नल्लारि किरण कुमार रेड्डी ने इक्यावन साल की उम्र में 25 नवंबर 2010 को आंध्र प्रदेश के 16वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। किरण कुमार रेड्डी कांग्रेस पार्टी के सदस्य भी रहे हैं और वर्तमान में वह एक बेहतरीन नेता के रूप में उभर कर सामने आए हैं। किरण कुमार रेड्डी एक राजनीतिक वंश से संबंधित हैं, क्योंकि उनके पिता भी कांग्रेस पार्टी के राजनीतिज्ञ थे।

श्री रेड्डी को वर्ष 2009 में आंध्र प्रदेश की रायलसीमा के चित्तूर जिले के पिलेरू निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट प्राप्त हुआ था।

पृष्ठभूमि

किरण कुमार रेड्डी का जन्म 13 सितंबर 1960 को हैदराबाद में हुआ था और उन्होंने बेगमपेट के हैदराबाद पब्लिक स्कूल और हैदराबाद के सेंट जोसेफ जूनियर कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की थी। किरण कुमार के पिता श्री नल्लारि अमरनाथ रेड्डी, चित्तूर से कांग्रेस पार्टी के नेता होने के साथ-साथ कांग्रेस की नेता श्रीमती इंदिरा गांधी और श्री पी. वी. नरसिम्हा राव के घनिष्ठ सहयोगी भी थे।

श्री रेड्डी ने निजाम कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक किया। इसके बाद रेड्डी ने उस्मानिया विश्वविद्यालय से एलएलएम की डिग्री हासिल की थी। 1980 के दशक के शुरुआती दिनों में रेड्डी को निजाम कॉलेज के छात्र संघ का अध्यक्ष चुना गया था। रेड्डी कॉलेज में क्रिकेट भी खेलते थे और होने वाले टूर्नामेंटों में अपने राज्य और दक्षिण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते थे। रेड्डी को लगभग एक विकेट कीपर बल्लेबाज के रूप में भारतीय टीम में भी चुना गया था।

श्री नल्लारि रेड्डी ने श्रीमती नल्लारि राधिका रेड्डी से शादी की है। उनके एक बेटा नल्लारि निकिलेश रेड्डी और एक बेटी नल्लारि निहारिका रेड्डी है।

राजनीतिक कैरियर

वर्ष 1989 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, किरण कुमार रेड्डी चित्तूर जिले के वैयलपाडू निर्वाचन क्षेत्र से आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और रेड्डी ने इस उपलब्धि को चार बार दोहराया। रेड्डी वर्ष 1989, वर्ष 1999 और वर्ष 2004 में आंध्र प्रदेश की विधानसभा और चित्तूर जिले के वैयलपाडू (वाल्मीकिपुरम) से निर्वाचित हुए। उसके बाद वर्ष 1994 में चित्तूर में कांग्रेस पार्टी की लय खराब होने के कारण, श्री रेड्डी वहाँ से चुनाव हार गए थे। उसके बाद वर्ष 2009 में पिलेरू निर्वाचन क्षेत्र, जो वाल्मीकिपुरम में परिवर्तित हो गया था, वहाँ से श्री रेड्डी चुनाव लड़े और जीत हासिल की।

श्री नल्लारि रेड्डी को वर्ष 2004 से 2009 तक, पाँच वर्षों के लिए विधानसभा का चीफ विप नियुक्त किया गया था। जब रेड्डी चीफ विप बने, तो उन्हें तेलंगाना के अत्यधिक भावपूर्ण मुद्दे के कारण, विभिन्न राजनीतिक दलों के 143 विधायकों के इस्तीफे के साथ आने वाले संकट का सामना करना पड़ा और उन्होंने इस मुद्दे को बड़ी सतर्कता से संभाला।

श्री रेड्डी जी ने मई 2009 से लेकर नवंबर 2010 तक, करीब डेढ़ साल तक उन्होंने 13वीं आंध्र प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और उस पद के लिए वह सर्वसम्मति से निर्वाचित हुए थे। इस पद के लिए रेड्डी का नाम पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी, कृषि मंत्री एन रघुवीर रेड्डी और प्रजा राज्यम प्रमुख चिरंजीवी द्वारा प्रस्तावित किया गया था।

एपी के मुख्यमंत्री, कोनिजेती रोसैया ने 24 नवंबर 2010 को स्वास्थ्य और व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। तब कांग्रेस पार्टी ने रेड्डी को एक सफल मुख्यमंत्री के रूप में चुना और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री ई.एस.एल. नरसिम्हा ने रेड्डी को कार्यालय में शपथ दिलाई।

मतदान के वादे

एक बड़े राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने राज्य के कई मुद्दों का सामना किया और रेड्डी ने कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र के सभी मुद्दों को पूरा करने का वादा किया। उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना और बेहतर सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसे ग्रामीण सुधारों के लिए लक्षित कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ आंध्र प्रदेश की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए निवेश की माँग की। रेड्डी ने राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने और राज्य में स्थिरता लाने का वादा किया। रेड्डी ने तेलंगाना के मुद्दे पर केंद्र के फैसले का पालन किया और नक्सलियों की आधिकारिक नीति में कोई भी परिवर्तन या बदलाव नहीं किया।

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