सरोजिनी नायडू, दि नाइटिंगेल ऑफ इंडिया, का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद (आंध्रप्रदेश) में हुआ था। सरोजिनी नायडू को सबसे पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष और भारतीय राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनने का श्रेय प्राप्त हुआ। अघोरनाथ चट्टोपाध्याय और वरदा सुंदरी देवी की सबसे बड़ी बेटी सरोजिनी नायडू,कई भाषाओं को बोलने में निपुण थीं।

सरोजिनी नायडू ने अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड जाने से पहले मद्रास विश्वविद्यालय में पढ़ाई की। सरोजिनी नायडू ने डॉ. मुत्तयला गोविंदराजुलु नायडू से विवाह किया। इस युगल के पांच बच्चे जयसूर्या, लीलामनी, निलावर, पद्मजा और रणधीर थे। वर्ष 1905 में हुए बंगाल विभाजन से वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए उत्सुक हुई। उसके बाद सरोजिनी नायडू जल्द ही भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थकों के संपर्क में आई।

वर्ष 1916 में सरोजिनी नायडू ने मोहम्मद अली जिन्ना की एक जीवनी प्रकाशित की जिसका शीर्षक ‘हिंदू-मुस्लिम एकता के राजदूत’ रखा था। वर्ष 1919 में, सरोजिनी नायडू इंग्लैंड के होम रूल लीग की राजदूत बनी ।1925 में सरोजिनी नायडू को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया और अक्टूबर 1928 में उन्होंने न्यूयॉर्क की यात्रा की। 1942 में, उन्हें “भारत छोड़ो” आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया था और महात्मा गांधी के साथ 21 महीने तक जेल में रहना पड़ा था। सरोजिनी नायडू के महात्मा गांधी के साथ घनिष्ठ संबंध थे।

सरोजिनी नायडू ने मार्च 1947 में एशियाई संबंध सम्मेलन में संचालन समिति की अध्यक्षता की। भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, वह उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनीं, और वह एक स्वतंत्रता सेनानी एवं एक बढ़िया कवियत्री भी थीं।  1905 में, उनकी कविताओं का पहला संग्रह, द गोल्डन थ्रेसहोल्ड प्रकाशित हुआ था। उसके बाद उनके दो और कविता संग्रह द बर्ड ऑफ टाइम और द ब्रोकेन विंग 1912 और 1917 में  प्रकाशित हुए। बाद में, उनकी कविताओं की कुछ अन्य पुस्तकें जैसे दि मैजिक ट्री, द विजार्ड मास्क, और ए ट्रेजरी ऑफ पोएम्स को प्रकाशित किया गया।

2 मार्च 1949 को सरोजिनी नायडू बीमार पड़ गई और उसके चिकित्सक ने उन्हें अच्छी नींद लेने के लिए नींद की गोली दी। नायडू जी ने मुस्कुराते हुए कुछ शब्द कहे कि मैं आशा करती हूं कि यह मेरी आखिरी नींद नहीं है”, लेकिन उसी रात उनका सोते-सोते (नींद में) निधन हो गया।

सरोजिनी नायडू से जुड़े तथ्य

नाम सरोजिनी नायडू
जन्म 13 फरवरी 1879, हैदराबाद
विवाह से पहले उपनाम सरोजिनी चट्टोपाध्याय
अन्य नाम द नाइटिंगेल ऑफ इंडिया, बुलबुले हिंद
राशि कुंभ राशि
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म बंगाली हिंदू
पिता श्री अघोर नाथ चट्टोपाध्याय
मां सुश्री बरदा सुंदरी देवी
सगे भाई बिरेंद्रनाथ, हरिंद्रनाथ
शिक्षा मद्रास विश्वविद्यालय, किंग्स कॉलेज लंदन, गिरटन कॉलेज, कैम्ब्रिज
विवाह 1898
पती डॉ मुत्तयला गोविंदराजुलु नायडू
बच्चे उनके पांच बच्चे जयसूर्या नायडू, पद्मजा नायडू, रणधीर नायडू, आदित्य निलावर नायडू और लीलामणि नायडू थे।
व्यवसाय कार्यकर्ता, राजनीतिक नेता, कवियत्री
स्वतंत्रता आंदोलन 1905 में बंगाल के विभाजन के चलते सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हो गई
  1915-1918 के दौरान, उन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक कल्याण, महिला सशक्तिकरण और राष्ट्रवाद पर व्याख्यान देने के लिए यात्राएं की।
राजनीतिक कैरियर 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनी।
  1947 से 1949 तक संयुक्त प्रांत की राज्यपाल बनी।
लिटरेसी कैरियर द गोल्डन थ्रेसहोल्ड, द बर्ड ऑफ टाइम, द ब्रोकेन विंग्स, इन्होंने मुहम्मद अली जिन्ना की जीवनी को हिंदू-मुस्लिम एकता के राजदूत का शीर्षक दिया, द स्पेक्ट्रड फ्लूट: सांग्स ऑफ इंडिया
प्रसिद्ध कविताएं दमयन्ती टू नाला इन द आवर ऑफ एक्साइल, एक्स्टेसी, इंडियन डांसर, द इंडियन, इंडियन लव-सॉन्ग, इंडियन वेवर्स, दि फारेस्ट, राममुराथम, नाइटफॉल सिटी इन हैदराबाद, पालक्विन बेयरर्स, सती, द सोल प्रेयर ,स्ट्रीट क्राइज
पुरस्कार 1928 में हिंद केसरी पदक
उपलब्धियां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त पहली भारतीय महिला और भारत में उत्तर प्रदेश राज्य की पहली महिला राज्यपाल
मृत्यु 2 मार्च 1949 को लखनऊ में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु
मृत्यु के बाद उनकी बेटी पद्मजा ने 1961 में द फेदर ऑफ द डॉन नामक कविताओं का संग्रह प्रकाशित किया।

  

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