नरिंदर नाथ वोहरा, एक व्यावसायिक अधिकारी और एक पूर्व प्रशासनिक सेवा अधिकारी (आईएएस) हैं, जिन्होंने वर्ष 2008 में जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल के रूप में पदभार संभाला था। नरिंदर नाथ वोहरा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से सेवानिवृत्त हो जाने के बाद, प्रतिष्ठित सरकारी कर्मचारी के रूप में विभिन्न राष्ट्रीय निकायों और प्रमुख कार्य दलों का नेतृत्व किया। वर्ष 2007 में नरिंदर नाथ वोहरा को राष्ट्र के प्रति सेवा भाव के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

पृष्ठभूमि

नरिंदर नाथ वोहरा ने पंजाब से शिक्षा प्राप्त की और बाद में यूनाइटेड किंगडम ऑक्सफोर्ड में महारानी एलिजाबेथ के घर में एक अतिथि साथी बनकर उनका हाथ बटाया। वर्ष 1957 में नरिंदर नाथ वोहरा ने एमए (अंग्रेजी) में पंजाब विश्वविद्यालय में शीर्ष स्थान प्राप्त किया था और वहाँ के प्रवक्ता बन गए थे। नरिंदर नाथ वोहरा, विशिष्ट भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पद को अपनाने के पहले वर्ष 1959 तक वहाँ के प्रवक्ता रहे। वर्ष 2011 में, पंजाब विश्वविद्यालय ने नरिंदर नाथ वोहरा को कानून के मानद डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया।

नरिंदर नाथ वोहरा प्रशासन और सुरक्षा के मुद्दों पर लेख लिखते हैं और उन्हीं मुद्दों पर व्याख्यान करते हैं। नरिंदर नाथ वोहरा ने एक दर्जन से अधिक पुस्तकों का संपादन किया है।

सर्विस कैरियर            

नरिंदर नाथ वोहरा पंजाब के साथ एक कैडर के रूप में, भारतीय प्रशासनिक सेवा के पद पर आसीन हुए और वर्ष 1994 तक कार्य भार संभाला। नरिंदर नाथ वोहरा ने केंद्रीय और राज्य सरकारों के तहत कई उत्तरदायी पदों का नेतृत्व किया और सेवा निवृत्त हो जाने के बाद उन्हें प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव के रूप में कार्य करने के लिए बुलाया गया। नरिंदर नाथ वोहरा ने वर्ष 1997 से वर्ष 1998 तक प्रमुख सचिव के रूप में कार्य किया।

वर्ष 1977 में नरिंदर नाथ वोहरा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और वर्ष 1985 में अपर रक्षा सचिव के सह सचिव रहे। वर्ष 1993 में नरिंदर नाथ वोहरा को केंद्रीय गृह सचिव के पद पर नियुक्त किया गया, वह समय देश के लिए एक महत्वपूर्ण समय था, क्योंकि कुछ ही महीने पहले मुंबई में सीरियल बम ब्लॉस्ट हुए थे। नरिंदर नाथ वोहरा ने एक अत्यधिक विस्फोटक रिपोर्ट, एनएन वोहरा समिति की रिपोर्ट तैयार की और राजनीति के अपराधीकरण और देश में आपराधिक नेटवर्क पर उस रिपोर्ट को प्रस्तुत किया।

श्री नरिंदर नाथ वोहरा को उनके कैरियर के शुरुआत में केन्द्रीय खुफिया ब्यूरो के तहत विशेष सेवा ब्यूरो में शामिल किया गया था और यूके के एसएएस के साथ प्रशिक्षित किया गया था। यह साठ के दशक में भारत-चीन के संघर्ष का अनुसरण कर रहे थे। ऑपरेशन ब्लू स्टार के तुरंत बाद, नरिंदर नाथ वोहरा को अस्सी के दशक के अंत में पंजाब का गृह सचिव नियुक्त किया गया था। वर्ष 1985 में जब पंजाब में अशांति फैल गई थी, तब श्री वोहरा राज्य विधानसभा के लिए शांति पूर्ण चुनाव आयोजित करने में सफल रहे थे।

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से सेवा निवृत्ति हो जाने के बाद

श्री नरिंदर नाथ वोहरा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से सेवा निवृत्त हो जाने के बाद, कई निहत महत्व पूर्ण पदों का आयोजन किया। नरिंदर नाथ वोहरा नई दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के निदेशक और प्रथम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य थे। वर्ष 2000 में नरिंदर नाथ वोहरा को आंतरिक सुरक्षा पर राष्ट्रीय कार्य बल का अध्यक्ष और वर्ष 2001 में रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान की समीक्षा के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया था। इसके अलावा नरिंदर नाथ वोहरा सीएससीएपी राष्ट्रीय समिति के सदस्य और इंडो-यूरोपियन यूनियन गोलमेज के संस्थापक और सह-अध्यक्ष भी थे।

श्री नरिंदर नाथ वोहरा ने वर्ष 1999 से वर्ष 2006 तक भारतीय पर्वतारोही फाउंडेशन और वर्ष 2000 से वर्ष 2008 तक सर्वोदय अंतर्राष्ट्रीय ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में सेवा की और नरिंदर नाथ वोहरा जेनेवा में अंतर्राष्ट्रीय संगठन डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के एक विशिष्ट सलाहकार भी रह चुके हैं।

वर्ष 2003 से 2008 तक नरिंदर नाथ वोहरा निर्वाचित प्रतिनिधियों और जम्मू और कश्मीर में अलगाववादियों के बीच संवाद के लिए भारत सरकार के विशेष प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया।

राज्यपाल

नरिंदर नाथ वोहरा 25 जून 2008 को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने। राज्यपाल के रूप में इन्होंने घाटी में लोकप्रिय भावनाओं को ध्यान में रखते हुए विवादास्पद अमरनाथ तीर्थ भूमि हस्तांतरण के आदेश को वापस ले लिया था।

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