मुल्कराज आनंद एक प्रसिद्ध भारतीय उपन्यासकार थे, जिनका जन्म 12 दिसंबर वर्ष 1905 को पेशावर में हुआ था, जो इस समय पाकिस्तान में है। वर्ष 1924 में, अमृतसर के खालसा कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद, मुल्कराज आनंद  यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त करने के लिए यू. के. (ग्रेटब्रिटेन)  गए। वर्ष 1929 में,  अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने के बाद, मुल्कराज आनंद ने जेनेवा के लीग ऑफ नेशंस स्कूल ऑफ इंटेलेक्चुअल कॉरपोरेशन में अध्ययन किया था और पढ़ाने का काम भी किया था।

यह एक विडंबना है कि उन्होंने अपने परिवार की समस्याओं के कारण साहित्यिक कैरियर की शुरुआत की थी। उनका पहला निबंध उनकी चाची की आत्महत्या की प्रतिक्रिया से संबंधित था, जिसे उनके परिवार द्वारा मुसलमान के साथ भोजन साझा करने के कारण बहिष्कृत किया गया था। उनका पहला उपन्यास “अनटचेबल” वर्ष 1935 में प्रकाशित हुआ था, जिसमें उन्होंने भारत की “अछूत” समस्या का बेबाक चित्रण किया था। उनका दूसरा उपन्यास “कुली” एक बाल श्रमिक के रूप में काम कर रहे 15 वर्षीय लड़के पर आधारित था, जो तपेदिक (टी. वी.) से ग्रस्त होने के कारण मर जाता है।

मुल्कराज आनंद ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया था और स्पेनिश नागरिक युद्ध में गणतंत्रवादियों के साथ लड़े थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, उन्होंने लंदन में बीबीसी के लिए एक पटकथा लेखक के रूप में काम किया था, जहाँ वह जॉर्ज ऑरवेल के मित्र बन गए थे। उनके कुछ प्रमुख उपन्यासों में ‘द विलेज’ (1939), ‘अक्रॉस द ब्लैक वॉटर्स’ (1940), ‘द सोर्ड एंड द स्किल’ (1942) और ‘द प्राइवेट लाइफ ऑफ ऐन इंडियन प्रिंस’ (1953) आदि शामिल हैं। वह वर्ष 1946 में भारत लौट आए थे और मुंबई में रहने लगे थे। मुल्कराज आनंद ने मार्ग नामक पत्रिका की स्थापना की थी और वह कुतुब पब्लिशर्स के निदेशक भी रहे थे। उन्होंने विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों में अध्यापन कार्य किया था और वर्ष 1965 से लेकर वर्ष 1970 तक ललित कला अकादमी के अध्यक्ष भी रहे थे। मुल्कराज आनंद वर्ष 1970 में लोकायत ट्रस्ट के अध्यक्ष चुने गए थे। इस महान साहित्यिककार मुल्कराज आनंद का 28 सितंबर  2004 को निधन हो गया था।

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