प्रतिभावान भारतीय अभिनेता मनोज बाजपेयी का जन्म 3 अप्रैल को बिहार के चंपारण के एक छोटे से गांव (बेलवा) में हुआ था।  इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से स्नातक किया। बचपन से ही मनोज को थिएटर (सिनेमाघरों) में रुचि थी और इसी के साथ उनकी सक्रिय भागीदारी ने उन्हें एक पेशेवर अभिनेता बनने के लिए प्रेरित किया।

अभिनेता मनोज बाजपेयी ने ‘सत्या’ और ‘शूल’ फिल्मों के लिए फिल्मफेयर क्रिटिक्स चॉइस अवार्ड जीते हैं। ये व्यापक रूप से अपरंपरागत भूमिकाएं निभाने के लिए जाने जाते हैं। शुरुआत में इनको फिल्मों में छोटी भूमिका निभाने का अवसर मिला, लेकिन वर्ष 1997 में फिल्म सत्या के रिलीज होने के बाद इन्होनें फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह फिल्म राम गोपाल वर्मा द्वारा निर्देशित थी और बाजपेई ने इस फिल्म में भीकू म्हात्रे (एक चिड़चिड़े स्वभाव वाला गैंगस्टर) की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में इनका प्रदर्शन बहुत ही बेहतर रहा इस बेहतर प्रदर्शन के कारण इन्हें पुरस्कार और प्रशंसा मिलीं जिससे वह रातों-रात स्टार बन गए।

इस प्रसिद्ध अभिनेता ने हमेशा कठिन व महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाकर अपनी उत्कृष्टता प्रदर्शित की है। इन्होंने ‘स्टार स्क्रीन अवॉर्ड’ में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार (1998) और फिल्म ‘सत्या’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (1999) जीता है। मनोज को फिल्म मेल और शूल में शानदार प्रदर्शन के लिए काफी प्रशंसा मिली।

मनोज को मेल और शूल फिल्म में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए जी सिने अवार्ड से सम्मानित किया गया। मनोज ने फिल्म ‘अक्स’ में एक नकारात्मक भूमिका निभाई और वर्ष 2001 में स्टार स्क्रीन पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार प्राप्त किया। इस प्रतिभाशाली अभिनेता ने फिल्म ‘रोड’ में नकारात्मक भूमिका के लिए जी सिने पुरस्कार प्राप्त किया। फिल्म ‘पिंजर’ में अपने अद्भुत अभिनय से मनोज बाजपेयी ने विशेष ज्यूरी पुरस्कार के साथ-साथ सर्वश्रेष्ठ फिल्म अभिनेता का पुरस्कार प्राप्त किया।  इनकी कुछ अन्य फिल्में इस प्रकार हैं:

• बैंडिट क्वीन 1996
• दौड़ 1997
• कौन 1999
• दिल पे मत ले यार 2000
• जुबेदा 2001
• इंतकाम 2004

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