यश चोपड़ा बॉलीवुड के पर्याय हैं। इस प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक का जन्म 27 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था। यश चोपड़ा ने आई.एस. जौहर के सहायक के रूप में फिल्मी करियर की शुरूआत की थी। उसके बाद अपने बड़े भाई बी.आर.चोपड़ा के साथ काम करने लगे। उन्होंने अपने भाई के बैनर बी.आर. फिल्मस तले पांच फिल्मों का निर्देशन किया – धूल का फूल (1959), धर्मपुत्र (1961), वक्त (1965) इत्तिफाक (1969) एवं आदमी और इंसान (1969)।

इन फिल्मों के अलावा भी यश चोपड़ा ने वीर-जारा (2004), दिल तो पागल है (1997), डर (1993), परम्परा (1992), लम्हे (1991), चांदनी (1989), विजय (1988), फासले (1985), मशाल (1984), सिलसिला (1981), काला पत्थर (1979) त्रिशूल (1979) कभी-कभी (1976), दीवार (1975), दाग (1973), इत्तिफाक (1969) आदमी और इंसान (1969), वक्त (1965), धर्मपुत्र (1961) और धूल का फूल (1959) जैसी कई सुपरहिट फिल्में निर्देशन किया।

यश चोपड़ा की फिल्मों का संगीत लोकप्रिय रहा है। उनके बेटे आदित्य चोपड़ा आधिकारिक रूप से एक प्रसिद्ध निर्देशक बन गए हैं, जिन्होंने ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ और ‘मोहब्बतें’ जैसे फिल्मों का निर्देशन किया है। यश चोपड़ा को उनके जीवनकाल में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। अपनी फिल्मों में स्विट्ज़रलैंड को बढ़ावा देने के कारण स्विस सरकार ने उन्हें सम्मानित किया। वर्ष 2001 में, ‘दादा साहब फाल्के अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया, यश चोपड़ा एकमात्र ऐसे फिल्म निर्माता थे, जिन्होंने फिल्मफेयर पुरस्कार ग्यारह बार जीता। वह भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी रहे और फिल्म उद्योग वेलफेयर ट्रस्ट के फाउंडर ट्रस्टी थे। इसके अलावा वह भारतीय फिल्म जगत के एक ऐसे फिल्म निर्माता है, जिन्हें हिंदी सिनेमा में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए दो बार ‘बीबीसी एशिया पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। यश चोपड़ा को ब्रिटेन में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ब्रिटिश टूरिस्ट ऑथारिटी और ब्रिटिश फिल्म कमीशन से सर्टिफेकट ऑफ रिकोगनिशन दिया गया।

13 अक्टूबर 2012 को कमजोरी की शिकायत होने के बाद यश चोपड़ा को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, 80 वर्षीय यश चोपड़ा को जाँच के बाद डेंगू रोग होने का पता चला। वयोवृद्ध फिल्म निर्माता यश चोपड़ा का 21 अक्टूबर 2012 को कई अंग फेल हो जाने के बाद निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार 22 अक्टूबर को दक्षिण मुंबई के चंदनवडी श्मशान में किया गया। उनके शरीर को अंधेरी ईस्ट में यशराज स्टूडियो में दोपहर तक रखा गया था, ताकि लोग उनका अंतिम सम्मान कर सकें। यश चोपड़ा ने “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” और “दिल तो पागल है” जैसी फिल्मों के जरीए रोमांस को नया आयाम दिया। उनकी पत्नी पामेला और दो पुत्र आदित्य जो एक फिल्म निर्माता और उदय जो एक अभिनेता हैं।

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