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भैया दूज 2016

भैया दूज के बारे में

रोशनी के जगमगाते त्यौहार दीवाली की तमाम भव्यता के बाद, पांच दिनों के दीपावली उत्सव के आखिरी दिन भारत भर में ’भैया दूज’ मनाया जाता है जो कि भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। भैया दूज शुक्ल पक्ष में आता है। शाब्दिक अर्थों में ’भैया’ यानी भाई और ’दूज’ का अर्थ है नए चंद्रमा के उदय के बाद का दूसरा दिन, जिस दिन ये उत्सव मनाया जाता है।

भैया दूज 2016



भैया दूज मंगलवार 1 नवम्बर को है।

भैया दूज की कहानी



हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, भैया दूज का हिंदू धर्म में बहुत मूल्य और महत्व है। हिंदू धर्म के लगभग सभी त्यौहार और प्रथाएँ किसी न किसी विशेष चरित्र और आदर्श से जुड़े हैं जो उनके मनाए जाने को सही ठहराते हैं और लोगों को उनके महत्व को समझाने में मदद करते हैं।

पीढ़ी दर पीढ़ी भैया दूज की यह कहानी आगे बढ़ती जाती है। कहानी कुछ इस प्रकार है कि एक गांव में एक परिवार रहता था जिसमें दो बच्चे थे, एक बड़ी बहन और उसका एक छोटा भाई। क्योंकि बहन बड़ी थी, उसकी शादी हुई और वह चली गई और उसका भाई अकेला रह गया। समय के साथ वह बड़ा हुआ और उसकी याद से उसकी बहन की तस्वीर धुंधली पड़ गई लेकिन जब वह दूसरे लोगों को अपनी बहनों के साथ कोई खास दिन मनाते देखता तो वह अपनी बहन की कमी महसूस करता था।

एक दिन उसने अपनी माँ से पूछा कि क्यों उसकी बहन इतने सालों से उससे मिलने नहीं आई, जिस पर उसकी माँ ने जवाब दिया कि दोनों गावों के बीच खतरनाक और डरावना जंगल है जिसे पार करना पड़ता है इसलिए कोई उस गांव से इस गांव से मिलने नहीं आता है।

भाई ने तय किया कि वह अपनी बहन से मिलेगा। किसी भी खतरे का विचार किये बिना वह निकल पड़ा और जंगल में खतरों का सामना करने पर उसने सांपों, पहाड़ों आदि से प्रार्थना की कि वह उसे अपनी बहन से मिलने जाने दें, और लौटकर आने पर उसे खा लंे। इस पर सभी ने उसे जाने दिया। अंततः वह उस गांव में पहुंचा और अपनी बहन से मिला, बहन ने भाई की बहुत प्रेम और स्नेह से देखभाल की।

जब उसने लौटने का तय किया तब अपनी बहन को बताया कि वह जल्दी ही मर जाएगा। यह सुनकर उसकी बहन ने भी अपना सामान बांधा और उसके साथ जंगल की ओर निकल पड़ी। उसने उन विपत्तियों को चढ़ाने के लिए अपने साथ चढ़ावा भी बांधा। जब उनका सामना सांप से हुआ तो उसने उसे दूध चढ़ाया और सांप संतुष्ट होकर वहां से चला गया। शेर का सामना होने पर उसने उसे मांस दिया, और वह भी उन्हें छोड़ कर चला गया। जब उन्हें पर्वत ने डराया तो उसने उसे धातु और फूल अर्पित किये और उसने भी उन्हें सुरक्षित जाने दिया।

सभी खतरों को पार करने के बाद वह बहुत थक गई और प्यास लगने पर वह जहां बंजारे काम कर रहे थे वहां पानी लेने गई और उसका भाई एक पेड़ के नीचे आराम करने रुक गया। बंजारों ने उसे बताया कि उसके भाई के सर पर से विपत्ति अभी भी टली नहीं है और उसे बचाने का एक ही उपाय है कि वह सारा समय उसे कोसती और श्राप देती रहे, उसकी शादी करवाए और मांग करे कि सारे रीति रिवाज पहले उसके साथ निभाए जाए।

लड़का और सारे गांववाले उसकी बहन का यह रुप देखकर चैंक गए कि इतना प्रेम करने वाली बहन सारा समय अपने भाई को इतना कोस क्यों रही है। बहन के इतना त्रास करने पर गांव वाले चाहने लगे कि वह जल्दी से जल्दी वहां से चली जाए। लड़के की शादी होने पर बहन जिद करने लगी कि सेहरा पहले उसके सर पर बांधा जाए, जहां उसने डोरी की जगह सांप को पाया और इस तरह अपने भाई की जान बचाई।

फेरों के समय बहन सो रही थी और अग्नि के चारों और फेरे लेते वक्त भाई बेहोश हो गया। शोर सुनकर बहन जाग गई और चिल्लाने और कोसने लगी उसका ये रुप और आँखों की ज्वाला देखकर जो बुरी आत्माएँ भाई को अपने वश में करने वाली थीं भाग गईं और भाई की जान बची।

लौटते समय बहन ने सबको बंजारों की भविष्यवाणी के बारे में बताया और भाई को एहसास हुआ कि उसकी प्रेम और स्नेह करने वाली बहन ने यह सब उसकी जान बचाने के लिए किया। उसके भाई ने प्रार्थना की कि हर भाई को ऐसी बहन मिले। इसलिए ’भैया दूज’ मनाई जाती है।

भैया दूज उत्सव



इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर ’तिलक’ लगााकर आरती करती हैं, और उनके मंगल की कामना करती हैं। इस दिन भाई बहन एक दूसरे को प्यार और देखभाल के लिए उपहार देते हैं।

भैया दूज भारत में कई जगह अलग अलग नामों के साथ मनाई जाती है।

बिहार में इसे काफी अलग रुप में मनाया जाता है, जहां बहनें भाईयों को खूब कोसती हैं फिर अपनी जबान पर कांटा चुभाती हैं और क्षमा मांगती हैं। भाई अपनी बहन को आशीष देते हैं और उनके मंगल के लिए प्रार्थना करते हैं। पश्चिम बंगाल में भैया दूज को भाई फोटा कहते हैं। इस दिन बहनें सारी पारंपरिक रस्में पूरी होने तक व्रत रखती हैं। घी, चंदन और काजल मिलाकर तिलक बनाया जाता है। खीर और नारियल इस त्यौहार की पारंपरिक मिठाई है।

गुजरात में यह भाई बीज के रुप में तिलक और आरती की पारंपरिक रस्म के साथ मनाया जाता है।

महाराष्ट्र और गोवा के मराठी भाषी समुदाय के लोग इसे भाई बिज के तौर पर मनाते हैं। यहां बहने फर्श पर एक चैकोर आकार बनाती हैं, जिसमें भाई करीथ नाम का कड़वा फल खाने के बाद बैठता है। इस त्यौहार पर बासुंदी पूड़ी और श्रीखंड पूड़ी लोकप्रिय व्यंजन हैं।

भैया दूज कब है ?



सालतारीख
201128 अक्टूबर , शुक्रवार
201215 नवम्बर , गुरुवार
20135 नवम्बर , मंगलवार
201425 अक्टूबर , शनिवार
201513 नवम्बर , शुक्रवार
20161 नवम्बर , मंगलवार
201721 अक्टूबर , शनिवार
20189 नवम्बर , शुक्रवार
201929 अक्टूबर , मंगलवार
202016 नवम्बर , सोमवार


अंतिम संशोधन : सितम्बर 18, 2014