‘ए मैन ऑफ एक्शन’ लाल बहादुर शास्त्री, भारत के दूसरे प्रधानमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता थे। जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद 9 जून सन् 1964 को इन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला। इनका जन्म 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में लाल बहादुर श्रीवास्तव के रूप में हुआ था, वह दस वर्ष की उम्र तक अपने नाना के घर पर रहे।

एक बालक के रूप में ही वह गुरु नानक देव की पुस्तकें पढ़ना पसंद करते थे। वह दृढ़ता से जाति व्यवस्था के विरोधी थे और जिसके परिणाम स्वरूप उन्होंने अपने उपनाम, श्रीवास्तव को अपने नाम से हटा दिया।

सन् 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश का नेतृत्व किया। उनका नारा “जय जवान जय किसान” (सैनिक की जय हो, किसान की जय हो) आज भी याद किया जाता है। 10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौते के साथ युद्ध समाप्त हो गया और अगले दिन ही इनका निधन हो गया। खबरों के अनुसार इनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी लेकिन लोगों ने इनकी मृत्यु के पीछे साजिश होने का दावा किया है। इनकी स्मृति में, विजय घाट स्मारक स्थापित किया गया।

परिवार

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के यहाँ हुआ था। इनका विवाह 1927 में ललिता देवी के साथ हुआ था। इन्होंने दहेज में एकमात्र वस्तु के रूप में सिर्फ एक चरखा और कुछ गज खादी का लेकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया था।

राजनीतिक करियर

शास्त्री जी ने हरिजनों एवं नीची जातियों के उत्थान के लिए बहुत कार्य किए। इन्होंने 1937 में यूपी के संसदीय बोर्ड के आयोजन सचिव के रूप में कार्य किया। शास्त्री जी महात्मा गांधी जी से बहुत प्रभावित थे और पूर्ण शक्ति के साथ आजादी के लिए राष्ट्रीय संघर्ष में भाग लिया। 1940 में, स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थन में व्यक्तिगत सत्याग्रह के प्रदर्शन के लिए इन्हें कैद किया गया था। कैद से मुक्त होने के बाद वह फिर से संघर्ष में कूद पड़े, इस बार इन्हें‘ भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लेने के लिए फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था और 1946 में रिहा किया गया।

स्वतंत्रता के बाद, शास्त्री जी ने पुलिस और परिवहन मंत्री, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और केंद्रीय मंत्रिमंडल में रेलमंत्री और परिवहन मंत्री सहित कई पदों को संभाला। तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद शास्त्री जी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रमुखता से समाने आया। वह कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुने गए और इन्होंने 9 जून 1964 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, भारत-पाकिस्तान युद्ध सहित कई चुनौतियों के कारण उन्हें कठिन समय से गुजरना पड़ा।

युद्ध के दौरान, इन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया, जिसने भारत की दो प्रमुख सेना, किसानों और सैनिकों को प्रोत्साहित किया। युद्ध 17 सितंबर 1965 को संयुक्त राष्ट्र की मध्य स्थता के साथ समाप्त हो गया। युद्ध विराम के बाद शास्त्री जी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान ताशकंद में एक शिखर सम्मेलन में शामिल होने गए, जहाँ उन्होंने 10 जनवरी 1966 को ताशकंद घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किया। अगले दिन लाल बहादुर शास्त्री को दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। इन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने संक्षिप्त कार्यकाल में अनेक कार्य किए।

जय जवान जय किसान

शास्त्री जी 1965 में रामलीला मैदान में ‘जय जवान जय किसान’ नारा दिया था।

शास्त्री के सत्ता में आने के तुरंत बाद, इस नारे को दिया, जिस कारण यह था कि पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया था। इस हमले के दौरान, देश को खाद्य संकट का सामना करना पड़ रहा था। माना जाता है कि इनके इस नारे ने सैनिकों पर देश की रक्षा करने के लिए उत्साह जनक प्रभाव छोड़ा और अनाज के उत्पादन में वृद्धि के लिए और भी अधिक प्रयास करने के लिए किसानों को भी प्रोत्साहित किया। उनका यह नारा बहुत ही लोकप्रिय हो गया।

स्मरण

लाल बहादुर शास्त्री जी को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

विजय घाट इनकी स्मृति में स्थापित किया गया।

मंसूरी में लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन उनके नाम पर बनाई गई है।

‘लाल बहादुर शास्त्री शैक्षिक ट्रस्ट’ ने 1995 में लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की स्थापना की थी, जो आज भारत में सबसे अच्छे बिजनेस स्कूलों में से एक है।

नई दिल्ली, मुंबई, पुणे, लखनऊ, वारंगल, पुडुचेरी और इलाहाबाद आदि शहरों में कुछ प्रमुख सड़कें का नाम उनके नाम पर रखी गई है।

 

सम्बन्धित जानकारी
प्रधानमंत्री
अटल बिहारी बाजपेई इन्दिरा गाँधी
चन्द्र शेखर लाल बहादुर शास्त्री
चौधरी चरन सिंह मोरारजी देसाई
डॉ0 मनमोहन सिंह पी.वी. नरसिम्हा राव
गुलजारी लाल नन्दा राजीव गाँधी
इन्दर कुमार गुजराल विश्वनाथ प्रताप सिंह
नरेन्द्र मोदी

 

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