अशोक को हम सभी मौर्य काल के महान सम्राट अशोक के तौर पर याद करते हैं। वह सम्राट बिंदुसार के बेटे थे। उनका जन्म सम्राट की पत्नियों में से एक धर्मा के गर्भ से हुआ था। यह माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने सम्राट अशोक के जन्म से बहुत पहले ही उनके बारे में भविष्यवाणी कर दी थी। ‘गिफ्ट ऑफ डस्ट’ कहानी में उन्होंने इसका जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि पाटलिपुत्र में एक राजा होगा, जो चार में से एक महाद्वीप पर शासन करेगा और जंबूद्वीप में मेरे प्रवचनों को प्रचारित करेगा। पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करेगा। सम्राट अशोक ने ऐसा ही किया जैसा भगवान बुद्ध ने कहा था।
अशोक शब्द का अर्थ है- ‘शोकरहित,’ जो हर तरह के शोक से मुक्त हो। उन्हें ‘देवनामप्रिय’ जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है भगवान के प्रिय। इसके अलावा उन्हें ‘प्रियदर्शी’ के तौर पर जाना जाता है, जिसका अर्थ है हर एक को बराबरी से पसंद करने वाले।
सम्राट अशोक को भारत के इतिहास के साथ-साथ दुनियाभर में दो वजहों से जाना जाता है। पहला, कलिंग युद्ध के लिए और दूसरा, भारत और दुनिया में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए। उन्होंने भारत पर 273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक राज किया। उन्होंने भारत, दक्षिण एशिया के बड़े हिस्सों के साथ ही पर्शिया पर भी एकछत्र राज किया।
शुरुआती दिनों में अशोक बेहद क्रूर थे। यह भी माना जाता है कि सिंहासन हासिल करने के लिए उन्होंने अपने सौतेले भाइयों की हत्या भी की थी। इसी का परिणाम है कि उन्हें चंड अशोक भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है क्रूर अशोक। उन्होंने अपने पड़ोसी राज्यों में अतिक्रमण करने का कोई मौका नहीं गंवाया। लेकिन कलिंग युद्ध और उसमें मिली जीत को सम्राट अशोक की आखिरी जीत माना जाता है। यह माना जाता है कि दोनों ही पक्षों के एक लाख से ज्यादा लोग इस युद्ध में मारे गए थे। कई लोग बेघर हो गए थे। इस बर्बादी का दृश्य देखने के बाद अशोक ने चिल्लाकर कहा था – ‘ये मैंने क्या कर दिया?’ इससे ही उनकी नीति में बदलाव आया। उन्होंने अपने राज्य की बेहतरी के लिए प्रयास किए। बौद्ध धर्म को अपनाया।
उन्होंने बौद्ध धर्म को न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी फैलाया। इसके लिए उन्होंने बुद्ध के जीवन से जुड़ी जगहों पर कई स्तूपों का निर्माण किया। इसकी बदौलत उन्हें धर्मअशोक की पदवी भी मिली, जिसका अर्थ है पावन या पवित्र अशोक। उन्होंने बेटे महेंद्र और बेटी संघमित्रा को सिलोन भेजा ताकि वहां बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया जा सके। अशोक ने बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए हजारों स्तूप और विहार बनवाए। अशोक ने सारनाथ में अशोक स्तंभ बनवाया, जो बहुत ही लोकप्रिय स्तूप हैं। यह भारत का राष्ट्रीय चिह्न भी है।
सम्राट अशोक ने करीब 30 साल शासन किया और उनका निधन 232 ईसा पूर्व हुआ। उन्हें भारत में आज भी बौद्ध धर्म की सेवा के लिए जान जाता है।
साइंस फिक्शन लिखने वाले उपन्यासकार एचजी वेल्स ने अशोक के बारे में सही ही लिखा था- “दुनिया के इतिहास में कई राजा-महाराजा और सम्राट हुए। उन्होंने खुद को जनता का शासक, उनका अधिनायक तक कहा। कहते रहे। वे कुछ समय के लिए चमके और गायब हो गए। लेकिन अशोक की चमक आज भी फीकी नहीं पड़ी हैं। वे आज भी एक सितारे की तरह चमकदार बने हुए हैं।”
अशोक के बारे में तथ्य और सूचनाएं
जन्म | 304 ईसा पूर्व (7 अगस्त के आसपास) |
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शासनकाल | 268-232 ईसा पूर्व |
पिता | बिंदुसार |
माता | महारानी धर्मा या शुभद्रांगी |
बच्चे | महिंदा, संघमित्रा, कुणाल, चारुमति, जालुक, तिवाला |
धार्मिक मान्यता | बौद्ध |
जन्म | पाटलिपुत्र, पटना |
राज्याभिषेक | 268 ईसा पूर्व |
निधन | 232 ईसा पूर्व (उम्र 72 वर्ष) |
मृत्यु का स्थान | पाटलिपुत्र, पटना |
अंतिम संस्कार | उनका अंतिम संस्कार 232 ईसा पूर्व में उनके निधन के 24 घंटे के भीतर हुआ था। बाद में उनकी राख को गंगा नदी में विसर्जित कर दिया गया था। |
पूर्वज | बिंदुसार |
अग्रज | दशरथ |
पत्नियां | महारानी देवी, रानी पद्मावती, तिश्यारक्षा, करुवकी, पद्मावती |
वंश | मौर्य |
उनके बारे में | अशोक भारत के महान शासकों में से एक है, जिन्होंने भारत के कई इलाकों पर शासन किया। |
शासक के तौर पर शुरुआती जीवन | अशोक बहुत ही गुस्सैल स्वभाव के थे। उदाहरण के लिए 500 मंत्रियों की मौत तो विश्वासपरस्ती की परीक्षा के दौरान ही हो गई, जो सम्राट अशोक ने ली थी। उनके हरम में 500 महिलाएं थी। |
कलिंग युद्ध | एक लाख ज्यादा सैनिक और कई आम नागरिक कलिंग युद्ध के दौरान मारे गए थे और 1,50,000 से ज्यादा घायल हुए थे। लाखों लोग बेघर हो गए थे। |
बौद्ध धर्म में परिवर्तन | युद्धभूमि में बिछी लाशें और उनके परिजनों का विलाप सुनकर सम्राट अशोक के स्वभाव में बदलाव आया। उनका व्यक्तित्व एक शांतिप्रिय और धर्मनिष्ठ राजा के तौर पर विकसित हुआ। इसके बाद उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया, जिसने भारत और दुनियाभर में इस धर्म के प्रचार-प्रसार में प्रमुख भूमिका निभाई। |
इस काम में अशोक की मदद उनके बच्चों ने की। उनके बेटे महिंदा और बेटी संघमित्रा ने सिलोन में जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया, जिसे आज श्री लंका के तौर पर जाना जाता है। | |
इन निर्माणों का श्रेय अशोक को जाता है | सांची, मध्य प्रदेश |
धमक स्तूप, सारनाथ, उत्तर प्रदेश | |
महाबोधि मंदिर, बिहार | |
बाराबार गुफाएं, बिहार | |
नालंदा विश्वविद्यालय, बिहार | |
तक्षशिला विश्वविद्यालय, तक्षशिला, पाकिस्तान | |
भीर माउंड, तक्षशिला, पाकिस्तान | |
भारहत स्तूप, मध्य प्रदेश | |
देवकोथार स्तूप, मध्य प्रदेश | |
बुत्कारा स्तूप, स्वात, पाकिस्तान | |
सन्नति स्तूप, कर्नाटक | |
मीर रुकुन स्तूप नवाबशाह, पाकिस्तान | |
कला, फिल्म और साहित्य | अशोक की चिंता एक कविता है, जिसे कवि जयशंकर प्रसाद ने कलिंग में तबाही के बाद सम्राट अशोक की भावनाओं को प्रस्तुत किया है। |
उत्तर-प्रियदर्शी एक काव्य नाटिका है, जो उनके विमोचन पर आधारित है। 1996 में इस नाटिका का मंचन रतन थियाम ने किया था। | |
पियर्स एंथोनी के स्पेस ओपेरा नॉवेल्स में अशोक का चरित्र चित्रण एक बेहतरीन प्रशासक के तौर पर किया गया है। | |
2001 में संतोष सिवान ने अशोक नाम से ऐतिहासिक फिल्म बनाई थी, जिसमें शाहरुख खान ने सम्राट अशोक और करीना कपूर ने कलिंग की राजकुमारी की भूमिका निभाई थी। यह फिल्म पूरी तरह से अशोक के जीवन पर बनी एक काल्पनिक कथा थी। | |
1973 में, अमर चित्र कथा ने सम्राट अशोक के जीवन पर आधारित एक ग्राफिक नॉवेल प्रकाशित किया था। | |
2002 में, “एम्परर अशोक” नाम से एक गाना रिलीज हुआ था, जिसे मैसन जेनिंग्स ने तैयार किया था। इसमें अशोक के जीवन का चरित्र-चित्रण था। | |
अशोक की सिंह राजधानी | अशोक की सिंह मुद्रा वाला एक स्तंभ एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक स्मारक है। इसे अशोक स्तंभ कहा जाता है, इस पर चार सिंह बने हुए हैं। एक तरफ से सिर्फ तीन सिंह ही दिखते हैं और यह हमारे देश की राष्ट्रीय मुहर है। |
चार सिंह वाला यह स्तंभ उत्तर प्रदेश के सारनाथ में अशोक स्तंभ के ऊपर बना हुआ है। | |
अशोक स्तंभ | अशोक स्तंभ को सम्राट अशोक ने ईसा-पूर्व तीसरी शताब्दी में खड़ा किया था। |
अशोक चक्र | अशोक चक्र को धर्म चक्र माना जाता है जो कि समय चक्र भी कहलाता है। यह तीलियां बौद्ध धर्म की 12 सीख और 12 मूल्यों के बारे में बात करती हैं। |