स्वामी रामदेव, लोकप्रिय रूप से बाबा रामदेव के नाम से जाने जाते हैं, उनका जन्म वर्ष 1965 में भारत के हरियाणा राज्य के महेंद्रगढ़ जिले के अलीपुर गाँव में हुआ था। बाबा रामदेव एक भारतीय हिंदू स्वामी हैं और विशेष रूप से योग को प्रसिद्ध बनाने के अपने प्रयासों के लिए जाने जाते हैं। बाबा रामदेव के योग शिविर में हजारों की संख्या में अनुयायियों की उपस्थिति देखी जाती है। बाबा रामदेव “दिव्य योगा मंदिर ट्रस्ट” के संस्थापकों में से एक हैं। बाबा रामदेव का मुख्य उद्देश्य जनता के बीच योग को बढ़ावा देना है।

रामकृष्ण यादव के रूप में जन्में बाबा रामदेव ने हरियाणा के शहजादपुर में आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की और बाद में योग और संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए वह खानपुर गाँव के गुरुकुल में शामिल हो गए। अंततः बाबा रामदेव ने सांसारिक जीवन त्याग दिया और अपने मौजूदा नाम के आधार पर एक सन्यासी नाम (मठाधिकारी का जीवन) अपना लिया। बाद में बाबा रामदेव ने जींद जिले की यात्रा की और कालवा गुरुकुल में शामिल हो गए और हरियाणा में ग्रामीणों को निःशुल्क योग का प्रशिक्षण देने लगे। बाबा रामदेव ने अपने जीवन के कई साल भारतीय प्राचीन संस्कृति और परंपराओं को सीखने में व्यतीत किए और साथ ही ध्यान, तपस्या और स्वतः नियमित योग का अभ्यास भी किया। बाबा रामदेव ने हरिद्वार में एक ऐसी संस्था जो योग और आयुर्वेद की उपचार शक्तियों का शोध करती है, पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की स्थापना की। इसके अलावा यह संस्था आस-पास के ग्राम वासियों को कई मुफ्त सेवाएं भी प्रदान करती है।

बाबा रामदेव के शैक्षणिक शो कई धार्मिक टीवी चैनलों जैसे आस्था और अन्य टीवी चैनल जैसे जी नेटवर्क, सहारा वन और इंडिया टीवी पर प्रसारित किए जाते हैं और स्वामी रामदेव देश भर में ही नहीं विदेशों में भी कई योग शिविरों का आयोजन करते हैं।

वर्ष 2007 में केआईआईटी विश्वविद्यालय (कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी) ने योग के वैदिक विज्ञान को लोकप्रिय बनाने और स्वामी रामदेव को उनके योगदानों के लिए मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया था।

स्वामी रामदेव के दावे

दिसंबर 2006 की प्रेस रिपोर्ट के अनुसार, स्वामी रामदेव ने यह दावा किया था कि उन्होंने योग के उपयोग से एड्स का इलाज भी खोज लिया है। इन प्रेस रिपोर्टों के जरिए भारतीय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वामी जी से इन दावों को रोकने के लिए कहा और कहा कि अगर वह इन झूठे दावों को नहीं रोकते हैं, तो उनपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बाबा के अन्य दावों में से एक यह है कि सात बार साँस लेने वाले व्यायाम के अभ्यास से यकृत, स्तन, प्रोस्ट्रेट, गर्भाशय और मस्तिष्क (ब्रेन ट्यूमर सहित) के कैंसर तक का इलाज सम्भव है, स्वामी रामदेव के पास कथित तौर पर इसके दस्तावेज प्रमाण भी हैं।

बाबा रामदेव का यह उपदेश है कि हर इंसान में ईश्वर है और यह शरीर ईश्वर का मंदिर है। स्वामी रामदेव वसुधैव कुटुंबकम् (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) में विश्वास रखते हैं और वह जाति, सम्प्रदाय और धर्म के आधार पर भेदभाव का समर्थन नहीं करते हैं। बाबा रामदेव की सबसे जरूरी मान्यताओं में से एक यह है कि सभी जीवों के प्रति सच्चा प्यार और करुणा ही सच्ची उपासना है।

स्वामी रामदेव ने कई भारतीय शास्त्रों जैसे अष्टाध्यायी, महाभाष्य और उपनिषद जैसे कई सिद्धांतों से लोगो को अवगत किया है और भारत के घशेरा, किशनगढ़ और महेंद्रगढ़ में कई गुरुकुल की स्थापना की है। योग गुरु “प्राणायाम” भी सिखाते हैं, जो साँस लेने की एक अभ्यास श्रृंखला है, यह भारत के प्राचीन प्रणाली योग का एक हिस्सा था। लाखों लोगों की संख्या के साथ बाबा के शैक्षणिक शो टीवी पर प्रसारित किए जाते हैं। जो लोग ये टीवी शो देखते हैं उन लोगों ने यह उदाहरण प्रस्तुत किए हैं कि कैसे बाबा द्वारा निर्देशित श्वसन क्रिया द्वारा किए जाने वाले योग के अभ्यास से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गठिया, पेट की बीमारियाँ, थायरॉयड की समस्या, हृदय रोग और कैंसर जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।

स्वामी रामदेव ने यह भी दावा किया कि योग शुरु करने से पहले वह लकवा से ग्रस्त थे और जब से योग करना प्रारम्भ किया, तब से वह पूरी तरह से ठीक हो गए हैं। स्वामी रामदेव का यह दावा अभी सत्यापित किया जाना बाकी है।

बाबा रामदेव पूरे देश-विदेश में योग विज्ञान शिविर का आयोजन करते हैं और उन्होंने लंदन में भी एक महीने प्राणायाम और योग सिखाया है।

बाबा रामदेव द्वारा अपनी संपत्ति की घोषणा

दिनांक: 10 जून 2011

गुरुवार, 9 जून को बाबा रामदेव ने अपनी संपत्ति की घोषणा की, लेकिन अभी तक उनकी संपत्ति को लेकर कई सवाल खड़े हैं। बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने दान किए गए पूरे धन की घोषणा की, लेकिन अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं किया। दोनों लोगों ने दावा किया कि उनके खाते नियमित रूप से लेखा परीक्षित थे और इसलिए उन पर संदेह नहीं करना चाहिए।

रामदेव के अनुसार तीन प्राथमिक ट्रस्ट हैं, जिसमें दिव्य योग मंदिर सबसे पुराना ट्रस्ट है, जिसमें कुल 249 करोड़ 63 लाख रुपये की पूँजी है और पिछले 12 वर्षों के दौरान जनता के कल्याण के लिए कुल 685 करोड़ 25 लाख रुपये का व्यय हुआ है। पंतजलि योग पीठ के पास 164 करोड़ 80 लाख रुपये की पूँजी है और आज तक 53 करोड़ 52 लाख रुपये का व्यय हुआ है। काले धन के अभियान के लिए बनाए गए भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के पास 9 करोड़ 57 लाख रुपये की पूँजी है और जिसमें जनता के कल्याण के लिए 11 करोड़ 51 लाख रुपये का व्यय हुआ है।

जब स्वामी रामदेव के व्यापार और परिसंपत्तियों पर सवाल उठाए जाते हैं, तो बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण परिसंपत्ति और वित्तीय प्रवाह के आधार पर सवाल का जवाब देने में नाकाम रहते हैं। पतंजलि ट्रस्ट का वित्तीय चेहरा माने जाने वाले बालकृष्ण ने, जब कॉरपोरेट लेन देन के बारे में लगातार पूछे जाने वाले सवाल और ट्रस्ट संचालित कंपनियों की संख्या का जवाब नहीं दे सके, तो अपने निजी कंप्यूटर और अपने कक्ष को छोड़ दिया। बालकृष्ण ने कहा कि रामदेव की कंपनियों से संबंधित सभी सवालों को रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज द्वारा संचालित किया जाना चाहिए।

हालांकि आचार्य इस बात पर कायम रहे कि वे टीडीएस को हटाकर सभी नियमों जैसे करों का भुगतान आदि का पालन करते हैं और उनकी संपत्ति के बारे में सभी विवरणों के दावे उनकी वेबसाइट www.divyayoga.com पर अपलोड हैं।

आचार्य इस बात पर भी कायम रहे कि वे बहुत से कल्याणकारी कार्यों में शामिल हुए और पतंजलि के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं के प्रति उनका काफी योगदान रहा और उनका दावा है कि वे पारदर्शिता में विश्वास रखते हैं।

4 जून 2011 से भूख हड़ताल पर रहे रामदेव, विदेशों में छिपे काले धन को वापस लाने की माँग करते हुए इस तथ्य को दोहराया है कि जब तक उनकी माँग पूरी नहीं की जाती, तब तक वह भूख हड़ताल जारी रखेंगे।

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