पद्मिनी का महल


पद्मिनी का महल चित्तौड़गढ़ के कुछ विचित्र स्थानों में से एक है। इस जगह में आज भी अतीत का आकर्षण और भव्यता है।

चित्तौड़गढ़ का पद्मिनी का महल कमल सरोवर के पीछे स्थित है। इस महल में महान मुस्लिम योद्धा अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी की झलक देखी थी। उन्होंने इस खूबसूरत रानी की झलक जनाना महल में उनके पति राणाप्रताप सिंह के साथ खड़े होने के दौरान देखी थी। रानी का यह प्रतिबिंब इस योद्धा को मुख्य डेवढ़ी में रखे गए एक दर्पण में दिखा। इस सुंदर रानी का रुप इस योद्धा को इतना भा गया कि उसने उसे पाने के लिए उसने युद्ध छेड़ दिया। हालांकि वह यह युद्ध जीत गया पर फिर भी रानी को नहीं पा सका, क्योंकि रानी ने दूसरी औरतों के साथ जौहर कर लिया था।

चित्तौड़गढ़ का पद्मिनी का महल रानी का ग्रीष्मकालीन महल माना जाता है जो कि काली माता मंदिर के दक्षिणी छोर पर है। पहले इस जगह को मर्दाना महल कहा जाता था। सरोवर के बीच में बना मंडप रानी द्वारा सबसे ज्यादा दौरा किये जाने वाला द्वीप था। अपनी सेना द्वारा चित्तौड़ पर कब्जा कर लेने के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने इस महल को पूरी तरह तबाह कर दिया था। महाराणा सज्जन सिंह ने अपने शासन काल में इस महल का नवीनीकरण किया। महाराणा संग्राम सिंह प्रथम ने मांडू के महमूद शाह को महल के एक हिस्से में बंधक बना कर रखा था।

पद्मिनी का महल शहर के लोगों के लिए बहुत ज्यादा ऐतिहासिक महत्व रखता है। शहर में आने वाले भारतीय और विदेशी पर्यटक इस जगह का अक्सर दौरा करते हैं।

अंतिम संशोधन : जनवरी 28, 2015