पारुपल्ली कश्यप एक प्रसिद्ध भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। वर्तमान समय में वह भारत के एकल पुरुष में सर्वोच्च् बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। ग्लास्गो में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में उन्होंने पुरुषों के एकल टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतकर भारत को गर्वित किया है। उन्होंने लंदन ओलंपिक 2012 के क्वार्टर फाइनल में भी अपनी जगह बनाई, लेकिन पदक जीतने में चूक गये। पारुपल्ली दाएं हाथ के खिलाड़ी हैं और सन् 2012 में अर्जुन पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रारंभिक जीवन-

पारूपल्ली कश्यप का जन्म 8 सितंबर 1986 को हैदराबाद में उदय शंकर और सुभद्रा शंकर के यहाँ हुआ था। 11 वर्ष की आयु से ही उन्होंने बैडमिंटन को एक मनोरंजक खेल के रूप में खेलना शुरू कर दिया और इस खेल को लगन के साथ खेलने लगे। उन्हें पहली बार हैदराबाद में बैडमिंटन के कोच एस.एम. आरिफ द्वारा आयोजित प्रशिक्षण शिविर के लिए भर्ती किया गया। उनके पिता की स्थानांतरणीय नौकरी थी और इसलिए उनका परिवार बेंगलुरु में जाकर रहने लगा, जहां पर वे पादुकोण अकादमी में शामिल हो गए। फिर वर्ष 2004 में हैदराबाद वापस चले गये जहां पर उनको चिकित्सा परीक्षणों के बाद अपनी अस्थमा बीमारी का पता चला था। उनकी चिकित्सक हालत को देखते हुए लग रहा था कि उनका खेल कैरियर समाप्त हो सकता था, लेकिन वह अपने दृढ़ संकल्प के साथ इन समस्याओं से उभर कर आगे बढ़ना चाहते थे।

कुछ उपयुक्त दवाओं से उनकी स्थिति में काफी सुधार हुआ है और गोपीचंद अकादमी में उन्होंने अपने कोच पुलेला गोपीचंद के तहत अपने प्रशिक्षण को सीखना जारी रखा।

पेशेवर कैरियर-

11 वर्ष की आयु में ही पारुपल्ली ने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था, लेकिन अपने पेशेवर कैरियर की शुरूआत पारुपल्ली कश्यप ने वर्ष 2005 और वर्ष 2006 से राष्ट्रीय औरअंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की। वर्ष 2005 में, पारुपल्ली कश्यप ने राष्ट्रीय जूनियर ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप में लड़कों का एकल खिताब जीता। वर्ष 2006 में, पारुपल्ली कश्यप ने हांगकांग के ओपन बैडमिंटन में भाग लिया जहां पर वह प्री-क्वार्टर फाइनल में पहुँचे। उसी वर्ष बिटबर्गर ओपन में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देकर वह सेमीफाइनल तक पहुँच गये। इस जीत के बाद उनकी विश्व रैंकिंग में सुधार हुआ और वह 64 वें पायदान पर पहुँच गये। उसी वर्ष 2006 में कश्यप को एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था। 33 वें राष्ट्रीय खेलों के दौरान, कश्यप ने राष्ट्रीय चैंपियन चेतन आनंद को हराकर आंध्र प्रदेश के लिए स्वर्ण पदक जीता।

वर्ष 2009 में, वह डच ओपन और वरिष्ठ नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप और सिंगापुर सुपर सीरीज के सेमीफाइनल तक पहुँच गए। यह वर्ष 2010 का राष्ट्रमंडल खेल था, जब पारूपल्ली ने भारत के लिए कांस्य पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया। वह 2010 के इंडिया ओपन ग्रांड प्रिक्स के सेमीफाइनल में भी पहुँच गये थे।

वर्ष 2012 में, पारुपल्ली कश्यप 2012 के डीजेरम इंडोनेशिया ओपन के सेमीफाइनल तक पहुँचे थे। 2012 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में पारुपल्ली कश्यप को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि वह ओलंपिक हार गए, फिर भी ओलंपिक में इस स्तर तक पहुँचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बनकर इतिहास रच वर्ष 2013 कोरिया में जीत के बाद उनका कई श्रेणियों में सुधार हुआ दिया। और वह दुनिया में 10 वें स्थान पर रहे। अप्रैल 2013 में बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (बीडब्ल्यूएफ) की रैंकिंग के अनुसार, इंडोनेशिया के तौफीक हिदायत के खिलाफ पारुपल्ली कश्यप ने जो मैच खेला उसमें अपने बेहतर प्रदर्शन के बाद भी वह छठे स्थान पर रहे।

पारुपल्ली की सबसे उल्लेखनीय और यादगार जीत वर्ष 2014 में खेले गये  राष्ट्रमंडल खेलों की है जिसमें उन्होंने स्वर्ण पदक जीता है। वर्ष 1982 में सैयद मोदी की जीत के 32 साल बाद पुरुष एकल श्रृंखला में भारत को स्वर्ण पदक हासिल हुआ।

पुरुस्कार और उपलब्धियां-

  • पारुपल्ली ने 11 वर्ष की आयु में बैडमिंटन खेलना शुरू किया।
  • पारुपल्ली इस खेल के लिए सप्ताह में छ:बार अभ्यास करते हैं।
  • पारुपल्ली ने वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता।
  • पारुपल्ली कश्यप ओलंपिक खेल 2012 के क्वार्टर फाइनल तक पहुँचने वाले भारत के पहले पुरुष खिलाड़ी है।
  • वर्ष 2012 में, पारुपल्ली कश्यप ने बैडमिंटन में अपनी उपलब्धियों के लिए अर्जुन पुरुस्कार जीता।
  • पारुपल्ली अस्थमा से ग्रस्त हैं जिसके लिए उन्हें विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी (डब्ल्यूएडीए) से एक चिकित्सीय उपयोग छूट (टीयूई) प्रमाणपत्र प्राप्त करने की जरूरत है।
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