एथलेटिक्स शब्द की उत्पत्ति ग्रीक के “एथलॉन” से हुई है, जिसका अर्थ प्रतियोगिता है। भारत का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और क्षेत्रीय स्पर्धाओं में भागीदारी करने का एक लंबा इतिहास रहा है।

पहले भारतीय ओलंपिक खिलाड़ी नॉर्मन प्रिचर्ड थे, जिन्होंने वर्ष 1900 में पेरिस में होने वाले ओलंपिक, एथलीट में 200 मीटर की डैश और 200 मीटर की हर्डल्स में दो रजत पदक जीते थे। कुछ वर्षों के बाद, सफल एथलीट में हेनरी रिबेलो, स्वतंत्र भारत के पहले आधिकारिक ओलंपिक फाइनलिस्ट “फ्लाइंग सिख” के नाम से प्रसिद्ध मिल्खा सिंह, गुरबचन सिंह रंधावा, टीसी योहानन, श्रीराम सिंह और सुरेश बाबू आदि जैसे कई लोग शामिल हो गए थे।

भारत ने कुछ बहुत ही प्रतिभाशाली महिला एथलीटों को भी प्रस्तुत किया है, जिनमें पी. टी. उषा निस्संदेह सबसे असाधारण हैं। उन्होंने समकालीन शाइनी विल्सन, एमडी वालसम्मा और वंदना राव के साथ वर्ष 1984 के ओलंपिक रिले के फाइनल में भारत का नेतृत्व किया। बाद में ट्रैक स्टार जैसे अश्विनी नाचप्पा और स्थिर परफार्मर ज्योतिर्मयी सिकंदर जैसे खिलाड़ी भी प्रदर्शन स्थल पर आए। हाल ही के दिनों में, अंजू बॉबी जॉर्ज और सोमा बिस्वास जैसे प्रदर्शनकारियों ने काफी लोकप्रियता हासिल की है।

प्रतिभा होने के बावजूद भी भारतीय एथलीट ओलंपिक ट्रैक और फील्ड में बहुत सफल नहीं रहे हैं, क्योंकि इन्होंने एशियाई खेलों में मध्यम सफलता प्राप्त की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *