छत्रपति शिवाजी प्रसिद्ध मराठा राजा थे जिनमें मुगल शासन के विशाल सागर के खिलाफ अकेले खडे होने का साहस था। हालांकि उनका मूल नाम शिवाजी भोसले था, अपने नेतृत्व की छाँव तले उन सब को सुरक्षित आश्रय के तहत रक्षा के लिए उनकी निडर क्षमता के लिए उनके शासनाधीनों ने प्यार से उन्हें ‘क्षत्रिय के मुख्यमंत्री‘ ‘या छत्रपति‘ के शीर्षक से नवाजा था।
19 फरवरी 1680 को शिवनेरी किले में एक बहादुर मराठा रीजेंट शाहजी राजे और एक समर्पित मां जीजाबाई के घर शिवाजी का जन्म हुआ था। शिवाजी उन 96 मराठा कुलों के वंशज थे बहादुर सेनानियों या ‘क्षत्रिय‘ के रूप में जाने जाते थे।

एक 16 वर्ष का नौजवान लड़का जंग जीतने के लिए नहीं जाना जाता, किन्तु उनकी माता की सीख, पिता का संघर्ष एवं मातृभूमि पर गर्व ने एक काबिल योद्धा और नेता के तौर पर शिवाजी को उनका पहली उब्लब्धि दी तोरण किले पर कब्ज़े के रूप में जो आरम्भ में बीजापुर शासन के आधीन था। इस अभिज्ञान के साथ उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
बीजापुर के सुल्तान के सेनापति अफज़ल खान के विरुद्ध प्रतापगढ़ के संग्राम ने उन्हें एक महत्वपूर्ण सफलता दिलवायी जिसने उन्हें रातोंरात मराठों का नायक बना दिया। उन्होंने नियोजन, गति और उत्कृष्ट रणकौशल के माध्यम से यह जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने बीजापुर के सुल्तान के खिलाफ अनेको लड़ाइयाँ लड़ी जैसे की कोल्हापुर की लड़ाई, पवन खिंड की लड़ाई, विशालगढ़ की लड़ाई और अन्य कई लड़ाइयाँ।

छत्रपति शिवाजी सबसे प्रसिद्ध हैं औरंगज़ेब के शासन के दौरान शक्तिशाली मुगल साम्राज्य को चुनौती देने के लिए। हालांकि सम्राट औरंगजेब ने शिवाजी के अधीन सभी किलों और क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश की, वह शिवाजी के चतुर नेतृत्व के गुणों और गुरिल्ला रणनीति के कारण ज्यादा सफलता हासिल नहीं कर सका। लेकिन सम्राट द्वारा भेजे गए बहादुर हिन्दू जनरल जय सिंह के कारण शिवाजी के सफल उद्यम में एक अस्थायी ठहराव आया था। इस पर, शिवाजी ने मुगल सम्राट के साथ बातचीत करने का फैसला किया और उसके बाद से जो इतिहास में लोकप्रिय है वह है शिवाजी की एक आश्चर्यजनक ढंग से आगरा से बचने की यात्रा, जहां औरंगजेब ने उन्हें कैद रखा गया था। हालांकि इस घटना के बाद शिवाजी कुछ समय के लिए निष्क्रिय बने रहे; वह सिंहगढ़ की लड़ाई के साथ वर्ष 1670 में उन्होंनेफिर मुग़लो के खिलाफ परचम लहराया। इस जीत के बाद जल्द ही 6 जून, 1674 को मराठों के राजा के रूप में उनका अभिषेक किया गया था। उनके समर्पित शासन के तहत, छोटे से स्वतंत्र राज्य ‘हिंदवी स्वराज‘ ने उत्तरदक्षिणी भारत से पूर्व तक एक बड़ा राज्य बनने की यात्रा आरंभ की।

हालांकि उनके निजी जीवन के बारे में ज़्यादा ज्ञात नहीं है सिवाय इसके कि उन्होंने साईबाई, सोयराबाई, काशीबाई,पुतळाबाई, और सगुनाबाई से विवाह किया था और उनके दो बेटे और तीन बेटियां थीं, उनका नाम नेपोलियन, जूलियस सीजर और स्वीडन के राजा गुस्तावस एडोल्फस की तुलना में है, जो सभी अपने अपने सन्दर्भ में महान शासक थे। उन्होंने कैबिनेट, विदेशी मामलों, आंतरिक खुफिया इत्यादि के रूप में आधुनिक प्रशासनिक अवधारणाओं को शामिल किया और एक सुप्रशिक्षित सेना की कमान संभाली। इसके अलावा, वह एक ऐसे राजा थे, जो सभी धर्मों और भाषाओं के प्रति सहिष्णुता थे। वह अपने आप में संस्कृत और मराठी में कुशल थे, और सभी प्रकार की कलाओं में प्रतिभावान थे।

लंबी बीमारी के चलते 1680 में शिवाजी ने दम तोड़ दिया और उनके साम्राज्य को उनके बेटे संभाजी ने संभाल लिया। लेकिन इससे सभी भारतीयों के मन पर उनकी छोड़ी छाप को कोई नहीं मिटा पाया। छत्रपति शिवाजी का नाम हमेशा लोकगीत और इतिहास में एक महान राजा के रूप में लिया जायेगा जिसका शासन एक स्वर्ण युग था, जिसने भारत की आज़ादी का रास्ता साफ़ करते हुए स्वतंत्रता की राह दिखायी।

शिवाजी के बारे में तथ्य और जानकारी

पूरा नाम शिवाजी भोंसले
जन्म  दिवस फरवरी 19, 1630 (बहस का विषय) को पुणे के नज़दीक शिवनेर किले में (भारत)
देहांत अप्रैल 3, 1680 को पुणे के रायगढ़ किले में
राज्यकाल 1674-1680 ईस्वी
राज्याभिषेक जून 6, 1674
उत्तराधिकारी संभाजी
पिता शाहजी भोंसले
माता जीजाबाई
सौतॆला भाई इकोजी 1
धर्म हिन्दू
पुत्र संभाजी भोंसले, राजाराम भोंसले
पुत्रियाँ सखुबाई निम्बालकर,रानोबाई जाधव, अंबिकाबाई महाणिक, राजकुमारीबाई शिर्के
सहचारी साईबाई (निंबालकर)
पत्नियां सोयराबाई (मोहिते), पुतळाबाई (पालकर), सकवरबाई (गायकवाड़), काशीबाई (जाधव)
सम्बन्ध में शिवाजी भोंसले 17वी शताब्दी में भारत के महान योद्धा थे। उन्होंने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाकर एक स्वतंत्र मराठा साम्राज्य के विकास का नेतृत्व किया।
शिक्षा तारीख-ए-शिवाजी के अनुसार, एक विश्वसनीय दोस्त दादोजी कोंडदेव ने शिवाजी को स्वयं प्रशिक्षण दिया था। जल्द ही शिवाजी एक बेहतरीन योद्धा और एल कुशल घुड़सवार बन गये। शिवाजी को कान्होजी जेधे और सेनापति बाजी पासलकर ने मार्शल-आर्ट का प्रशिक्षण दिया था। उन्होंने गोमाजी नाईक पनसम्बल से तलवारबाज़ी सीखी थी।
सिपाही अपने राज्य की रक्षा हेतु, शिवाजी ने 100,000 सिपाहियों की सेना का गठन किया और अंतर्देशीय और तटीय दोनों किलों का निर्माण किया
अफजल खान के साथ मुकाबला 1659 में एक अनुभवी और कुशल सेनापति अफज़ल खान को शिवाजी को नष्ट करने के लिए भेजा गया।, शिवाजी को जंग के मैदान तक घसीटने की मंशा के साथ, जहां बीजापुर की सेना शिवाजी पर आक्रमण कर सके, अफज़ल खान ने तुलजापुर और पंढरपुर में मंदिरों का विध्वंस करना शुरू कर दिया। हालांकि शिवाजी ने पत्र लिखकर अफज़ल खान से समझौते की दरख़्वास्त की।, जंग में शिवाजी की सेना द्वारा अफज़ल खान गंभीर रूप से ज़ख़्मी हो गया जिसके बाद शिवाजी की छिपी सेना ने बीजापुर पर हमला बोल दिया।
प्रतापगढ़ की लड़ाई 10 नवम्बर 1659 को शिवाजी के बलों ने प्रतापगढ़ की लड़ाई में बीजापुरी सल्तनत को पराजित कर दिया।, बीजापुर सेना के 3,000 से अधिक सिपाही मारे गये। साथ ही अफज़ल खान के दो पुत्र भी बंदी बना लिए गए थे।
कोल्हापुर की लड़ाई 28 दिसम्बर 1659 को शिवाजी ने कोल्हापुर के पास बीजापुरी बलों पर हमला बोल दिया और उन्हें पराजित कर दिया।
मुगलों के साथ संघर्ष मार्च 1657 में शिवाजी के अधिकारियों ने अहमदनगर के पास मुगल इलाके में छापा मारा, जिसके बाद शिवाजी और मुगलों के बीच संघर्ष शुरू हो गया। जुन्नर में छापे मारे,गये जिसके दौरान शिवाजी ने 300,000 हुन और नकद 200 घोड़े इकट्ठा किये। जवाब में, औरंगजेब ने नासिरी खान को भेजा जिसने अहमदनगर में शिवाजी की सेना को परास्त कर दिया।
चकन की लड़ाई मुग़ल और मराठा सल्तनत के बीच लड़ी गयी चकन की लड़ाई 1660 में लड़ी गयी। औरंज़ेब ने 150,000 की सेना के साथ शाइस्ता खान को शिवाजी पर आक्रमण करने का आदेश दिया। आखिर में पुणे और चाकन का किला मुग़लो के कब्ज़े में आ गये।, हालांकि, बाद में मराठा किले को वापस हासिल करने में कामयाब रहे और शाइस्ता खान वापस आगरा लौट गया।
पुरंदर की संधि (1665) 11 जून 1665 को पुरंदर की संधि में राजपूत शासक जयसिंह 1, मुगल साम्राज्य के कमांडर और छत्रपति शिवाजी महाराज के द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। जय सिंह ने धोखे से पुरंदर किला हड़प लिया और शिवाजी को समझौते पर हस्ताक्षर करने पड़े।
आगरा में गिरफ़्तारी और पलायन 1666 औरंगज़ेब ने शिवाजी को आगरा आने का निमंत्रण दिया। औरंगजेब शिवाजी को कंधार भेजकर मुगल साम्राज्य के पश्चिमोत्तर सीमांत को मजबूत करना चाहता था। हालाँकि, शिवाजी ने इसे अपना अपमान माना और दरबार से चले गये। परिणामस्वरूप शिवाजी को बंदी बना लिया गया। जैसे ही शिवाजी को औरंगज़ेब के उनकी हत्या के इरादे के बारे में ज्ञात हुआ, उन्होंने अपने भागने की योजना बनाई।
नेसारी की लड़ाई 1674 में तत्कालीन मराठाओं के सेनापति प्रतापराव गुजर ने आदिलशाही ज़नरल बहलोल खान और उसकी सेना को लड़ाई में परास्त कर दिया। प्रतापराव के सिपाहियों ने उनकी जलापूर्ति काट दी जिसके कारण बहलोल खान ने शांति के लिए कार्रवाई का निर्णय लिया। बाद में शिवाजी की चेतावनी के बावज़ूद प्रतापराव ने बहलोल खान को रिहा कर दिया।
दक्षिणी भारत में विजय अक्टूबर 1674 में, मराठों ने खानदेश पर छापा मारा, अप्रैल 1675 में बीजापुरी फोंडा पर कब्जा कर लिया,मध्य वर्ष में कारवार, और जुलाई में कोल्हापुर पर कब्ज़ा जमाया। नवंबर में मराठा नौसेना और जंजीरा के सिद्दी के बीच लड़ाई हुई।1676 के शुरुआत में, पेशवा पिंगले ने रामनगर के राजा के खिलाफ लड़ाई लड़ी। मार्च 1676 में,अथनि में शिवाजी ने छापा मारा और बाद में वर्ष में बेलगाम और वायेम  राइम भी उनके द्वारा घेर लिया गया था। 1676 के अंत में, वेल्लोर और जिंजी के आदिलशाही किलों पर भी शिवाजी द्वारा कब्जा कर लिया गया।
मृत्यु और उत्तराधिकार बुखार और पेचिश के कारण 5 अप्रैल, 1680 के आसपास 52 वर्ष की आयु में शिवाजी की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के तुरंत बाद, उनकी मौत के कारण के बारे में कई अफवाहें फ़ैल गयी। एक तरफ, मुसलमानोंका मत था कि जालना के जन मुहम्मद के एक अभिशाप के कारन शिवाजी की मृत्यु हो गई, वही कुछ मराठाओं का मानना था की उनकी दूसरी पत्नी सोयराबाई ने उन्हें जहर देकर मार डाला था क्योंकि वह अपने 10 साल के बेटे राजाराम को सिंहासन पर विराजमान करना चाहती थी।
किले जिस समय शिवाजी का साम्राज्य ढलान पर था, शिवाजी ने 360 किलों पर कब्ज़ा कर लिया था जिनमे से मुख्य थे कोंडना (सिंहगढ़), तोरण, मुरंबदेव, और पुरंदर। शिवाजी ने कुछ नए किलों का भी निर्माण किया था।
नौसैना ब्रिटिश, अबिसीनियाई, समुद्री डाकुओं, अरबों और पुर्तगाली से ज़मीनी और समुद्री व्यवसाय की रक्षा हेतु शिवाजी ने एक मजबूत नौसैनिक बल का गठन किया था। उन्होंने भंडारण और आश्रय के प्रयोजन से कई समुद्र किलों और अड्डों का भी निर्माण किया था।
फिल्में मी शिवाजीराजे भोसले बोलतोय
साहित्य साधन चिकित्सा, वासुदेव सीताराम बेंद्रे, शिवाजी, सेतु माधवराव पागड़ी  द्वारा रचित जीवनी, श्रीमान योगी, रंजीत देसाई, राजा शिवछत्रपती, बाबासाहेब पुरंदरे
कविता और संगीत कवी भूषण द्वारा शिवराज भूषण, रायगडाला जेव्हा जाग येते, वसंत कानेटकर, जाणता राजा, बाबासाहेब पुरंदरे
टेलीविजन वीर शिवाजी, एक टीवी श्रृंखला, राजा शिव छत्रपति, एक टीवी श्रृंखला

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