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जितेन्द्र की जीवनी

भारतीय सिनेमा के मशहूर अभिनेता, जितेन्द्र का जन्म 7 अप्रैल 1942 को मुंबई में रवि कपूर के रूप में हुआ था। 1950 के दशक के अंत में वी. शांतराम ने उनको नवरंग (1959) और सेहरा (1963) फिल्मों में अभिनय करने का मौका दिया। लेकिन मुख्य भूमिका में उनका पहला ब्रेक, शांताराम की फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों ने’ (1964) में था।

उसके बाद से, जितेन्द्र ने 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। जितेन्द्र ने शोभा कपूर से शादी की है, उनका एक बेटा तुषार कपूर, जो बॉलीवुड अभिनेता हैं और एक बेटी एकता कपूर, जो फिल्म निर्माता है।

जितेन्द्र ने 1967 में रविकांत नागाइच की फिल्म ‘फर्ज’ से लोकप्रियता हासिल की, इस फिल्म ने गोल्डन जुबली मनाई थी। इसके बाद, जितेन्द्र एक स्टाइल आइकन बन गये, इस फिल्म में उनपर फिल्माया गया मोहम्मद रफी का गाया गीत ‘मस्त बहारों का मैं आशिक’ इतना हिट रहा कि उस गीत में उनकी टी शर्ट और उनके सफेद जूते उनकी पहचान बन गई। फर्ज (1967), हमजोली (1970) और कारवां (1 9 71) जैसी फिल्मों में उनके गहन और जीवंत नृत्य के लिए उन्हें ‘जंपिंग जैक ऑफ बॉलीवुड’ कहा जाता था।

जितेन्द्र की ऐतिहासिक फिल्मों में राजश्री के साथ ‘गीत गाया पत्थरों ने’ (1965), बबिता के साथ ‘फर्ज’ (1967), तनुजा के साथ ‘जीने की राह’ (1969), लीना चंदावरकर के साथ ‘हमजोली’ (1970), आशा पारेख के साथ ‘कारवां’ (1971), जया भादुरी के साथ ‘परिचय’ (1972), लीना चंदावरकर के साथ ‘विदाई’ (1974), हेमा मालिनी के साथ ‘खुशबू’ (1975), नीतू सिंह के साथ ‘धर्मवीर’ (1977), मौसमी चटर्जी के साथ ‘स्वर्ग नरक’ (1978), रेखा के साथ ‘जुदाई’ (1980), रीना रॉय के साथ ‘आशा’ (1980), श्रीदेवी के साथ ‘हिम्मतवाला’ (1983), श्रीदेवी और जया परदा के साथ ‘तोहफा’ (1984), भानूप्रिया के साथ ‘खुदगर्ज’ (1987) और कई अन्य शामिल हैं।

जितेंद्र ने हाल ही में अपनी बेटी एकता कपूर द्वारा निर्देशित और निर्मित लोकप्रिय टीवी धारावाहिक ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ में एक बूढ़े आदमी की भूमिका निभाई थी। 2002 में, जितेंद्र को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया

Categories: Entertainment
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