मीराबाई मंदिर


मीराबाई मंदिर चित्तौड़गढ़ की सबसे धार्मिक जगहों में से एक है। राजपूत राजा महाराणा कुंभा के शासन में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। भक्ति पंथ आंदोलन की प्रमुख प्रतिभागी मीराबाई को यह मंदिर समर्पित है।

यह मंदिर ठेठ राजपूत स्थापत्य कला में निर्मित किया गया है। इसका ढांचा एक उंचे चबूतरे पर बना है जो उत्तर भारतीय कला की खासियत है। मंदिर का गुंबद एक सिर के पांच मानव शरीर वाली संरचना से सजा है। यह शरीर हिंदू धर्म की पांच जातियों या वर्ण और हरिजन की पांचवी जाति का प्रतीक है, और एक सिर भगवान में आस्था का प्रतीक है जिसे सब समान रुप से महसूस करते हैं। मुख्य गर्भगृह के उपर मंदिर की विशाल छत है।

मंदिर के गर्भगृह में भगवान कृष्ण के चित्र हैं। अंदर गुहा में भगवान की प्रार्थना करती मीराबाई के चित्र हैं। मंदिर के भीतर एक छोटी छतरी मीराबाई के संरक्षक स्वामी रविदास को समर्पित है। वह वाराणसी से थे और हरिजन जाति के थे। मंदिर के नीचे फर्श पर संत के पदचिन्ह भी हैं।

मीराबाई मंदिर का दौरा करने वाले सैलानियों को गर्भगृह में जाने से पहले अपने जूते खोलने की सलाह दी जाती है।

अंतिम संशोधन : जनवरी 28, 2015