महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु यह साबित करने वाले पहले व्यक्ति थे कि पौधों में भी भावनाएं होती हैं। मेमनसिंह (वर्तमान में बांग्लादेश) में 30 नवंबर, 1858 को जन्मे, जगदीश चंद्र बसु को वायरलेस टेलीग्राफी का आविष्कार करने का श्रेय दिया गया था। इससे एक साल पहले मार्कोनी से अपने आविष्कारों के लिए पेटेंट (अविष्कारों के लिए पूर्ण अधिकार) प्राप्त किया था। जगदीश चन्द्र बसु के पिता भगवान चंद्र बसु एक डिप्टी मजिस्ट्रेट थे।

युवा जगदीश चंद्र बसु ने 1869 में कोलकाता, पश्चिम बंगाल जाने से पहले अपने गांव के स्कूल से ही अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। 1880 में, इंग्लैंड जाने से पहले, 1879 में भौतिक विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

जगदीश चन्द्र बसु ने लंदन विश्वविद्यालय में एक साल तक चिकित्सा का अध्ययन किया, लेकिन अपने खराब स्वास्थ्य के कारण वह पाठ्यक्रम (कोर्स) को पूरा नहीं कर सके। जगदीश चन्द्र बसु छात्रवृत्ति प्राप्त करने के बाद कैम्ब्रिज के क्राइस्ट महाविद्यालय में प्रकृति विज्ञान का अध्ययन करने के लिए कैम्ब्रिज चले गए। वर्ष 1885 में, वह बीएससी की उपाधि प्राप्त करने के बाद भारत वापस लौट आए। भारत वापस लौटने के बाद, उनको कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में सहायक अध्यापक की नौकरी मिली, लेकिन उनको अंग्रेजी सहयोगियों से आधा वेतन दिया जाता था। हालांकि, जगदीश चन्द्र बसु ने नौकरी स्वीकार कर ली, लेकिन ये इस बात के विरोध में अपना वेतन लेने से इनकार करते रहे जब तक कॉलेज ने इनकी मांग स्वीकार नहीं कर ली और बाद में उनकी नियुक्ति तिथि से लेकर पूर्ण वेतन का भुगतान किया गया। जगदीश चन्द्र बोस के पढ़ाए हुए कई छात्र बेहतर शिक्षा प्राप्त करके प्रसिद्ध हुए, जिसमें सत्येंद्र नाथ बोस और मेघनाद साह जैसे नाम शामिल हैं।

1894 में, जगदीश चंद्र बसु ने शुद्ध शोध करने के लिए अपने समय और ऊर्जा को समर्पित करना शुरू कर दिया। जगदीश चन्द्र बसु ने अपवर्तन, विवर्तन और अन्य वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से जुड़े प्रयोग किए। उन्होंने धातुओं और पौधों के अध्ययन को भौतिक विज्ञान में परिवर्तित कर दिया। जगदीश चंद्र बसु ने समझाया कि पौधों में भी जान होती है और पौधों की नब्ज की गति को मापने के लिए एक उपकरण का आविष्कार किया। अपने शोध के अलावा, जगदीश चन्द्र बसु ने कोलकाता में बसु संस्थान की स्थापना की, जो मुख्य रूप से पौधों के अध्ययन के लिए समर्पित है। 23 नवंबर, 1937 को इस महान वैज्ञानिक का निधन हो गया।

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