गंगा मंदिर

सन् 1845 में महाराजा बलवंत सिंह ने भरतपुर में गंगा मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर को बनने में 90 सालों का लंबा समय लगा। भरतपुर शहर के मध्य में बना यह गंगा मंदिर सभी सुंदर मंदिरों में से एक है।

यहां भव्य गंगा देवी विराजित हैं। गंगा माता देवी की प्रतिमा सफेद संगमरमर से बनी है। यहां गंगा देवी को मगरमच्छ की पीठ पर बैठा दिखाया गया है। यहां राजा भगीरथ की भी आकर्षक प्रतिमा है जो कि चार फीट उंची है। गंगा मंदिर का घंटा बहुत शक्तिशाली है और इसे दूर से भी सुना जा सकता है। गंगा मंदिर मां गंगा की पवित्रता और शुद्धता को दर्शाता है।

इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही शानदार और देखने लायक है। यह दो मंजिला मंदिर है जिसमें वास्तुकला की विभिन्न शैलियां हैं। इस मंदिर के खंबे सुंदर नक्काशी से ढंके हैं। गंगा मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक ओर भगवान कृष्ण की गिरीराज पर्वत को उठाए हुए मूर्ति है, दूसरी ओर लक्ष्मी नारायण और शिव पार्वती की मूर्तियां हैं। बड़ी तादाद में भक्त हर साल इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर का निर्माण बहुत ही असामान्य तरीके से हुआ था। कहा जाता है कि भरतपुर के संपन्न निवासियों ने गंगा मंदिर के निर्माण के लिए एक महीने का वेतन दान में दिया।

गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा जैसे धार्मिक त्यौहारों पर हर साल बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं। इन मौकों पर गंगा मंदिर को बहुत खूबसूरती से सजाया जाता है और इस पवित्र मंदिर में आने वाले हर व्यक्ति को यह सजावट आकर्षित करती है।

अंतिम संशोधन : दिसंबर 30, 2014