बेगम हजरत महल एक महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी, जिन्होंने भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम (1857-58) में प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्हें अवध की बेगम के तौर पर भी जाना जाता हैं। वह लखनऊ के तत्कालीन शासक नवाज वाजिब अली शाह की पत्नी थी। उनका वास्तविक नाम मुहम्मदी खानुम था और उन्हें ‘हजरत महल’ यह उपाधि उनके बेटे बिरजिस कादर के जन्म के साथ मिली थी। बेगम हजरत महल न विनम्र स्वभाव और खूबसूरती के लिए जानी जाती थी, बल्कि उनकी नेतृत्व क्षमताएं और गुण भी बेजोड़ थे। वे एक बेहतरीन रणनीतिकार थी। यह खूबियां अंग्रेजों के खिलाफ भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान से साफ झलकती हैं।

1850 के दशक में जब अंग्रेज भारत में अपना साम्राज्य बढ़ा रहे थे, तब उनका वास्ता अवध प्रांत से पड़ा। उस समय यह रियासत कला, संस्कृति और साहित्य के लिए पहचानी जाती थी। 1856 में अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा जमाया और नवाब वाजिद अली शाह को लखनऊ छोड़ना पड़ा। वे कोलकाता चले गए। इस दौरान बिना राजा के प्रजा में खलबली मच गई। बेगम हजरत महल ने नवाब से अपने तलाक के बाद भी रियासत की बागडोर अपने हाथ में ली और अवध का कामकाज संभालने लगी।

पहले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारी ताकतों के साथ हाथ मिलाकर उन्होंने जल्द ही लखनऊ से अंग्रेजों को भगाकर फिर अपना कब्जा जमाया। उन्होंने अपने बेटे को अवध का शाही उत्तराधिकारी बनाया। उन्हें अवध की ‘लक्ष्मी बाई’ भी कहा जाता है। उन्होंने नाना साहेब जैसे क्रांतिकारियों को पूरी ताकत के साथ सहयोग किया। नेपाल के शसाक राणा जंग बहादुर को दी गई अंग्रेजों की ओर से हुई पेशकश का जवाब दिया। उनका अपनी प्रजा के प्रति समर्पण और संकल्प इतना मजबूत था कि लखनऊ को बचाने के लिए उन्होंने खुद आगे बढ़कर अंग्रेज फौज से लोहा लिया। लंबी लड़ाई के बाद लखनऊ पर अंग्रेजों ने फिर कब्जा कर लिया। हजरत महल को 1858 में पीछे हटना पड़ा। उन्होंने अपनी जिंदगी का बचा हुआ वक्त नेपाल में बिताया। काठमांडू में 1874 में उनका निधन हुआ।

भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रतीक होने के बाद भी, हजरत महल का मकबरा अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा रहा है। उत्तर प्रदेश को जिस महिला ने आजादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया, उसे भूला दिया गया। वह भारतीय इतिहास के पन्नों पर एक गुमनाम हीरो बनकर रह गईं। हालांकि, 10 मई 1984 को बेगम हजरत महल की याद और सम्मान में भारत सरकार ने एक विशेष डाक टिकट जारी किया।

बेगम हजरत महल के बारे में तथ्य और सूचनाएं

जन्म 1820
धर्म शिया इस्लाम
जन्मस्थान फैजाबाद, अवध, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
बच्चे एक बेटा
योगदान से मिली पहचान महक परी

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