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बी. डी. जत्ती की जीवनी

भारत के पूर्व उपराष्ट्ररपति (1974-1980), श्री बासप्पा दानप्पा का जन्म 10 सितंबर 1912 को कर्नाटक शहर के बीजापुर जिले में हुआ था। बी.डी. जत्ती ने कोल्हापुर शहर के सॉइकेस लॉ कॉलेज से लॉ (कानून) में ग्रेजुएशन करने के बाद अपने निवास शहर जमखंडी में एक वकील के तौर पर संवैधानिक रूप से अभ्यास किया। सन् 1940 में, इन्होंने जमखंडी शहर की नगर पालिका से सदस्य के रूप में राजनीति में प्रवेश किया और अंततः जमखंडी राज्य विधानसभा से सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए। बी. डी. जत्ती ने 1940 में नगरपालिका से राजनीति शुरू करने के बाद कभी वापस मुड़कर नहीं देखा। पांच दशक से भी अधिक समय तक अपने महत्वपूर्ण और लंबे राजनीतिक कैरियर में इन्होंने कई महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर काम किया और 11 फरवरी सन् 1977 में कार्यकारी राष्ट्रपति बने।

1948 के बाद जमखंडी बॉम्बे राज्य में सम्मिलित होने के बाद बी. डी. जत्ती बॉम्बे राज्य विधानसभा के राज्य सदस्य नामित किये गए। उसी सप्ताह इन्हें बॉम्बे के मुख्यमंत्री श्री बी. जी. खेर के संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था। बॉम्बे के मुख्यमंत्री बी.जी. खेर के निजी सचिव के पद पर दो साल तक सेवा करने के बाद बी.डी. जत्ती को स्वास्थ्य और श्रम के उपमंत्री के पद पर नियुक्त किया गया। इसके बाद बी.डी. जत्ती को मैसूर विधान सभा में भूमि सुधार समिति का अध्यक्ष चुना गया। वह सन् 1958 में मैसूर के मुख्यमंत्री बने और सन् 1962 तक इस पद पर रहे। 1962 के तीसरे आम चुनावमें, वह जमखंडी निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा नियुक्त हुए और मुख्यमंत्री एस. निजलिंगप्पा के मंत्रालय में इन्हें वित्त मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया।

बी.डी. जत्ती 1968 में राष्ट्रीय पार्टी में आए और वह पांडिचेरी के लेफ्टिनेंट गर्वनर बने। पांच साल की अवधि के बाद, 1973 में इन्हें उड़ीसा का राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया। बी. डी. जत्ती 1974 में भारत के उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण करने के लिए नई दिल्ली चले गए। सन् 1979 तक वह राज्यसभा के चैयरमेन भी रहे। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति फकरूद्दीन अली अहमद की अचानक मौत हो जाने पर इन्हें 11 फरवरी 1977 से 25 जुलाई 1977 तक 5 महीने की अवधि के लिए भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल सौपा गया। 8 जून 2002 को उनका निधन हो गया।

 

 

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