राम प्रसाद बिस्मिल एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे, जो ऐतिहासिक (काकोरी कांड) काकोरी ट्रेन की लूटपाट में शामिल थे। राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म वर्ष 1897 में उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में हुआ था। राम प्रसाद बिस्मिल के पिता मुरलीधर शाहजहाँपुर नगर पालिका के एक कर्मचारी थे। राम प्रसाद ने अपने पिता से ही हिंदी भाषा सीखी थी और उन्हें उर्दू सीखने के लिए मौलवी के पास भेजा गया था। राम प्रसाद बिस्मिल एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला लेना चाहते थे, लेकिन उनके पिता इसके लिए राजी नहीं थे और उन्हें पिता की अस्वीकृति के बिना एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला मिल गया।

राम प्रसाद बिस्मिल आर्य समाज में शामिल हो गए और राम प्रसाद बिस्मिल कविताओं को लिखने में बहुत ही प्रतिभाशाली थे। राम प्रसाद की सभी कविताओं में अत्यधिक देशभक्ति की भावना की झलक देखने को मिलती है। राम प्रसाद बिस्मिल हमेशा से ही भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में देखना चाहते थे और इसलिए उन्होंने देश के लिए खुद को समर्पित कर दिया था। राम प्रसाद बिस्मिल के दल में अशफाकउल्ला खाँ, चंद्रशेखर आजाद, भगवती चरण, राजगुरू और कई अन्य स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे। राम प्रसाद बिस्मिल धर्म और राजनीति से संबंधित सलाह महान देशभक्त और विद्वान स्वामी सोमदेव जी से लिया करते थे।

राम प्रसाद बिस्मिल ब्रह्मचर्य के अभ्यास से काफी प्रेरित हुए और अपने स्वामी सोमदेव जी के एक प्रबल अनुयायी बन गए। राम प्रसाद बिस्मिल ने खुद को शाहजहाँपुर की स्वयं सेवा समिति के काम में लगा रखा था। राम प्रसाद बिस्मिल ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए ‘मेरा देशवासियों के लिए संदेश’ नामक एक पुस्तिका प्रकाशित की। राम प्रसाद ने कई बंगाली लेखों का भी हिंदी में अनुवाद किया है। उनके कार्यों में कुछ शामिल हैं।

  • बोल्शेविक कार्यक्रम
  • मन की शैली
  • स्वदेशी रंग
  • कैथरीन

राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा ऋषि अरबिंदो की योगिक साधना का अनुवाद किया गया था। राम प्रसाद बिस्मिल के ये सभी कार्य ‘सुशील माला’ नामक सीरीज में प्रकाशित हुए। राम प्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा गोरखपुर जेल की कोठरी में लिखी थी।

राम प्रसाद बिस्मिल ने 9 अगस्त 1925 को अपने साथियों के साथ मिलकर लखनऊ से काकोरी जाने वाली ट्रेन से ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटा था। इस लूटपाट में शामिल चंद्रशेखर आजाद को छोड़कर उस समूह के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया था। अन्य लोगों के साथ राम प्रसाद बिस्मिल को भी मौत की सजा सुनाई गई थी। 19 दिसंबर 1927 को भारत के इस महान स्वतंत्रता सेनानी को फाँसी दे दी गई थी।

राम प्रसाद बिस्मिल के बारे में जानने योग्य कुछ तथ्य और जानकारी

जन्म 11 जून 1897 को शाहजहाँपुर, संयुक्त प्राँत ब्रिटिश भारत
मृत्यु 19 दिसम्बर 1927 को गोरखपुर जेल, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत
धर्म हिन्दू
नागरिकता भारतीय
पिता मुरलीधर
माता मूलमती
दादा नारायण लाल
बारे में राम प्रसाद बिस्मिल एक भारतीय क्रांतिकारी थे। उन्होंने वर्ष 1918 के मणिपुरी षडयंत्र में और वर्ष 1925 में काकोरी कांड में सहभागिता निभाई थी।
उपनाम राम प्रसाद बिस्मिल ने अजीत, राम और बिस्मिल के नामों से हिंदी और उर्दू में कविताएं लिखीं।
राजनीतिक आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन
हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन राम प्रसाद बिस्मिल ने वर्ष 1928 में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और अन्य साथियों के साथ मिलकर नई दिल्ली के फिरोज शाह कोटला में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का निर्माण किया। बिस्मिल द्वारा वर्ष 1923 में पार्टी का गठन किया गया था।
काकोरी कांड बिस्मिल और उनके अन्य साथियोंने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ से काकोरी जा रही ट्रेन से सरकारी खजाने को लूटने का प्रयास किया था। उनका यह प्रयास असफल रहा था, जिसमें 40 क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया गया था।
जेल और मृत्यु राम प्रसाद बिस्मिल के साथ रोशन सिंह, अशफाक और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को 19 दिसंबर 1927 को फाँसी दे दी गई थी।
अंतिम-संस्कार बिस्मिल के शरीर का अंतिम संस्कार राजघाट में किया गया था।
शाहजहाँपुर में स्मारक शाहजहाँपुर की शहीद स्मारक समिति ने “अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल” नामक एक स्मारक का निर्माण शाहजहाँपुर शहर के मोहल्ला खिरनी बाग में किया था, जहाँ वर्ष 1897 में बिस्मिल का जन्म हुआ था।
शाहजहाँपुर जिले में स्टेशन भारत के उत्तरी रेलवे ने राम प्रसाद बिस्मिल के सम्मान में एक स्टेशन की स्थापना की।

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