19 जून 1947 को मुंबई में जन्में सलमान रुश्दी तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने अपने दूसरे उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रेन (1981) के लिए प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार जीता था।

हालांकि, रुश्दी अपने उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज (1988) के लिए लोकप्रिय रूप से जाने जाते हैं, जिसने दुनिया भर के मुस्लिम समुदाय को हिंसात्मक प्रतिक्रियाओं के लिए उकसाया था।

मुंबई और इंग्लैंड में शिक्षा लेने के बाद, रुश्दी शुरुआत में एक विज्ञापन कम्पनी में शामिल हो गए थे। सलमान रुश्दी का पहला उपन्यास ग्राइमस था, जिसका लोगों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा था। हालांकि, सलमान रुश्दी ने अपने अगले उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रेन के लिए काफी प्रसिद्धि हासिल की थी। बुकर पुरस्कार के साथ-साथ इस उपन्यास ने वर्ष 1993 में ‘बुकर ऑफ बुकर्स’ पुरुस्कार भी जीता था। सलमान रुश्दी की अगली कृति द जैगुअर स्माइल, उनकी निकारागुआ की यात्रा पर आधारित है। सलमान रुश्दी की अन्य प्रसिद्ध कृतियों में द मूर्स लास्ट साई, द ग्राउंड बिनीथ हर फीट और शालीमार द क्लाउन शामिल हैं।

रुश्दी ने ‘इंडो-एंग्लियन’ लेखकों की पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया है। सलमान रुश्दी जेम्स टैट ब्लैक मेमोरियल अवार्ड (फिक्शन), आर्ट्स काउंसिल राइटर्स अवार्ड, इंग्लिश स्पीकिंग यूनियन अवार्ड, प्रिक्स डु मेइल्यूर लिवर एट्रेंजर, व्हाइटब्रेड नॉवेल अवार्ड, राइटर्स गिल्ड अवार्ड (चिल्ड्रेंस बुक) और साहित्य के लिए यूरोपीय संघ अरिस्टियन पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं।

सलमान रुश्दी स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति की वकालत करते हैं और विभिन्न सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं।

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