भारतीय अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक राजा राव का जन्म 8 नवंबर सन् 1908 को कर्नाटक के हसन नामक नगर में हुआ था। जब राजा राव चार साल के थे तभी उनकी माँ का निधन हो गया था, जिसने उनके जीवन को अत्यधिक प्रभावित किया।

माता के अभाव और अनाथ होने का कारण उनका मन आवर्ती विषयों में नही लगता था। राजा राव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक मुस्लिम स्कूल से प्राप्त की तथा उसके बाद की शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से ग्रहण की। राजा राव ने अंग्रेजी और इतिहास में स्नातक की उपाधि मद्रास विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उन्हें सन् 1929 में हैदराबाद की सरकार से एशियाटिक छात्रवृत्ति दी गयी थी और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए, ये विदेश चले गए थे।

राजा राव ने फ्रांस के मोंटनेलियर विश्वविद्यालय से फ्रांसीसी भाषा और साहित्य का अध्ययन किया। बाद में, राजा राव सोरबोन यूनिवर्सिटी ऑफ पेरिस में शामिल हो गये। उन्होंने सन् 1931 में मोंटपनेलियर की एक फ्रांसीसी शिक्षिका केमिले मौली से शादी कर ली और सन् 1939 में भारत लौट आए। हालांकि, विदेशों में अध्ययन करने के बाद भी राजा राव दिल से एक राष्ट्रवादी थे। भारत लौटने के बाद, वह भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में शामिल हो गए। वह आधुनिक भारतीय विचारों के एक संकलन, चेंजिंग इंडिया के सह-संपादक थे। उन्होंने बॉम्बे से ‘कलपत्रिका का संपादन किया। सन् 1942 में, उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। एक राष्ट्रवादी होने के साथ-साथ राजा राव एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। वे सांस्कृतिक संगठनो के गठन के मामले में भी सबसे आगे रहते थे। उनके द्वारा गठित संगठनों में श्री विद्या समिति, प्राचीन भारत के आदर्शों को पुनर्जीवित करने के लिए पूर्ण रूप से समर्पित है, जोकि चेतना, भारतीय विचारों और मूल्यों के प्रसार में शामिल एक अन्य संगठन है।

राष्ट्रवाद उनके कई उपन्यासों का प्रमुख विषय था। उनकी कहानी कंथापुरा महात्मा गांधी की शिक्षाओं को दर्शाती है। यह कर्नाटक में एक ग्रामीण के विचारों द्वारा उत्पन्न राष्ट्रीय संघर्ष की कहानी है। राजा राव ने गांधीवाद के विषय पर आधारित एक अन्य छोटी कहानी द काऊ ऑफ द बेरीकेड्सलिखी है। राजा राव ने ‘द ग्रेट इंडियन वे’, ‘ए लाइफ ऑफ महात्मा गांधी’ आदि शीर्षकों के रूप में महात्मा गांधी की जीवनी भी प्रकाशित की है। उन्होंने ‘द सर्पेंट एंड द रोप’ नाम का एक अर्ध आत्मकथात्मक उपन्यास लिखा। राजा राव के इस उपन्यास में पूर्व और पश्चिम के संबंधों और उनके अनुभवों का वर्णन किया गया है। शीर्षक में सर्प भ्रम को संदर्भित करता है और रस्सी जीवन की वास्तविकता को निरूपित करती है। उन्होंने सन् 1960 में संयुक्त राज्य अमेरिका में आकर ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय में शिक्षा दी थी। उन्होंने सन् 1965 में संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘कैथरीन जोन्स’ नाम की एक अमेरिकी अभिनेत्री से पुनर्विवाह कर लिया था, लेकिन 20 साल के रिश्ते के बाद यह विवाह भी तलाक के साथ समाप्त हो गया और सन् 1986 में उन्होंने तीसरी शादी ‘सुसान’ से कर ली। सन् 1988 में, उन्हें साहित्य के लिए प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय न्युटस्टेड पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राजा राव का 8 अगस्त सन् 2006 को 97 वर्ष की आयु में ऑस्टिन, टेक्सास में निधन हो गया। राजा राव के जीवन और कार्यों को कवि, आलोचक और न्यूयॉर्क के स्किमोर कॉलेज में एशियन स्टडीज के कार्यक्रम निदेशक, आर. पैराथासारथी के शब्दों में अच्छी तरह से संक्षेपित किया जा सकता है, जिसमें उन्होंने कहा कि “राव आज सबसे परिवर्तनात्मक उपन्यासकार हैं। उन्होंने बड़े ही साहस के साथ अपने उपन्यासों को यूरोपीय परंपरा से अलग हटकर, भारतीय साहित्यिक परंपरा को आत्मसात किया है। वास्तव में उपन्यासों को उपयोगी बनाने के लिए इसमें उन शब्दों का प्रयोग किया है, जिसकी व्याख्या शायद आध्यात्मिक आधार की खोज से पहले कभी नहीं की गई। एक लेखक के रूप में राव का प्रसंग एक विशेष राष्ट्र या जातीय समूह के बजाय मानवीय स्थिति के साथ हैं। उनकी रचनाएं भारतीयों की आध्यात्मिक और भाषाई चिंतनों पर आधारित हैं। प्रोउस्ट और जॉयस, हमारे समय के सर्वप्रमुख उपन्यासकार हैं, उनके जैसे हमें अंततः एक तुलनात्मक लेखक राजा राव मिल गये हैं।

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