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वैदिक काल की महिलाएं अपनी अनुकरणीय बुद्धि और सर्वोच्च आध्यात्मिक गुणों के लिए प्रसिद्ध थीं। गार्गी उस समय की असाधारण महिलाओं में से एक थीं और वह एक प्रसिद्ध विद्वती के साथ-साथ एक प्रवर्तिका भी थीं।

गार्गी ऋषि वचक्नु की पुत्री थीं और बचपन से ही उनकी शिक्षाविदों के प्रति विशेष रुचि थी। गार्गी ने सभी के अस्तित्व की उत्पत्ति पर सवाल उठाते हुए कई भजनों की रचना की थी। जब विदेह के राजा जनक ने एक ‘ब्रह्मयज्ञ’- एक दार्शनिक बैठक का आयोजन किया था, तो उस यज्ञ में गार्गी की भागीदारी करने का अनुमान लगाया गया था। गार्गी ने ‘आत्माओं पर कई प्रश्न प्रस्तुत करके उस समय के सबसे बड़े ऋषि याज्ञवल्क्य को भी चुप करा दिया था।

उपनिषदों में भी गार्गी का उल्लेख किया गया है और उसमें उन्हें एक महान दार्शनिक के रूप में सम्मानित किया गया है।

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