राजा राम मोहन राय ब्रह्म समाज के संस्थापक थे और बंगाल पुनर्जागरण युग के पितामह थे। राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई 1772 को पश्चिम बंगाल के राधानगर में हुआ था। राजा राम मोहन राय सती प्रथा के दुष्प्रभाव को समाप्त करने के अपने अथक प्रयासों के लिए जाने जाते हैं।

राजा राम मोहन राय ने वर्ष 1828 में द्वारकानाथ टैगोर के साथ मिलकर ब्रह्म समाज की स्थापना की। राजा राम मोहन राय ने शुरुआत में एक साहूकार के रूप में और वर्ष 1803 से वर्ष 1814 तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ काम किया था।

राम मोहन राय ने बहुविवाह के विरुद्ध अभियान चलाया था।

हालांकि राजा राम मोहन राय ने सती, मूर्तिपूजा और बहुविवाह जैसी प्रथाओं के खिलाफ अभियान चलाया, लेकिन वह परंपरा और धर्म के खिलाफ कभी नहीं थे। राजा राम मोहन राय उपनिषद के विद्वान थे। इसके अलावा, राजा राम मोहन राय ने विधवाओं का पुनर्विवाह, महिलाओं को संपत्ति रखने और महिलाओं को शिक्षा का अधिकार देने का प्रचार किया था।

राजा राम मोहन राय का यह दृढ़ विचार था कि पारंपरिक भारतीय शिक्षा प्रणाली की तुलना में अंग्रेजी भाषा की शिक्षा बहुत अच्छी है और उन्होंने संस्कृत की  शिक्षा देने वाले स्कूलों का समर्थन करने के लिए सरकारी निधि के अनुदान का विरोध किया था। वर्ष 1822 में, राजा राम मोहन राय ने पश्चिमी शिक्षा पर आधारित एक विद्यालय भी खुलवाया था।

उस समय ब्रह्म समाज को समाज में प्रचलित सामाजिक और धार्मिक बुराइयों के खिलाफ लड़ने के लिए स्थापित किया गया था। वर्ष 1831 में राजा राम मोहन राय ने मुगल साम्राज्य के एक राजदूत के रूप में यूनाइटेड किंगडम की यात्रा की थी। 27 सितंबर 1833 को यू.के. के मैनिंगटिस में राजा राम मोहन राय का निधन हो गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *