फील्ड मार्शल कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा का जन्म 28 जनवरी सन् 1899 को कूर्ग नामक शहर में हुआ था। मदिकेरी शहर से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद के.एम.करिअप्पा मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में अध्ययन करने के लिए मद्रास चले गये। वह एक सक्रिय खिलाड़ी थे।

के.एम.करिअप्पा, कुछ उन प्रमुख लोगों में से एक थे जिन्हें इंदौर के डेली कैडेट कॉलेज में केसीआईओ (किंग्स् कमीशंड इंडियन ऑफिसर) के पहले बैच के लिए चुना गया था और उनको कार्नाटिक इन्फेंट्री में नियुक्त किया गया था।

फील्ड मार्शल के.एम करिअप्पा ने अपने कार्य की शुरुआत मेसोपोटामिया (वर्तमान इराक) की 37 (प्रिंस ऑफ वेल्स) डोगरा टीम के साथ की थी और फिर दूसरे राजपूत लाइट इन्फेंट्री (रानी विक्टोरिया शासनाधिकृत) में नियुक्त कर दिए गये।

करिअप्पा, वर्ष 1933 में क्वेटा के स्टाफ कॉलेज में कोर्स पूरा करने वाले पहले भारतीय अधिकारी बन थे। वर्ष 1946 में, उन्हें फ्रंटियर ब्रिगेड ग्रुप के ब्रिगेडियर के रूप में पदोन्नत कर दिया गया था।

के.एम. करिअप्पा, वर्ष 1941-1942 के दौरान इराक, सीरिया और ईरान और फिर वर्ष 1943-1944 में बर्मा जैसे देशों में कार्यरत रहे थे। वर्ष 1942 में एक टीम लीडर ऑफिसर के रूप में कार्य करने वाले वह पहले भारतीय अधिकारी थे।

फील्ड मार्शल के.एम करिअप्पा को अपने प्रतिष्ठित कैरियर में कई पुरस्कारों के साथ-साथ काफी प्रशंसा मिली। करिअप्पा वर्ष 1947 में, ब्रिटेन के इंपीरियल डिफेन्स कॉलेज, कैमर्ली में अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को पूरा करने वाले पहले भारतीय थे।

भारत की आजादी के बाद, के.एम. करिअप्पा को मेजर जनरल के पद के साथ जनरल स्टाफ के उपाध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त किया गया। इसके बाद, वह पाकिस्तान के साथ प्रारम्भ हुए युद्ध के के दौरान पश्चिमी सेना के पूर्वी सेना कमांडर और जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में नियुक्त किये गये थे।

15 जनवरी सन् 1949 को के.एम. करिअप्पा को एक स्वतंत्र भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ के रूप में नियुक्त किये गए। वर्ष 1953 में भारतीय सेना से सेवानिवृत्ति होने के बाद, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में भारत के एक उच्चायुक्त के रूप में सेवा की थी।

तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति, हैरी एस. ट्रूमैन द्वारा उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ द चीफ कमांडर ऑफ द लेजियन ऑफ मेरिट’ से सम्मानित किया गया था और वर्ष 1983 में भारत सरकार ने करिअप्पा को फील्ड मार्शल पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की थी।

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