छत्तीसगढ़ की यात्रा का नक्शा

छत्तीसगढ़ में ऐसे विभिन्न प्रकार के पर्यटन स्थल हैं जिनमें से अब तक बहुत से अनछुए ही हैं। हरे भरे जंगल, सुंदर और सुरम्य झरने, खूबसूरत पठार और घुमावदार नदियां आँखों को सुकून देते हैं। प्राचीन काल के किले और गुफाएं पर्यटकों के आकर्षण में वृद्धि करते हैं। छत्तीसगढ़ के जंगलों में विभिन्न प्रकार के जंगली जानवर रहते हैं। राज्य के 42 प्रतिशत हिस्से पर जंगल है। सबसे महत्वपूर्ण है छत्तीसगढ़ में रहने वाले आदिवासी, जो पर्यटकों के लिए बहुत बड़ा आकर्षण का केंद्र हैं।

छत्तीसगढ़ में देखने योग्य स्थान



कवर्धा
श्रेणी: इतिहास और संस्कृति
छोटा सा प्राचीन शहर कवर्धा, प्रकृति और समृद्ध आदिवासी जीवन की झलक देता है। कवर्धा का शाही महल भारत के शाही जीवन की झलक देता है। इस महल का निर्माण सन् 1936-37 में हुआ था। यह महल अब पर्यटकों के रहने का स्थान है। शहर में राधा कृष्ण मंदिर भी है जो पर्यटकों के लिए एक और आकर्षण है। कवर्धा में देखने योग्य स्थान भोमाराव मांडवा महल और मदन मंजरी महल हैं।

चित्रकोट प्रपात
श्रेणी: प्रकृति
घोड़े की नाल के आकार का यह झरना करीब 100 फीट उंचा है। इस झरने के कोने पर सुंदर पक्षियों को बैठे देखा सकता है जो इसकी खूबसूरती बढ़ाते हैं। इस झरने का शोर इतना होता है कि इसकी आवाज़ के पीछे कुछ सुनाई नहीं देता है। इस झरने की खूबसूरती बारिश के मौसम में बढ़ जाती है क्योंकि मिट्टी के बहाव से पानी का रंग भूरा हो जाता है।

कांकेर
श्रेणी: प्रकृति
करीब एक हजार साल पुराने इस पुराने इस शहर में जंगल, झरने और आदिवासी गावों का अद्भुत संगम है जो पर्यटकों को आकर्षित करता है। कांकेर के महल में अब भी शाही परिवार रहता है। छत्तीसगढ़ आने वाले पर्यटकों को यह महल बहुत आकर्षित करता है।

भोमरामदेव
श्रेणी: इतिहास और संस्कृति
खूबसूरती से उकेरी कामुक प्रतिमाओं के कारण इसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है। यह मंदिर नगर शैली में बनाया गया है। मंदिर में स्थित शिव लिंग वास्तुकला का सुंदर नमूना है। मंदिर की बाहरी दीवार पर 54 कामुक मुद्राओं में मूर्तियां सजी हैं।

चंपारण
श्रेणी: इतिहास और संस्कृति
चंपारण शहर संत वल्लाभाचार्य का जन्म स्थान है। इस प्रसिद्ध संत की जयंती हर साल अप्रैल-मई के महीने में मनाई जाती है। इस मौके पर विभिन्न जगहों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। हर साल जनवरी-फरवरी के महीने में लगने वाले मेले में कई पर्यटक आते हैं।

बस्तर
श्रेणी: इतिहास और संस्कृति
यह आदिवासी भूमि वन्यजीव प्रेमियों के लिए निमंत्रण है, यहां आकर यहां के जंगल, झरने, वन्य जीव, प्राचीन मंदिर और आदिवासी नृत्य और संगीत को अनुभव करने का। यह देश का एक महत्वपूर्ण ईको-पर्यटन स्थल है। किसी समय में बस्तर भारत का सबसे बड़ा जिला हुआ करता था।

सेवरीनारायण
श्रेणी: इतिहास और संस्कृति
इस जगह का संबंध रामायण से है। इस स्थान का नाम शबरी के नाम पर पड़ा जिन्होंने भगवान राम और उनकी पत्नी सीता की वनवास के समय सेवा की थी। कुछ लोग 10वीं या 11वीं सदी के इस मंदिर को भगवान जगन्नाथ के मंदिर से ज्यादा पूजनीय मानते हैं। सेवरीनारायण के नर नारायण मंदिर की दीवारों पर हिंदू पौराणिक पात्रों की आकृतियां हैं। यहां आयोजित होने वाले सालाना उत्सव में देश भर से कई पर्यटक आते हैं।

इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान
श्रेणी: वन्य जीवन
इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र बाघ अभयारण्य है। यहां विभिन्न प्रकार के वन्य जीव देखे जा सकते हैं।

इसके अलावा राज्य में तीन और राष्ट्रीय उद्यान और 11 वन्यजीव अभयारण्य हैं। कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान और अचानकुमार अभयारण्य छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन आकर्षण हैं। जंगली भैंस और पहाड़ी मैना जैसी लुप्तप्राय प्रजातियां भी यहां पाई जाती हैं।

छत्तीसगढ़ यात्रा का नक्शा
छत्तीसगढ़ राज्य का अस्तित्व इस सहस्त्राब्दी की शुरुआत में ही आया। मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ 1 नवंबर 2000 को भारत का 26वां राज्य बना।

जब आप छत्तीसगढ़ की यात्रा करते हैं तो छत्तीसगढ़ आपका स्वागत एक हरे कालीन के साथ करता है। छत्तीसगढ़ में भारत के वनक्षेत्र का 12 प्रतिशत है और इसमें हीरे सहित कई खनिज संसाधनों का भंडार है।

इतिहासकारों का कहना है कि प्राचीन दंडकारण्य, जो कि आज छत्तीसगढ़ का हिस्सा है, इसमें भारत के सबसे पहले निवासी आकर बसे थे। इस जगह का जिक्र रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन महाकाव्यों में भी है।

10वीं से 16वीं सदी के बीच एक शक्तिशाली राजपूत परिवार ने इस क्षेत्र में राज किया जिसे कलचुरी राजवंश कहा जाता था । शिवनाथ नदी के उत्तर में 18 किले और इसी नदी के दक्षिण में 18 किले थे जो कि कलचुरी के थे। इस प्रकार इन 36 किलों के कारण इस क्षेत्र का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा।

छत्तीसगढ़ कैसे पहुंचें
छत्तीसगढ़ राज्य अपने घने अनदेखे जंगलों, लचकती नदियों, झरनों, प्राचीन गुफाओं और मंदिरों और समृद्ध आदिवासी जनसंख्या के कारण आपको अपनी ओर खींचता है।

क्या आप इस चिंता में हैं कि छत्तीसगढ़ कैसे पहुंचें? भारत के केंद्र में स्थापित होने के कारण छत्तीसगढ़ हर तरफ से जमीन से घिरा है जिससे इस राज्य तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसलिए छत्तीसगढ़ कैसे पहुंचें यह सवाल आपको बिलकुल परेशान नहीं करेगा।

हवाई मार्ग से
छत्तीसगढ़ में एक घरेलू हवाई अड्डा है जो कि देश के लगभग सभी हवाई अड्डों से जुड़ा है। इंडियन एयरलाइंस छत्तीसगढ़ से और छत्तीसगढ़ तक नियमित उड़ानें संचालित करती है।

रेल मार्ग से
छत्तीसगढ़ के दो प्रमुख रेलवे स्टेशन रायपुर और बिलासपुर इस राज्य को देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जोड़ते हैं। रायपुर मुंबई और हावड़ा के लगभग मध्य में आता है जो कि क्रमशः पश्चिम और पूर्व भारत के प्रमुख रेलवे स्टेशन हैैं और नियमित तौर पर यहां से महत्वपूर्ण रेलें संचालित होती हैं।

सड़क से
छत्तीसगढ़ में सड़क नेटवर्क शानदार है। एनएच 6, एनएच 16 और एनएच 43 राजमार्ग छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ते हैं।

छत्तीसगढ़ में खरीददारी
छत्तीसगढ़ में खरीददारी एक खुशनुमा अनुभव है। छत्तीसगढ़ की जनजातियां विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प बनाने में काफी कुशल हैं। यह हस्तशिल्प दुनिया भर में मशहूर हैं और शानदार सजावटी सामान, तोहफे या उपयोगी सामान के तौर पर काम आते हैं। इन हस्तशिल्पों का आकर्षण इतना ज्यादा है कि छत्तीसगढ़ में खरीददारी एक अनूठी गतिविधि है।

छत्तीसगढ़ में खरीददारी के लोकप्रिय सामान
  • लकड़ी और बांस के शिल्प
  • बेल धातु का सामान
  • गढ़ा आयरन का सामान
  • टेराकोटा
  • पत्थर के शिल्प
  • सूती कपड़े

इतनी विविधता और शिल्प कौशल भारत में कहीं और देखना मुश्किल है। छत्तीसगढ़ में खरीददारी करते हुए कुछ एक सामान चुनना मुश्किल काम है।

छत्तीसगढ़ में खरीददारी में आपकी मदद करने के लिए बड़ी संख्या में सरकारी एंपोरिया और निजी दुकानें हैं।

छत्तीसगढ़ में देखने के लिए
  • कवर्धा
  • चित्रकोट झरना
  • कांकेर
  • भेरमदेव
  • चंपारण
  • बस्तर
  • सिओरिनारायण
  • इंद्रावती नेशनल पार्क