श्रेया सिंघल एक 21 वर्षीय दिल्ली की छात्रा हैं, जिन्होंने ब्रिस्टल विश्वविद्यालय से भौतिकी और खगोल भौतिकी में डिग्री हासिल की है। श्रेया सिंघल एक वकील परिवार से संबंधित हैं, इनकी माता मनाली सिंघल पेशे से एक वकील हैं और इनके दादा दादी न्यायधीश सुनंदा भंडारे और मुरली भंडारे हैं, लंबे समय तक एक वरिष्ठ अधिवक्ता के  रूप में कार्य  करने के बाद इनको ओडिशा के राज्यपाल का कार्यभार सौंपा गया।

फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग साइटों का लगातार उपयोग करते हुए श्रेया हाल ही में समाचारों में रह चुकी हैं, क्योंकि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को अपने उस कानून की समीक्षा करने को कह दिया था जिसके तहत महाराष्ट्र की दो युवतियों को फेसबुक पर (विवादित) पोस्ट करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। अब भारत सरकार ने अपने साइबर कानून में कुछ बदलाव किए हैं, इसमें नागरिकों को विवादित मानी जाने वाली ऑनलाइन गतिविधियों के लिए गिरफ्तारी का प्रबंध किया गया है। हाल ही में हुई गिरफ्तारियों का कारण ऑनलाइन कार्यकर्ताओं और मीडिया से की गयी गंभीर आलोचनाएं थी। सिंघल जो देश भर के न्यायालयों में आवेदन करने की प्रक्रिया में है, को उनकी भावनाओं पर बहुत ही मुखर माना जाता है वह कोई भी बात कहने में संकोच नहीं करती हैं, उनका मानना है कि यदि हर कोई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चुप्पी साधे रहेगा तो जल्द ही हम लोग एक गूँगे समाज का हिस्सा बन जाएंगे या जल्द ही हमारा समाज गूँगा हो जाएगा।

सिंघल ने मीडिया को बताया कि “लोग टीवी वगैरह पर तो अपने विचार व्यक्त करते हैं लेकिन उनको कभी गिरफ्तार नहीं किया जाता है। तो इंटरनेट इससे अलग क्यों है? यह भी तो केवल एक अन्य सार्वजनिक मंच ही है। मुझे लगता है कि अपने विचार व्यक्त करने और आलोचना करने वालों को गिरफ्तार करके इस कानून का दुरूपयोग किया जा रहा है।“ श्रेया ने सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी) की धारा 66 (ए) के खिलाफ याचिका भी दायर की है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने इस याचिका का स्वागत किया और आश्चर्य व्यक्त किया है कि क्यों अभी तक सुप्रीम कोर्ट में कोई इस विषय पर चर्चा करने नहीं पहुँचा है। आईटी अधिनियम की धारा 66 (ए) इलेक्ट्रॉनिक संदेशों के माध्यम से घृणा और विवाद फैलाने वालों से निपटने के लिए कार्य करती है, लेकिन भाषा में अस्पष्टता के कारण, इसकी आलोचना की गई है, कि बहुत ही आसानी से इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है। इसमें तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान है, इसमें कम्प्यूटर या किसी भी संचार उपकरण के माध्यम से ऐसे संदेशों को प्रसारित करना शामिल है जो आक्रमक हों , घृणा या विवाद का कारण बने।

धारा 66 (ए) के खिलाफ अपनी याचिका में श्रेया ने महाराष्ट्र की दो महिलाओं की गिरफ्तारी का उल्लेख किया है, जिन्होंने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद मुंबई बंद करने के बारे में फेसबुक पर कुछ पोस्ट कर दिया था। शिवसेना के एक नेता ने उनके खिलाफ एक मामला दर्ज करवाया था, यह प्रकरण इंटरनेट उपयोगकर्ताओं और मीडिया के बीच विवाद का कारण बन गया था जिनका यह मानना था कि इन महिलाओं के खिलाफ इन मामलों को बहुत बढ़ा चढ़ा कर दर्ज करवाया गया था। सिंघल ने कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी और पश्चिम बंगाल के एक प्रोफेसर की गिरफ्तारी को भी संदर्भित किया था, जो कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को फेसबुक पर कार्टून पोस्ट करते थे।

श्रेया सिंघल एकमात्र ऐसी छात्रा हैं जिन्होंने दिल्ली के वसंत घाटी विद्यालय से पढ़ाई की है, और अपने गैप ईयर को दिल्ली में व्यतीत कर रही हैं। यह अमेरिका और भारत के कानून विद्यालयों में आवेदन करने का विचार कर रही हैं और इसी बीच इन्होंने यह याचिका दायर की है। इस याचिका को लेकर इन्होंने सकारात्मक परिणाम की उम्मीद की है। इसमें इनकी मां मनाली का भी पूर्ण समर्थन है, जो एक सर्वोच्च न्यायालय की वकील हैं।

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