राम सिंह कुका एक सैनिक, धार्मिक नेता और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के  एक प्रमुख योगदान कर्ता थे। राम सिंह कुका, कुका आंदोलन के संस्थापक थे। अंग्रेजों के साथ उनकी असहयोग की नीति, मुख्यतः पंजाब में जनता के बीच बेहद लोकप्रिय थी।

राम सिंह कुका का जन्म वर्ष 1816 में पंजाब के लुधियाना जिले के भैनी गाँव में हुआ था। राम सिंह कुका सिख सेना में एक सैनिक के रूप में शामिल हुए और वहाँ पर वे भाई बालक सिंह से मिलकर काफी प्रभावित हुए। भाई बालक सिंह की मृत्यु के बाद, राम सिंह कुका ने धर्म-प्रचारक कार्यों की जिम्मेदारियों को संभाला। राम सिंह कुका ने सिखों के बीच जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और उन्होंने अंतरजातीय विवाह और विधवा पुनर्विवाह के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया था।

राम सिंह कुका ने ब्रिटिश शासन का पूर्ण रूप से विरोध किया और उनके खिलाफ गहन असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। राम सिंह कुका के नेतृत्व में लोगो ने अंग्रेजी शिक्षा, मीलों में बने कपड़े और बाहर से आए अन्य आयातित सामानों का भी बहिष्कार किया। कुका या नामधारी आंदोलन ने समय के साथ अपनी गति बढ़ा दी थी और ब्रिटिश ने कई कुका स्वतंत्रता सेनानियों को हिंसक रूप से मारने का विरोध किया था। राम सिंह कुका को बंदी बनाकर रंगून भेज दिया गया और उसके बाद उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाकर अंडमान जेल भेज दिया गया। 29 नवंबर 1885 में राम सिंह कुका का निधन हो गया था।

बाबा राम सिंह का उनके अनुयायियों पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा था कि उनकी मृत्यु के बाद भी उनके अनुयायियों ने विश्वास नहीं किया कि वह वास्तव में मर चुके हैं। उनको लगता था कि लोगों का मार्ग दर्शन करने के लिए वह वापस लौट आएंगे। राम सिंह कुका की मृत्यु के बाद, असहयोग और सविनय अवज्ञा की प्रणाली को बाद में महात्मा गांधी द्वारा अपनाया गया था।

राम सिंह कुका के बारे में कुछ जानने योग्य तथ्य और जानकारी

उपनाम सतगुरू
जन्म स्थान 3 फरवरी 1816 (श्री भैनी साहिब, पंजाब)
मृत्यु 18 जनवरी 1872 (ढाका, बांग्लादेश)
राष्ट्रीयता भारतीय
गुरु सिख गुरु
दर्शन गुरु ग्रंथ साहिब के दर्शन
संप्रदाय नामधारी
सिद्धांत दुनिया को सभ्य बनाना
गठन 1857
वर्ग धार्मिक और आध्यात्मिक
कानूनी स्थिति सक्रिय
उद्देश्य शैक्षिक, धार्मिक अध्ययन, आध्यात्मिकता
मुख्यालय भारत, पंजाब, श्री भैनी साहिब
पिता सरदार जस्सा सिंह
प्रारंभिक शिक्षा भैनी साहिब के गुरुमुखी और गुरुबानी में
सेना में कार्य उन्होंने कई वर्षों तक महाराजा रणजीत सिंह के पोते कुँवर नौनिहाल सिंह के अधीन खालसा सेना के साथ कार्य किया।
बहिष्कार उन्होंने जनता को शामिल करके ब्रिटिश शैक्षणिक संस्थानों, कानून अदालतों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया।
स्वतंत्रता के लिए लड़े भारत में ब्रिटिश शासन का अंत करने में राम सिंह ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
“संत खालसा” का गठन राम सिंह द्वारा संत खालसा की स्थापना की गई थी, जिसने अंत में कुका आंदोलन का नेतृत्व किया था।
गुरु गोविन्द सिंह के ग्रंथ गुरु गोबिंद सिंह द्वारा मूर्तियों के विरूद्ध, लिखित ग्रंथपाठमें राम सिंह ग्रंथ साहिब को सबसे पवित्र माना जाता है।
मलेरकोटला नरसंहार वर्ष 1872 में मलेरकोटला नरसंहार के बाद, भैनी साहिब को घेर लिया गया था और कानून द्वारा कुका आंदोलन को निषिद्ध कर दिया गया था।
गिरफ्तारी और कैद करना राम सिंह को इलाहाबाद में गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद उन्हें बर्मा (म्यांमार) भेज दिया गया था।
नामधारी की मान्यताएं कुका लोग “अमर” होने पर विचार किया करते थे।

 

 

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