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पश्चिम बंगाल की एक ईमानदार और साहसी स्वतंत्रता सेनानी नेली सेनगुप्त, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष थी। उनका जन्म सन 1886 में कैम्ब्रिज, इंग्लैण्ड में अंग्रेजी माता-पिता  एडिथ होनरीटा ग्रे और फ्रेडरिक विलियम के घर हुआ था। उन्होंने डाउनिंग कॉलेज के एक बंगाली विद्वान, यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त से शादी की और सन् 1909 में चटगांव में साथ रहने आ गई। नेली सेनगुप्त के पति यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त ने 1921 में राजनीति में प्रवेश करने के बाद स्वतंन्त्रता आंदोलन में अपना पूर्ण सहयोग दिया।

नेली सेनगुप्त ने अपने पति के साथ मिलकर स्वतंन्त्रता के संघर्ष में भारतीयों का साथ दिया। असम-बंगाल की रेल हड़ताल के सिलसिले में जब यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त को गिरफ्तार कर लिया गया, तब उनकी पत्नी ने जिला प्राधिकरण के आदेशों के खिलाफ विद्रोह प्रदर्शित कर शासित सरकार के विरूद्ध एक सार्वजनिक बैठक आयोजित की थी।

नेली सेनगुप्त ने अपने पति के साथ महात्मा गाँधी के असहयोग आंन्दोलन में उनका साथ दिया और घर-घर जाकर खादी कपड़े भी बेचे। सन् 1931 में विधानसभा की बैठक में बोले गए गलत तरीके के भाषण के लिए उन्हें चार माह के लिए कारावास में डाल दिया गया था। उनके पति की मृत्यु के बाद, उन्हें सन् 1931 से 1936 तक कलकत्ता निगम में अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया। वह 1940 में बंगाल विधानसभा की सदस्य निर्वाचित की गई थी तथा 1946 में फिर से उसी पद पर चुनी गई। आजादी के बाद जब बंगाल का विभाजन किया गया था तब उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान में रहने का फैसला किया, जो वर्तमान समय में बांग्लादेश में स्थित है।

सन् 1954 में नेली सेनगुप्त को पूर्वी पाकिस्तान विधान सभा क्षेत्र से विधान सभा सदस्य के पद पर नियुक्त किया गया। वह एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता थी, और एक लंबे समय तक अल्पसंख्यक बोर्ड के सदस्य के रूप में कार्य किया। सन् 1973 में उनकी मृत्यु भारत में हुई थी।

भारत की स्वतंत्रता के लिए चल रहे संघर्षेां में सक्रिय रूप से शामिल होने के कारण लोग, आज भी उन्हें हिंदू महिलाओं में सबसे निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है।

नेली सेनगुप्त के बारे में तथ्य एवं जानकारी

जन्म 1 दिसम्बर 1886 कैम्ब्रिज नगर, इंग्लैण्ड
मृत्यु 23 अक्टूबर 1973 में कलकत्ता
पिता फ्रेडरिक
माता एडिथ होनरीटा ग्रे
इनके बारे में नेली सेनगुप्त ब्रिटिश की थी, लेकिन उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और उन्होंने काग्रेंस के अध्यक्ष के पद पर सेवा भी की।
पति यतीन्द्र मोहन
पुत्र शिशिर और अनिल
असहयोग आंदोलन नेली ने भी असहयोग आन्दोलन में भाग लिया। असम-बंगाल की रेलवे की हड़ताल में उनकी भागीदारी के लिए उनके पति को कैद किया गया था। नेली ने जिला अधिकारियों का विरोध किया जिन्होंने विधानसभा पर प्रतिबंध लगा दिया।

उनके द्वारा कई सार्वजनिक आयोजन की बैठक की गई थी। उनके सक्रिय सहभागिता के लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।

खादी उन्होंने ब्रिटिश कानून का पालन न करते हुए खादी वस्त्रों को घर-घर जा कर बेचे थे।
कांग्रेस अध्यक्ष वह यूरोप की दूसरी महिला थी और 1931 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए उन्हें तीसरी महिला के रूप में चुना गया था।
कलकत्ता निगम वह 1933 और 1936 में कलकत्ता निगम की अध्यक्ष बनी।

 

बंगाल विधान सभा कांग्रेस पार्टी के एक प्रतिनिधि के रूप में, उन्हें 1940 और 1946 में बंगाल विधान सभा के सदस्य के पद पर नियुक्त किया गया था।
पूर्वी पाकिस्तान विधान सभा उन्होंने चटगांव से पूर्वी पाकिस्तान तक हिन्दू, अल्पसंख्यक के लिए काम किए। उन्हें पूर्वी पाकिस्तान विधान सभा के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया और उन्हें अल्पसंख्यक बोर्ड के लिए चुना गया।

 

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