बुकर पुरस्कार विजेता किरण देसाई का जन्म 3 सितंम्बर सन् 1971 को भारत में हुआ था। रचनात्मक लेखन का अध्ययन करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका जाने से पहले किरण देशाई ने दिल्ली और इंग्लैंड में अपनी शिक्षा पूरी की और इस अवधि के दौरान हुलाबालू इन द गुवा ऑर्चर्ड उपन्यास लिखा।

किरण देशाई की मां अनीता देसाई एक प्रसिद्ध लेखक हैं जिनकी तीन पुस्तकों (1980 में, द क्लियर लाइट ऑफ डे, 1984 में, कस्टडी और 1999 में, फास्टिंग फेस्टिंग) को बुकर पुरस्कार के लिए सूचीबद्ध किया गया है। उनकी दादी जर्मन की थी, जबकि उनके दादा बांग्लादेश के शरणार्थी थे।

किरण देशाई का पहला उपन्यास हुल्लाबालू इन द गुवा ऑर्चर्ड  सन् 1998 में, प्रकाशित हुआ जिससे इन्हें बड़े पैमाने पर लोकप्रियता और प्रशंसा प्राप्त हुई। इन्होंने 35 साल से कम उम्र में राष्ट्रमंडल देशों के नागरिकों द्वारा इस सर्वश्रेष्ठ नए उपन्यास के लिए बेटी ट्रास्क अवॉर्ड भी जीता।

सन् 2006 में प्रकाशित किरण देशाई की दूसरी पुस्तक द इनहेरिटेंस ऑफ लॉस के लिए इन्हें मैन बुकर पुरस्कार भी जीता। यह पुस्तक भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में आंशिक रुप से प्रसिद्ध है। यह पुस्तक अपने शब्दों में यह समझने का प्रयास करती है कि पूर्व और पश्चिम के बीच रहने तथा एक अप्रवासी होने का क्या मतलब है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *