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रमेश चंद्र दत्त, एक सिविल कर्मचारी, राजनीतिक व आर्थिक विचारक और लेखक तथा बंगाली साहित्यिक विचारधारा वाले व्यक्ति थे, जो अपने व्यवसायिक और साहित्यिक दोनों व्यवसाय के लिए अत्याधिक प्रसिद्ध हैं। आर. सी. दत्त के नाम से विख्यात रमेश चंद्र दत्त का जन्म, 13 अगस्त 1848 को कोलकाता के रामनगर में एक प्रसिद्ध दत्त परिवार, इसान चन्द्र दास और थकमणि दास के यहाँ हुआ था।

रमेश चंद्र दत्त ने अपनी प्रवेश परीक्षा वर्ष 1864 में उत्तीर्ण की थी तथा इसके दो साल बाद उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से कला विषय की पहली परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वर्ष 1868 में वह सुरेंद्रनाथ बनर्जी और बिहारी लाल गुप्ता के साथ लंदन चल गए थे। इसके अगले वर्ष उन्होंने इग्लैंड जा कर आईसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की थी।

रमेश चंद्र दत्त ने वर्ष 1871 में अलीपुर से सहायक मजिस्ट्रेट के रूप में अपने प्रशासनिक कैरियर की शुरुआत की थी। बाद में उन्होंने मेहरपुर, बाकरगंज, नाडिया और दक्षिण शाहबाजपुर में राहत अधिकारी के रूप में काम किया। उन्होंने अनेक उच्च प्रशासनिक पदों पर भी कार्य किया था। इसके साथ ही रमेश चंद्र दत्त बंकुरा, बालासोर, बाकरगंज, पाबना, बर्धवान, मिदनापुर, मैमनसिंह जिला और अन्य स्थानों के जिलाधिकारी भी रहे थे। वे उड़ीसा के डिवीजन कमिशनर (प्रभाग आयुक्त) थे, जो कभी एक भारतीय का सबसे उच्च पद होता था। वर्ष 1897 में रमेश चंद्र दत्त 49 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हो गए थे।

रमेश चंद्र दत्त को संपूर्ण राजनीति का अभ्यास नहीं था, लेकिन वह राजनीति में भाग लेकर, लेखन और निरंतर सार्वजनिक अभिमत के द्वारा अपने देश को लाभान्वित करने के लिए, अपनी शक्ति और स्थिति का उपयोग करते थे।

अपने प्रकाशनों के द्वारा उन्होंने मुख्य रूप से ब्रिटिश शासन के दौरान होने वाली भारत की, शक्तिविहीन आर्थिक स्थिति की व्याख्या की है। रमेश चंद्र दत्त ने मुख्य रूप से खेती की निराशाजनक स्थिति, किसानों पर उच्च राजस्व दर, औद्योगीकरण और अकाल के प्रादुर्भाव की बात की थी। हालांकि उनका आंशिक रूप से विश्वास था कि ब्रिटिश शासन भारत के लिए कुछ अच्छा कर रहा है, लेकिन उनका लेखन इस स्थिति को बेहतर बनाने के प्रति काफी प्रभावशाली था। उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियों में ‘इंग्लैंड एंड इंडिया’ (1897), ‘फैमिन्स इन इंडिया’ (1900) तथा कई अन्य शामिल हैं। उनकी विख्यात कृतियों की सीरीज में इकोनामिक हिस्ट्री’ सबसे ऊपर शुमार है।

रमेश चंद्र दत्त अपने आईसीएस अधिकारी के रूप में व्यस्ततम जीवन के बावजूद भी साहित्य के प्रति समय निकालने में सफल रहे। जब भी उनके पास कुछ अतिरिक्त समय होता था, तो वह उस समय को उपयोग पढ़ने और लेखन में करते थे। ‘थ्री इयर्स इन यूरोप’ (1872) उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियों में से एक है। उन्होंने ‘बंगाली लिटरेचर’ नामक कृति से बंगाली साहित्य में अपने इतिहास को प्रकाशित किया था। रमेश चन्द्र दत्त ने ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में एक विशेष ख्याति प्राप्त की थी। वर्ष 1879 में प्रकाशित उनके चार प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यास – बंग विजेता, माधवी कंकण, राजपूत जीवन संध्या और महाराष्ट्र प्रभात सर्वप्रमुख थे। रमेश चन्द्र दत्त ने ‘समाज’ (1885) और ‘संगसार’ (1893) नामक दो सामाजिक उपन्यास भी लिखे थे। उनके अन्य कार्यों में बंगाली में ‘ऋग्वेद’ का अनुवाद, सबसे प्रमुख माना जाता है। इसके साथ ही साथ उन्होंने ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ का भी अनुवाद अंग्रेजी कविताओं में किया है।

रमेश चंद्र दत्त का, साहित्यिक योग्यता के माध्यम से देश की स्थिति में  सुधार करते हुए 30 नवंबर 1909 को परलोक सिधार गये।

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