बाड़मेर में यात्रा करने के स्थान

बाड़मेर के छोटे से शहर में ऐतिहासिक किलों से लेकर इस सूखे परिदृश्य वाली जगह में रंग और जीवन बिखेरते रंगीन त्यौहार तक सैलानियों के लिए कई आकर्षण हैं। बाड़मेर नाम यहां के शासक बार राव या बहाड़ राव से आया है, जिन्होंने 13 वीं सदी में इस शहर की स्थापना की थी। पहले इस शहर का नाम ‘बहाड़ मार’ था, बाद में इसका नाम बदलकर बाड़मेर कर दिया गया।

बाड़मेर में देखने लायक स्थान

बाड़मेर किला
बाड़मेर में पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण बाड़मेर किला है। दरअसल बाड़मेर शहर एक पथरीले पहाड़ के उपर है जहां आपको पुराने बाड़मेर किले के अवशेष फैले मिल जाएंगे।

बलार्क मंदिर
भगवान सूर्य को समर्पित एक मंदिर बलार्क मंदिर और जूना बाड़मेर के प्राचीन अवशेष बाड़मेर के टूरिस्ट आकर्षण हैं। यहां तीन जैन मंदिर हैं और सबसे बड़ा मंदिर बाड़मेर के शासक रहे महाराजा कुला श्री सामंत सिन्हा का है जिसमें 1295 ईस्वी के शिलालेख और हाॅल में विशाल खंबे हैं।

किराडू
बाड़मेर के हाथमा गांव के पास एक पहाड़ की तलहटी में 35 किलोमीटर दूर किराडू है जहां सुंदर और बारीक नक्काशी वाले मंदिर हैं, जिनकी वास्तुकला शानदार है। यहां मिले 1161 ईस्वी के शिलालेखों से पता चलता है कि कभी पुंवर की राजधानी रहे किराडू का नाम तब कीरतकूप था। यहां मौजूद पांच प्राचीन मंदिर, जिनमें से एक भगवान विष्णु और चार भगवान शिव के हैं, पुरातत्वविदों और कला प्रेमियों के बीच मुख्य आकर्षण हैं।

बाड़मेर के आसपास के पर्यटक स्थल
बाड़मेर के छोटे से शहर के आसपास बहुत सी जगहें हैं जो देखी जा सकती हैं, इनमें से कई में ऐसे मंदिर हैं जिनके अवशेषों में प्राचीन इतिहास दबा हुआ है। खेड़ नाम के ऐतिहासिक शहर में भगवान विष्णु का रणछोड़जी नाम का एक पुराना मंदिर है, जिसकी दीवारें गिर रही हैं और गेट पर गरुड़ का चित्र बना है। खेड़ के अन्य मंदिरों में ब्रम्हा, भैरव, महादेव और जैन मंदिर हैं।

कभी मलीनी राज्य की रियासत रहे प्राचीन गांव जसोल में जैन मंदिर और एक हिंदू मंदिर है और दोनों ही जरुर देखने लायक हैं। ‘नगर की भकरियां’ पहाड़ की ढलान पर मेवा नगर है जिसमें तीन जैन मंदिर हैं और इनमें से सबसे बड़ा नाकोड़ा पाश्र्वनाथ को समर्पित है।

अंतिम संशोधन : दिसंबर 30, 2014