शाइनी विल्सन (नी अब्राहम) का जन्म 8 मई 1965 को केरल के इडुक्की जिले के थोडुपुझा गांव में हुआ था। शाइनी विल्सन अब्राहम 14 साल तक 800 मीटर की दौड़ में राष्ट्रीय चैंपियन रही, इन्होंने 1985 में, जकार्ता से शुरू करने के साथ ही लगातार छह एशियाई ट्रैक एंड फील्ड मीट्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया। बचपन से ही शाइनी एथलेटिक्स खेलों की तरफ आकर्षित थी। इन्होंने कोट्टायम में खेल विभाग में प्रसिद्ध एथिलीट पी.टी.उषा और एम डी वलसम्मा के साथ एन.आई.एस. कोच पी. जे. देवेस्ला से खेलों की शिक्षा लेने के लिए शामिल हुई। इसके बाद शाइनी विल्सन अब्राहम ने अपने खेलों का प्रशिक्षण तिरुवनंतपुरम के जी.वी. राजा स्पोर्ट्स स्कूल से किया। इन्होंने चार ओलंपिक और तीन एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। शाइनी 1984 के लॉस एंजेलिस में हुए ओलंपिक खेलों में,ओलंपिक प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में प्रवेश करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। शाइनी 4×400 रिले टीम का एक हिस्सा रही, जिसने उस समय के नए एशियाई रिकॉर्ड की स्थापना की थी और 1984 के ओलंपिक खेलों के फाइनल में प्रवेश किया था। इन्होंने 1992 के ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाडि़यों की कप्तानी भी की।

शाइनी के करियर में सबसे दुखद क्षणों में से एक वह था, जब इन्हें 1986 में सियोल में हुए एशियाई खेलों के दौरान आयोग्य घोषित कर दिया गया था, जिस समय वे अपने कार्यक्षेत्र का नेतृत्व कर रही थी। 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक खेलों में वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं, जिन्हें भारत के लिए ध्वजवाहक बनाने का सम्मान दिया गया था। 1989 में, दिल्ली में हुए एशियन ट्रैक एंड फील्ड मीट्स में शाइनी के लिए अत्यन्त यादगार प्रतियोगिता रही, क्योंकि शाइनी के गर्भवती होने के बावजूद भी उन्होंने 800 मीटर की दौड़ में चीन की सन सूमी के बाद दूसरा स्थान प्राप्त किया था, लेकिन सूमी डोप टेस्ट में पॉजिटीव पाई गईं और शाइनी को विजेता घोषित कर दिया गया। एशियाई ट्रैक और फील्ड मीट्स में, इन्होंने कुल 7 स्वर्ण पदक, 6 रजत पदक और 2 कांस्य पदक जीते हैं।

शाइनी पूर्व अंतर्राष्ट्रीय तैराक और अर्जुन पुरस्कार विजेता चेरियन विल्सन के साथ शादी के बंधन में बंधी। शाइनी को अपने कार्यक्षेत्र की उपलब्धियों के लिए 1985 में अर्जुन पुरस्कार, 1996 में बिरला पुरस्कार और 1998 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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