पलानीअप्पन चिदंबरम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और भारत के पूर्व वित्त मंत्री हैं। पेशे से एक वकील होने के साथ-साथ पी. चिदंबरम ने तीन साल तक गृह मंत्री के रूप में भी काम किया है। इनका जन्म 16 सितंबर 1945 को तमिलनाडु राज्य के शिवगंगा जिले के कनाडुकथन गाँव में हुआ था और इनके दो भाई और एक बहन है। पी. चिदंबरम की शादी नलिनी चिदंबरम के साथ हुई है और उनका एक बेटा कार्ति पी. चिदंबरम है, जो कांग्रेस पार्टी के राजनेता हैं।

पी. चिदंबरम ने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज से सांख्यिकी में बैचलर ऑफ साइंस (बीएसी) की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मद्रास लॉ कॉलेज से बैचलर ऑफ लॉ (एलएलबी) की डिग्री हासिल की, जिसे वर्तमान में डॉ. अंबडेकर गवर्मेंट लॉ कॉलेज, चेन्नई के नाम से जाना जाता है। उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) की डिग्री हासिल की और चेन्नई के लोयला कॉलेज से परास्नातक की डिग्री प्राप्त की है। वह चेन्नई उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में नामांकित है और उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में और देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में भी इसका अभ्यास किया है।

चिदंबरम पहली बार वर्ष 1984 में, लोकसभा में तमिलनाडु राज्य के शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े और वर्ष 1989, वर्ष 1991, वर्ष 1996, वर्ष 1998, वर्ष 2004 और वर्ष 2009 के उत्तरार्ध में उसी निर्वाचन क्षेत्र से फिर से निर्वाचित हुए। वर्ष 1986 में उन्होंने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में सेवा की और इन्हें गृह मंत्रालय में आंतरिक सुरक्षा के लिए राज्यमंत्री के रूप में अतिरिक्त जिम्मेदारी भी प्रदान की गई थी।

वर्ष 1991 में पी. चिदंबरम को वाणिज्य मंत्रालय का राज्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन एक साल बाद कुछ विवादों के कारण इन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वर्ष 1995 में वह फिर से उसी पद पर नियुक्त हुए और उन्होंने भारत में आयात और निर्यात की नीतियों में कुछ संशोधन भी किए। वर्ष 1996 में पी. चिदंबरम ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया और मूपनार के साथ तमिल मनीला कांग्रेस (टीएमसी) पार्टी का गठन किया तथा लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस पार्टी के सांसद बने। वर्ष 1996 के आम चुनाव में तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठबंधन करके अपनी सरकार बनाई और पी. चिदंबरम को केंद्रीय वित्त मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया। वर्ष 1998 में गठबंधन सरकार गिरने के बाद भी उन्होंने दो साल तक वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला था।

वर्ष 2001 में उन्होंने तृणमूल पार्टी से अलग होकर अपनी “कांग्रेस जनानायक पेरावई” पार्टी का गठन किया। बाद में उन्होंने 2004 में अपनी पार्टी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के साथ जोड़ लिया था।

उसी वर्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा पी. चिदंबरम को वित्त मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया था। वर्ष 2008 तक वह इसी पद पर कार्यरत रहे और बाद में उसी साल शिवराज पाटिल पर अत्याधिक दबाव पड़ने के कारण, उनके द्वारा अपना इस्तीफा देने के बाद, पी. चिदंबरम को केंद्रीय गृह मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया था। उन्होंने वर्ष 2009 तक गृह मंत्री के रूप में देश की सेवा की। जुलाई 2012 में, जब प्रणव मुखर्जी ने भारत के राष्ट्रपति बनने के लिए वित्त मंत्री का पद छोड़ दिया था, तो पी. चिदंबरम को वित्त मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया था।

पी. चिदंबरम ने भारत के वित्तीय और वाणिज्यक क्षेत्र में अपना काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वर्ष 2008 के बजट के दौरान, भारतीय अर्थव्यवस्था की सामूहिक जरूरत तथा किसानों के कर्ज को माफ करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और इस प्रकार मंदी के प्रभाव से भारत की रक्षा भी की थी। वर्ष 1996 से 1997 के “ड्रीम-बजट” में, पी. चिदंबरम ने असहनीय राजकोषीय घाटे से निपटने के लिए, एक महत्वाकांक्षी कर सुधार कार्यक्रम की शुरूआत करके सरकार के खर्च को अनुशासित कर दिया था।

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