मोहन राकेश, 1950 के दशक की हिंदी साहित्य पत्रिका नई कहानी (शाब्दिक “न्यू स्टोरी”) आंदोलन के साहित्यकार थे, जिन्होंने उपन्यास, यात्रा, आलोचना, संस्मरण, लघु कथा और नाटक में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। इनका जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर में हुआ था। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में अपनी स्नातकोत्तर की डिग्री पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी।

मोहन राकेश एक प्रतिभापूर्ण नाटककार और उपन्यासकार थे। जैसे-जैसे हम उनके प्रारम्भिक कार्यों का अवलोकन करते हैं, वैसे-वैसे हम उनके कार्यों में एक क्रमिक विकास पाते हैं। धीरे-धीरे ये मानव जाति के भाग्य और आकांक्षाओं के करीब आ गये। वह एक प्रमुख कथाकार थे और हिंदी भाषा पर उनका उत्कृष्ट नियंत्रण था। उन्होंने ज्यादातर शहरी मध्यवर्गीय लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं के बारे में लिखा।

मोहन राकेश ने अपनी जीविका चलाने के लिए शिक्षण कार्य किया। कुछ साल तक वह ‘सारिका’ के संपादक भी रहे थे। उपन्यास शैली में- अंधेरे बंद कमरे, अन्तराल, ना होने वाला कल आदि, कुछ प्रमुख कहानी संग्रह में- क्वार्टर तथा अन्य कहानियाँ, पहचान तथा अन्य कहानियाँ, वारिस तथा अन्य कहानियाँ आदि, प्रमुख नाटकों में- आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे अधूरे आदि मोहन राकेश की कुछ प्रमुख कृतियाँ है। मोहन राकेश के तीन नाटक आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे अधूरे बहुत ही प्रसिद्ध हुये हैं, जिन्होंने थिएटर की दुनिया में एक उत्साह पैदा कर दिया है। उनके नाटक उस समय के निर्देशकों की पहली पसंद थे।

आधे अधूरे शीर्षक का नाटक मध्यम वर्ग के लोगों के जीवन पर आधारित एक दुखद कॉमेडी है। उन्होंने मृच्छकटिका और शाकुंतलम का अनुवाद भी किया था।

मोहन राकेश को संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया था।

हिंदी के महान लेखक मोहन राकेश 3 जनवरी 1972 को नई दिल्ली में इस संसार को छोड़कर चले गये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *