रहें। उनकी प्रमुख फिल्में वी. शांताराम की ‘दहेज’, राज कपूर की ‘आवारा’ (1951), आसमान महल (1965), तीन बहूरानियां (1968),कल आज और कल (1971) और पंजाबी  फिल्म ‘नानक नाम जहाँ है’ (1969) आदि  शामिल हैं। उन्होंने ‘पैसा’ नामक फिल्म का निर्देशन करते हुए अपनी आवाज खो दी, जिसके परिणाम स्वरूप पृथ्वी थिएटर बंद हो गया और उन्होंने फिल्मों करनी छोड़ दी।

इस महान व्यक्ति का निधन 29 मई 1972 में हो गया। भारत सरकार ने 1969 में पृथ्वीराज  कपूर को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। भारतीय सिनेमा में उनके अद्वितीय योगदान के लिए, इन्हें मरणोपरांत 1971 में दादा साहब फाल्के  पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बाद में पृथ्वी थिएटर को उनके पुत्र शशि कपूर ने उनके सम्मान में पुनर्जीवित किया।

 

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