पद्मभूषण संगीत कालानिधि डॉ एम. बालामुरलीकृष्ण एक भारतीय कर्नाटक गायक थे। इनका जन्म 6 जुलाई 1930 को आन्ध्र प्रदेश राज्य के पूर्वी गोदावरी जिले में राजोलू तालुक के शंकरगुप्तम में हुआ था, इन्होंने संगीत का गुण अपने माता-पिता से प्राप्त किया। इनके पिता मंगल्लमपल्ली पट्टाभिरामय्या एक प्रसिद्ध बाँसुरी वादक और संगीत के शिक्षक थे और उनकी माता सूर्यकान्थम्मा एक वीणा कलाकार थीं। उनके पिता ने उन्हें श्री पारुपल्ली रामकृष्ण पंतुलू के संरक्षण में रखा, उनके मार्गदर्शन में बालामुरलीकृष्ण ने कर्नाटक संगीत की बुलंदियों को छुआ।

आठ साल की उम्र में बालामुरलीकृष्ण ने विजयवाड़ा के त्यागराज आराधना में अपना पहला संपूर्ण संगीत कार्यक्रम पेश किया था। एक बहुमुखी गायक होने के अलावा, वह मृदंगम और वायलिन वादन में मास्टर थे।

प्रयोग

डा. एम. बालामुरलीकृष्ण ने अपनी रचनाओँ के माध्यम से कर्नाटक संगीत को समृद्ध किया और साथ में ही महती, सुमुखम, त्रिशक्ति, सर्वश्री, ओंकरी, जनासमोदिनी, मनोरमा, रोहिनी, वल्लभी, लावंगी, प्रतिमाध्यमवती और सुषमा आदि जैसे नए राग भी तैयार किए। डा. बालामुरलीकृष्ण ने कई भाषाओँ में एक प्लेबैक गायक, संगीत निर्देशक और अभिनेता के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा को साबित कर दिया। इन्होंने 91 से अधिक एलबमों को अपने नाम किया।

अभिनय

तेलगू, कन्नड़, संस्कृत और तमिल सहित कई भाषाओँ में 400 से अधिक फिल्मों में अपना गायन देने के साथ डा. बालामुरलीकृष्ण ने कुछ तेलगू और तमिल फिल्मों में अभिनय भी किया है। इन्होंने 1967 में आई फिल्म भक्त प्रहलाद में नारद की भूमिका के साथ अपने अभिनय की शुरूआत की।

अवार्डस

डॉ. बालामुरलीकृष्ण ने कई शीर्षकों और अवार्डों जैसे ‘गान सुधाकर’, ‘गायक सिकमणि’, ‘सुर सिंगर’, ‘गीत काला भारती’, ‘संगीत नाटक अकादमी अवार्ड’, ‘संगीता कलानिधि’, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्म विभूषण’ को अपने नाम किया। इनको 1978 में संगीता कालानिधि के शीर्षक से सम्मानित किया गया था। 1992 में इनको ‘विज्डम मैन ऑफ द ईयर’ के लिए चुना गया था। डा. बालामुरलीकृष्ण को कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद पीएच.डी और डी.लिट डिग्री से सम्मानित किया गया था। 1997 में आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा इनको ‘आत्म गौरवम’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वह विजयवाड़ा के एक गणमान्य व्यक्ति थे इनके नाम पर एक सड़क भी थी। वह तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के राज्य संगीतकार तथा तिरूमाला तिरूपति देवस्थानम, श्रृंगीरी पेट्टम और अंजनीया स्वामी मंदिर नंगानल्लूर के ‘अस्थाना विद्वान’ थे। उन्होंने स्विट्जरलैंड में एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स एंड रिसर्च की स्थापना की और म्यूजिक थेरेपी पर भी काम किया। उन्होंने कला और संस्कृति के विकास और म्यूजिक थेरेपी में व्यापक शोध करने के उद्देश्य से एमबीके ट्रस्ट की स्थापना की।

निधन

डॉ. बालामुरलीकृष्ण का 22 नवंबर 2016 को चेन्नई में स्थित उनके निवास पर निधन हो गया।

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