वेम्पती चिन्ना सत्यम एक महान नर्तक और कुचिपुड़ी नृत्य के गुरु हैं। वेम्पती चिन्ना सत्यम अपनी उत्कृष्ट कला के कारण दुनिया भर में लोकप्रिय थे। वह 26 अक्टूबर 1929 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गाँव कुचिपुड़ी में एक पारंपरिक नर्तकों के परिवार में पैदा हुए थे। उन्होंने इस नृत्य को 9 वर्ष की उम्र में सीखना शुरू कर दिया था। वेम्पती चिन्ना सत्यम ने तीन महान गुरुओं के मार्गदर्शन में, कुचिपुड़ी नृत्य में महारथ हासिल की थी। प्रारंभ में उन्होंने श्री वेदांतम लक्ष्मी नारायण शास्त्री से नृत्य सीखा, फिर श्री तदपेल्ली पेरैय्या शास्त्री से बेहतरीन नृत्य के करतबों को सीखकर अपनी कला को परिष्कृत किया और बाद में हाव-भाव में सुंदरता लाने के लिए उनके बड़े भाई श्री वेपत्ती सत्यम ने उनको प्रशिक्षित किया था।

जब वेम्पती चिन्ना सत्यम ने कुचिपुड़ी की कला में महारत हासिल कर ली, तो वह इस कला को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से मद्रास चले गए। कुचिपुड़ी के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण के फलस्वरूप अंततः, 6 फरवरी 1963 को मद्रास में कुचिपुड़ी कला अकादमी की स्थापना हुई। आज तक उन्होंने हजारों विद्यार्थियों को कुचिपुड़ी नृत्य की कठिन शैली और तकनीक सिखाई है। उन्होंने विजाग (विशाखापट्टनम) में वर्ष 1985 में कुचिपुड़ी कलाक्षेत्र नामक एक और नृत्य विद्यालय की स्थापना की थी।

बहुत जल्द ही वेम्पती चिन्ना सत्यम आकाश में चमकते हुए सितारे की तरह देश-विदेश में प्रसिद्ध हो गए। उन्हें कई खिताब और पुरस्कार जैसे “संगीत पीठ ऑफ बॉम्बे”, “अस्थाना नाट्यचर्या ऑफ तिरुमला तिरुपति देवस्थानम”, “टी.टी.के.” से सम्मानित किया गया। उन्हे ”संगीत अकादमी द्वारा स्मृति पुरुस्कार जैसे ‘विशाखापट्टनम से नाट्य कलासागर’, ‘मद्रास से राजा लक्ष्मी पुरुस्कार’, आंध्र विश्वविद्यालय से ‘कलाप्रपूर्ण’, ‘गुंटूर से नाट्य कला भूषण’, ‘हैदराबाद से भरत कलाप्रपूर्ण’, श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से डी. लिट, “पिट्सबर्ग से अस्थाना नाट्यचार्य” और “केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली से नेशनल अवार्ड” से सम्मानित किया गया है। उन्हें भारत के कई राज्य सरकारों से विभिन्न पुरस्कार जैसे तमिलनाडु सरकार द्वारा कालिदास पुरस्कार और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कलैमामणि पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वेम्पती चिन्ना सत्यम को आंध्र विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टोरेट डिग्री से सम्मानित किया गया।

वेम्पती चिन्ना सत्यम न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। वर्ष 1984 में, मियामी के मेयर द्वारा उन्हें गोल्डेन की (सोने की चाभी) प्रस्तुत की गई थी। ओहियो के मेयर डायटन ने 25 सितंबर 1994 को, वेम्पती चिन्ना सत्यम दिवस मनाने की घोषणा की थी, ओहियो गहना के मेयर ने 27 अप्रैल 1984 को, शास्त्रीय भारतीय कुचिपुड़ी बैले नृत्य नाटक दिवस के रूप में घोषित किया था, 3 नवंबर 1994 को अटलांटा के मेयर ने कुचिपुड़ी नृत्य नाटक दिवस और सितंबर में मेम्फिस के मेयर ने वर्ष 24 सितम्बर 1994 को रामायणम दिवस के रूप में घोषित किया तथा वेम्पती चिन्ना सत्यम को शहर के मुख्य व्यक्ति के रूप में सम्मानित किया गया था।

वेम्पती चिन्ना सत्यम, पद्मावती श्रीनिवास कल्याणम, विप्रनारायण चरित्रम, मेनका विश्वमित्र, कल्याण शकुंतलम, भामा कलापम, चंदलिका, रुक्मणी कल्याणम, हरा विलासम, शिव धनुर्भंगम और अर्धा नरेस्वरमम सहित लगभग पन्द्रह नृत्यनाटकों के प्रस्तुतकार हैं। वेम्पती चिन्ना सत्यम ने नाट्य शास्त्र की सीमाओं के भीतर कुचीपुड़ी का शुद्धता के साथ नवीनीकरण किया है और कुचीपुड़ी को पहले से बेहतर आधार प्रदान किया है।

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