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भारत के मेले और त्यौहार

मेले और त्यौहार भारत का एक बड़ा आकर्षण है। यह इस देश की जीवंत संस्कृति को तो दिखाते ही हैं साथ ही यह भारत के पर्यटन उद्योग में भी बहुत खास जगह रखते हैं। इन्हें इनकी जड़ें परंपरा, धार्मिक विश्वास, मिथकों और देश के मौसमों में मिलती हैं।

मौसम के बदलने पर त्यौहार
मेले और त्यौहार या तो मौसम बदलने का जश्न हैं या फिर ये धार्मिक स्वभाव के हैं। उदाहरण के लिए मेवाड़ महोत्सव और होली, वसंत के मौसम के आने की निशानी है। राजस्थान की तीज मानसून की शुरुआत बताती है। वहीं दूसरी ओर केरल का ओणम और असम का बीहू, फसल की कटाई का उत्सव है। अन्य दूसरे त्यौहार, जैसे कोणार्क नृत्य महोत्सव भारत की संस्कृति को बढ़ावा देता है।

धार्मिक त्यौहार
यहां धार्मिक त्यौहार बड़ी संख्या में हैं। दुर्गा पूजा, गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी, क्रिसमस, ईद-उल-फितर, रथ यात्रा, वसंत पंचमी, राम नवमीं भारत के लोकप्रिय त्यौहारों में से कुछ हैं। इनके अलावा जो दूसरे त्यौहार यहां मनाए जाते हैं उनमें डेजर्ट फेस्टिवल, हाथी महोत्सव, रक्षा बंधन, नवरोज़, दीपावली और दशहरा शामिल हैं।

मेले
समय समय पर भारत में बड़ी संख्या में मेले आयोजित होते हैं। दूर दूर से लोग इन मेलों में भाग लेने आते हैं। यहां तक कि सैलानी अपनी छुट्टियां इन मेलों के समय के हिसाब से प्लान करते हैं। पुष्कर मेला, उर्स अजमेर मेला और सूरजकुंड शिल्प मेला भारत के कुछ मशहूर मेलों में से हैं। स्थानीय लोगों और विदेशियों में कुंभ मेला और रंगीन और विशाल गोवा कार्निवल बेहद लोकप्रिय है।

भारत में मेले और त्यौहार चंद्र कैलेंडर के मुताबिक आयोजित होते हैं। इन रंगीन आयोजनों में सभी जाति, धर्म के लोग साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं। जुलूस निकलते हैं, प्रार्थनाएं होती हैं, तोहफों का लेनदेन होता है और इन बहुरंगी उत्सवों में लोग नाचते और गाते हैं।

भारत की समृद्ध संस्कृति के असली रंग दिखाने के अलावा ये मेले और त्यौहार देश में सैलानियों के आने के लिए आकर्षण पैदा करने में बहुत महत्व रखते हैं। ये त्यौहार देश के लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।

अंतिम संशोधन : दिसबर 23, 2015