होम रूल लीग की संस्थापक और प्रसिद्ध ब्रह्मविद्यावादी, एनी बेसेंट का जन्म 1 अक्टूबर 1847 को लंदन में हुआ था। जब एनी बेसेंट केवल पाँच वर्ष की थीं, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। एनी बेसेंट ने एक युवा महिला के रूप में काफी लंबा सफर तय किया था।

वर्ष 1867 में, एनी बेसेंट ने 26 वर्षीय पादरी फ्रैंक बेसेंट के साथ शादी कर ली थी, लेकिन उनका वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका था। एनी बेसेंट ने ब्रिकबेक साहित्य और वैज्ञानिक संस्थान में अंशकालिक अध्ययन करना शुरू किया था। एनी बेसेंट महिलाओं के मुद्दों, धर्मनिरपेक्षता, जन्म नियंत्रण, फेबियन समाजवाद और श्रमिक अधिकारों की एक प्रबल समर्थक थीं। एनी बेसेंट ने अनेक पुस्तकों का अध्ययन किया और शीघ्र ही काफी समय से चली आ रही धार्मिक मान्यताओं पर सवाल उठाना शुरू कर दिया था। एनी बेसेंट ने नेशनल रिफार्मर, नेशनल सेक्युलर सोसाइटी के समाचार पत्र के लिए एक कॉलम लिखा था।

उन्होंने समाज में एक धर्म निरपेक्ष राज्य की पैरवी की थी तथा ईसाई धर्म द्वारा एक विशेष स्थित के समापन का लाभ उठाया गया था। एनी बेसेंट सोसायटी के नेता चार्ल्स ब्रेडलॉफ की करीबी थीं। वर्ष 1877 में उन्होंने अमेरिकी जन्म नियंत्रण प्रचारक चार्ल्स नोल्टन के जरिए एक पुस्तक प्रकाशित की थी। बेसेंट एक अच्छी लेखिका और एक प्रबल वक्ता थीं। फैबियन सोसायटी की उनकी सदस्यता वर्ष 1890 में समाप्त हो गई थी और उसके उपरांत वह थियोसोफिकल सोसायटी की एक सदस्य बन गईं थीं।

वर्ष 1893 में, एनी बेसेंट पहली बार भारत आई। भारत आने के बाद, एनी बेसेंट ने न केवल समाज के लिए, बल्कि भारत की स्वतंत्रता और प्रगति के लिए भी काफी कुछ किया था। एनी बेसेंट के नेतृत्व में, “द आर्यावर्त” जिसे उन्होंने मध्य भारत कहा था, पर थियोसॉफिकल सोसाइटी की गतिविधियों का पुन: ध्यान केंद्रित किया गया था। एनी बेसेंट ने भारत में भावी नेताओं को तैयार करने हेतु, लड़कों के लिए स्कूल की स्थापना करने में एक सहायक के रूप में भूमिका निभाई थी। इसके बाद एनी बेसेंट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गई थीं और वर्ष 1916 में उन्होंने होम रूल लीग की शुरुआत की थी, जिसने सक्रिय रूप से भारत के लिए स्व-शासन को बढ़ावा दिया था। 20 सितंबर 1933 को एनी बेसेंट का निधन हो गया था।

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