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भारत में तैराकी (स्विमिंग) ने खेल आयोजन और सामान्य गतिविधियों दोनो के रूप में बहुत लोकप्रियता हासिल की है। तैराकी (स्विमिंग) सभी आयु समूह के लोगो को आकर्षित करती हैं। विशेष रूप से प्रतिस्पर्धी तैराकी (स्विमिंग) ओलंपिक में होने वाले आयोजनों का एक हिस्सा बन गया है।

स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) भारत की सर्वोच्च संस्था हैं जो कि तैराकी (स्विमिंग) के लिए पूरी तरह से समर्पित है।

आजादी के बाद, भारतीय तैराक अंतर्राष्ट्रीय तैराकी (स्विमिंग) प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं और भारत के लिए खिताब जीत रहे हैं। जिनमें खजान सिंह, मिहिर सेन और बुला चौधरी तैराक जैसे नाम सबसे प्रसिद्ध हैं। खजान सिंह ने 1986 में सियोल एशियाई खेलों में रजत पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था। बुला चौधरी और मिहिर सेन श्रेष्ठ तैराक थे, जिन्होंने लंबी दूरी तय करके विश्व के कोनों में अशांत रहने वाले समुद्रों को तैर कर उन पर विजय प्राप्त की।

मिहिर सेन प्रथम एशियाई होने के साथ-साथ प्रथम भारतीय थे, जिन्होंने 27 सितम्बर 1958 को 14 घंटे 45 मिनट में इंग्लिश चैनल को तैरकर पार किया था। मिहिर सेन हिंद महासागर, पाल्क स्ट्रेट, द स्ट्रेट ऑफ बोस्फोरस, द स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर और द स्ट्रेट ऑफ डार्डेनेल्स में तैरने वाले पहले व्यक्ति थे इनकी विशेषताएं गिनीज बुक ऑफ द वर्ल्ड में दर्ज हैं।

बुला चौधरी विश्व की पहली महिला तैराक थी, जो विश्व के सात समुद्रों को तैर चुकी हैं, इसलिए इन्हें सात समुद्रों की रानी के नाम से जाना जाता हैं। इन्होंने चौदह घंटे के भीतर पाल्क स्ट्रेट को पार किया था जो तमिलनाडु में तालीमन्नार, श्रीलंका से धनुषकोडी तक फैला हैं। बुला चौधरी ने द स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर को 3 घंटे 35 मिनट में तैर कर विश्व रिकॉर्ड बनाया था।

बुला चौधरी ने 1989 और 1999 में इंग्लिश चैनल को तैर चुकी हैं और इस तरह इंग्लिश चैनल को दो बार तैरने वाली प्रथम एशियाई महिला बनी थी।

 

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