वीर सावरकर भारत की आजादी के संघर्ष में एक महान ऐतिहासिक क्रांतिकारी थे। वह एक महान वक्ता, विद्वान, विपुल लेखक, इतिहासकार, कवि, दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता थे। वीर सावरकर का वास्तविक नाम विनायक दामोदर सावरकर था। वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को नासिक के समीप भागपुर गाँव में हुआ था। उनके बड़े भाई गणेश (बाबराव), उनके जीवन की प्रतिष्ठा का एक प्रमुख स्रोत थे। वीर सावरकर बहुत कम उम्र के ही थे, जब उनके पिता दामोदरपंत सावरकर और माता राधाबाई की मृत्यु हो गई थी।
वीर सावरकर ने ‘मित्र मेला’ नाम की एक प्रमुख संगठन की स्थापना की थी, जिसने भारत की “पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता” की लड़ाई में भाग लेने वाले लोगों काफी प्रभावित किया था। मित्र मेला के सदस्य, नासिक में महावारी रोग से ग्रसित लोगों की सहायता भी किया करते थे। बाद में, उन्होंने मित्र मेला को ‘अभिनव भारत’ बुलाया और यह घोषित किया कि भारत को स्वतंत्र होना चाहिए।
वीर सावरकर की भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी के कारण ब्रिटिश सरकार ने उनसे, उनकी स्नातक स्तर की डिग्री वापस ले ली। जून 1906 में, वीर सावरकर वकील बनने के लिए लंदन चले गए।उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित ‘1857 में स्वतंत्रता के भारतीय युद्ध’ नामक एक किताब लिखी, जिस पर अंग्रेजों ने रोक लगा दी थी। जब वह लंदन में रह रहे थे, तभी उन्होंने इंग्लैण्ड में भारतीय छात्रों को ब्रिटिश औपनिवेशिक स्वामी के प्रति विद्रोह करने के लिए उत्साहित किया था। उन्होंने भारत की आजादी के संघर्ष में हथियारों का प्रयोग करने का समर्थन किया था।
वीर सावरकर को उनके मुकदमे की जाँच के लिए 13 मार्च 1910 को लंदन से भारत भेजा जा रहा था, हालांकि अभी जहाज फ्रांस के मार्सिलेस में पहुँचा ही था कि वीर सावरकर वहाँ से बचकर भाग निकले, परन्तु फ्रांसीसी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 24 दिसंबर 1910 को अंडमान में कारावास की सजा सुनाई गई। जेल में पुस्तकालय की स्थापना उनके ही प्रयासों का परिणाम था। उन्होंने जेल में अशिक्षित अपराधियों को शिक्षा देने की कोशिश की। विठ्ठलभाई पटेल, तिलक और गाँधी जैसे महान नेताओं की मांग पर सावरकर को 2 मई 1921 को भारत में वापस भेज दिया गया।
वीर सावरकर रत्नागिरि जेल में कैद थे और उसके बाद उन्हें येरवादा जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था। इन्होंने रत्नागिरी जेल में ही ‘हिंदुत्व’ नामक एक पुस्तक भी लिखी थी। उन्हें 6 जनवरी 1924 को जेल से रिहा कर दिया गया, बाद में उन्होंने प्राचीन भारतीय संस्कृति को बनाए रखने और सामाजिक कल्याण की दिशा में काम करने के लिए रत्नागिरी हिंदू महासभा की स्थापना की। इसके बाद में वह तिलक द्वारा बनाई गई स्वराज पार्टी में शामिल हो गए और हिंदू महासभा रूप में एक अलग राजनीतिक दल की स्थापना की और इसके अध्यक्ष के रूप में चुने गए। इस पार्टी ने पाकिस्तान के गठन का विरोध किया। गाँधी जी के हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे भी हिंदू महासभा के सदस्य थे। महात्मा गांधी हत्या मामले में वीर सावरकर पर भारत सरकार द्वारा आरोप लगाया गया था, परन्तु भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें निर्दोष सबित कर दिया था। 26 फरवरी सन् 1966 में 83 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
वीर सावरकर के बारे में तथ्य एवं जानकारी
पूरा नाम | विनायक दामोदर सावरकर |
उपनाम | वीर सावरकर |
जन्म | 28 मई सन् 1883, गाँव- भागपुर, नासिक (महाराष्ट्र) |
मृत्यु | 26 फरवरी 1966 (मुंबई) |
मौत का कारण | सल्लेखना प्रायोपवास (उपवास द्वारा) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पिता | दामोदर सावरकर |
माता | यशोदा सावरकर |
पत्नी | यमुनाबाई |
भाई | गणेश और नारायण |
बहन | मीनाबाई |
जाना जाता है | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान कर्ता |
राजनीतिक दल | हिंदू महासभा |
धार्मिक दृष्टि कोण | नास्तिक |
शिक्षा | उन्होंने फेर्गुसन कॉलेज, पुणे, महाराष्ट्र से साहित्य में स्कानोत्तर किया।
द हॉनरेवल सोसाइटी ऑफ ग्रे इन लंदन से बैरिस्टर बने। |
जेल यात्रा | सावरकर को अंग्रेजों ने 50 साल की सजा सुनाई थी। उन्हें सेलुलर जेल अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थानांतरित कर दिया गया था |
हिंदू
महासभा के नेता |
सन् 1937 में सावरकर को हिंदू महासभा का अध्यक्ष बनाया गया था।
सांप्रदायिक माहौल के बीच सावरकर के हिंदू एकता के बारे में संदेश का प्रसार त्वरित था। |
नारा | उन्होंने ‘हिंदुइज़ ऑल पॉलिटिक्स एंड मिलिटराइज़ हिंदोद्म’ का लोकप्रिय आर्दश-वाक्य दिया था |
गांधी की
हत्या में गिरफ्तार |
वीर सावरकर को 5 फरवरी सन् 1948 मे महात्मा गांधी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। |
और निर्दोष | उन्हें मुंबई आर्थर रोड जेल में हिरासत में लिया गया था। हालांकि एक गहन परीक्षण के बाद उन्हें बरी कर दिया गया। |
बाद का जीवन | गांधी की हत्या के बाद लोगों ने गुस्से में आ कर सावरकर के मुंबई वाले घर को निशाना बनाया।
कांग्रेस सरकार ने आतंकवादी हिंदू राष्ट्रवादी भाषण देने के लिए सावरकर को गिरफ्तार किया हालांकि उन्हें इस शर्त पर कारावास से बाहर जाने की अनुमति दी गई थी कि वह राजनीति छोड़ देंगे। |
फ़िल्म | 1996 में प्रियदर्शन द्वारा निर्देशित एक मलयालम फिल्म काला पानी में वीर सावरकर के रूप में अन्नू कपूर ने अभिनय किया।
वीर सावरकर की सुधीर फडके और वेद राही द्वारा वीर सावरकर की एक बायोपिक बनवायी गई जिसमें सैलेन्द्र गौर ने सावरकर की भूमिका निभाई थी। |
सावरकर की पुस्तकें
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1857 चे सवातंत्रया सामर
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