प्रसिद्ध ऐतिहासिक पात्र बीरबल का जन्म 1528 में यमुना नदी के तट पर स्थित त्रिविक्रामपुर नामक गाँव में एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण परिवार में, महेश दास के रूप में हुआ था। वह मुगल सम्राट अकबर के दरबार में नौ सदस्यों के सलाहकारों के समूह में एक प्रमुख सदस्य थे, जिन्हें नवरत्न के रूप में जाना जाता है। बीरबल के पास प्रशासनिक और सैन्य सम्बन्धी कर्तव्यों का अधिकार था, लेकिन अपनी बुद्धिमानी और समझदारी के कारण अकबर के काफी करीबी थे। बीरवल एक कवि और लेखक थे। बच्चों और वयस्कों द्वारा इन्हें एक समान ही पसंद किया जाता है और ज्यादातर पीढ़ियाँ बीरवल और अकबर की लोक विद्याओं की कहानियाँ सुनकर ही बड़े हुए हैं।

अकबर स्वयं अशिक्षित थे लेकिन प्रतिभाशालियों के प्रति सम्मानित थे और इसलिए वह विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया करते थे। इनकी कई कहानियां हैं जो राजसभा के अन्दर और बाहर बीरवल और अकबर के बीच वार्तालाप के आदान- प्रदानों पर आधारित हैं ऐसा कहा जाता है कि अकबर की राजसभा में बीरबल की सफलता पर अन्य दरबारी उनसे ईर्ष्या किया करते थे, इसलिए वे उनके पतन की योजना बनाया करते थे। यहाँ तक कि इन घटनाओं को किताबों में भी प्रकाशित किया गया है।

बीरबल के लेखन में ब्रह्म लेख भी शामिल हैं। इनके लेखन का संग्रह राजस्थान के भरतपुर संग्रहालय में पाया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि अफगानिस्तान के युद्ध के अभियान में एक बड़ी सैन्य मंडली के नेतृत्व के दौरान बीरवल की मृत्यु हो गयी। ऐसा कहा जाता है कि अकबर ने कई महीनों तक उनकी मृत्यु पर शोक प्रकट किया था।

 

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