विज्ञान के एक असाधारण प्रतिभाशाली व्यवस्थापक और प्रशासक, के. चंद्रशेखरन का जन्म 21 नवंबर सन् 1920 को वर्तमान आंध्र प्रदेश के मछलीपत्तनम नामक शहर में हुआ था। उन्होंने संख्या सिद्धांत और संकलनीयता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है। वह जर्नल ऑफ द इंडियन मैथमैटिकल सोसाइटी के एक सफल संपादक थे।

कोमारवोलु चंद्रशेखरन ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गुंटूर जिले के बापटला नामक शहर से प्राप्त की थी। उन्होंने गणित में परास्नातक की डिग्री चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज से प्राप्त की और फिर वर्ष 1940 से 1943 तक मद्रास विश्वविद्यालय के गणित विभाग में एक विद्वान शोधकर्ता के रूप में कार्य किया था। उसी वर्ष वह प्रेसीडेंसी कॉलेज में एक अंशकालिक प्रवक्ता के रूप में नियुक्त हो गए और इस समय कैम्ब्रिज में रामानुजन के साथ रहे आनंद राव के माध्यम से अपनी पीएच.डी. की डिग्री भी प्राप्त कर ली।

चंद्रशेखरन, यू.एस.ए. में स्थित प्रिंसटन के एक संस्थान में उच्च अध्ययन के लिए गये थे तभी वहाँ प्रिंसटन में उनके प्रवास के दौरान होमी भाभा द्वारा उन्हें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के गणित स्कूल में नियुक्त होने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने टीआईएफआर के गणित स्कूल को विश्वव्यापी मान्यता प्राप्त उत्कृष्टता के केंद्रों में शामिल करने के लिए काफी कड़ी मेहनत की। उन्होंने टीआईएफआर में रिसर्च विद्वानों की भर्ती और प्रशिक्षण की एक सफल विधि की स्थापना की थी। अभी भी वहाँ लगातार चल रहा है। चंद्रशेखर ने टीआईएफआर की जाँच करने और दो महीने और उससे अधिक समयावधि के व्याख्यान के पाठ्यक्रम देने के लिए दुनिया के अग्रणी गणितज्ञों के साथ अपने संपर्कों का उपयोग किया था। जिनमें फील्ड पदक विजेता एल. श्वार्टज़  और सी.एल. सीगल जैसे से कुछ विद्वान शामिल थे।

के. चंद्रशेखरन की कई उपलब्धियों में से सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियां निम्न प्रकार हैं:

  • अंतर्राष्ट्रीय गणितीय संघ (आईएमयू) की कार्यकारी समिति के सदस्य – (1955-1961)
  • आईएमयू के सचिव -(1961-1966)
  • आईएमयू के अध्यक्ष -(1971-1974)।
  • वैज्ञानिक संघों की अंतर्राष्ट्रीय परिषद के उपाध्यक्ष -(1963-1966)
  • महासचिव– (1966-1970)
  • भारत सरकार के मंत्रीमंडल में वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य –(1961-1966)

प्राप्त पुरस्कार-

  • पद्मश्री पुरस्कार – वर्ष 1959
  • शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार – वर्ष 1963
  • रामानुजन पदक – वर्ष 1966

के. चंद्रशेखरन जी का भारतीय गणित में योगदान एक अविस्मरणीय तथ्य है।

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