कनिष्क दक्षिण एशिया में कुषाण साम्राज्य के राजा थे। कनिष्क अपने सैन्य, राजनैतिक एवं आध्यात्मिक उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध थे और ये बौद्धों द्वारा अशोक और हर्षवर्धन के समान ही महानतम राजा माने जाते थे। कनिष्क के पास एक विशाल साम्राज्य था, यह पूर्व में ओक्सस से और पश्चिम में वाराणसी तक और उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में मालवा समेत गुजरात के तट तक विस्तारित था। कनिष्क के सिंहासनारूढ़ होने की तारीख निश्चित नहीं है, लेकिन78 ईस्वी मानी जाती है। इस वर्ष को एक युग की शुरुआत के रूप में चिह्नित किया गया, जिसे शकसंवत् के नाम से जाना जाता है।कनिष्क के शासनकाल के अन्तर्गत, कुषाणवंश अपनी शक्ति के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच गया और पूरी दुनिया में शक्तिशाली साम्राज्य बन गया।

कनिष्क सभी धर्मों के प्रति उदार थे। कनिष्क ने अपने शासनकाल के दौरान कई सिक्के भी चलाए। कनिष्क के सिक्कों में हिंदू, बौद्ध, यूनानी, फारसी और सुमेरियाई देवी- देवताओं के चित्र मिले हैं, जो उनकी धर्मनिरपेक्ष धार्मिक नीति को दर्शाते हैं। कनिष्क को बौद्ध धर्म में दिए गए उनके सहयोग के लिए याद किया जाता है। कनिष्क ने बौद्ध धर्म अपनाया था और कश्मीर में चौथी बौद्ध परिषद का आयोजन भी किया।  कश्मीर में इस परिषद ने बौद्ध धर्म की महायान संप्रदाय की शुरुआत को चिह्नित किया। कनिष्क ने गांधार स्कूल ऑफ ग्रेको-बौद्ध आर्ट और मथुरा स्कूल ऑफ हिंदू आर्ट दोनों को सहायता प्रदान की। कनिष्क ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए बौद्ध धर्म-के प्रचारकों को भेजा। कनिष्क को बौद्ध वास्तुकला में मुख्य रूप से बहु मंजिला स्मारक चिन्ह स्तूप के लिए याद किया जाता है, जो कि पेशावर में उनके द्वारा निर्मित बुद्ध के अवशेषों को दर्शाता है। चीनी यात्री ह्वेनसांग, जो सातवीं शताब्दी में भारत आए थे, इस बहुमंजिला स्तूप का विस्तृत विवरण किया हैं। चीन में अपने क्षेत्रों के विस्तार के साथ उन्होंने बौद्ध धर्म का भी प्रचार प्रसार किया। विभिन्न बौद्ध धर्मशास्त्री जैसे वासुमित्र, पार्श्व, संघरक्ष और अश्वघोष कनिष्क से संबंधित हैं। कनिष्क द्वारा बौद्ध धर्म को दी गई सभी सहायता राजनीतिक रही हैं।

इतिहासकार कनिष्क की मृत्यु को लेकर संदेहास्पद हैं। चीनी इतिहासकार राजा कुषाण की कहानी बयां करते हैं, जो पहली शताब्दी पूर्व  के अंत में जनरल पान चाओ द्वारा पराजित हुए थे, कुछ लोगों का मानना है कि वह राजा कनिष्क थे।

 

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