दिल्ली का लाल किला

दिल्ली का लाल किला (दिल्ली का रेड फोर्ट) दिल्ली का एक प्रमुख पर्यटन केंद्र है।

दिल्ली का लाल किला को राष्ट्रीय राजधानी के सबसे अच्छे और जरूर देखने योग्य स्थान के तौर पर गिना जाता है। निस्संदेह, इस चमत्कृत कर देने वाले ढांचे से जुड़ा इतिहास मुगल राजशाही और ब्रिटिशर्स के खिलाफ संघर्ष की दास्तान सुनाता है। लाल बलुआ पत्थर से बना लाल किला 250 एकड़ में फैला है। इसमें भारतीय, यूरोपीय और फारसी वास्तुकला का बेहतरीन मिश्रण देखने को मिलता है।

रेड फोर्ट को पारंपरिक तौर पर लाल किला कहा जाता है, जो भारत की राजधानी के पुरानी दिल्ली इलाके में स्थित है। मुगल शासक शाहजहां ने 17वीं सदी में इस लाल किले का निर्माण कराया था। इस अद्वितीय और बेहतरीन ढांचे के निर्माण में नौ साल का वक्त और एक करोड़ रुपए का खर्च आया था। लाल किले का आर्किटेक्चर इतना आकर्षक है कि यह आज भी पुरानी दिल्ली के सबसे ज्यादा लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बना हुआ है। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों से आने वाले पर्यटक भी लाल किले को देखने का मौका नहीं गंवाना चाहते।

लाल किले तक पहुंचना बहुत आसान है। यदि आप बाहर से आए पर्यटक हैं तो किसी भी टैक्सी या परिवहन के किसी अन्य साधन के जरिए लाल किले तक पहुंच सकते हैं। यदि आपके पास शहर का नक्शा हैं तो वह भी लाल किले तक पहुंचने में आपकी मदद कर सकता है। आप सही रास्ता पकड़ लो तो न केवल आसानी से लाल किले तक पहुंच सकते हैं, बल्कि आसपास के कुछ अन्य पर्यटक स्थल भी देख सकते हैं।

यमुना नदी के किनारे स्थित लाल किला आज भी एक महत्वपूर्ण स्मारक के तौर पर जगह बनाए हुए हैं। इसमें भव्य इतिहास की झलक दिखाई देती है। इस आलीशान किले के अंदर पर्यटकों के लिए कई खूबसूरत ढांचे मौजूद हैं, जो उन्हें आश्चर्यचकित करने के साथ ही इतिहास के प्रति गौरवान्वित होने का अनुभव देते हैं। इनमें दीवान-ए-आम, संगमरमर से बने भव्य महल, मस्जिद, बगीचे और आलीशान महल शामिल हैं। इनमें आपको मुगल शासकों का समृद्ध इतिहास दिखाई देता है। यह किला आज भी अपनी प्रभावशाली लाल बलुआ पत्थर की दीवार, विशाल गढ़ और दीवार पर किए गए बेहतरीन काम के सहारे पर्यटकों को सम्मोहित कराता है।

लाल किले की आंतरिक संरचना



आप जब इस किले में टहलते हैं तो आपके दिमाग में अहसास होता है कि सम्राट का जीवन कैसा होता होगा। आप उसकी एक झलक महसूस कर सकते हैं। यह भी कल्पना कर सकते हैं कि सम्राट ने किस तरह इतने विशाल काम के बारे में सोचा होगा और फिर उसे अमलीजामा पहनाया होगा। उस समय के आयोजन कितने भव्य होते होंगे, यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है। किले में जो जगहें सबसे ज्यादा पसंद की जाती हैं, उनमें दीवान-ए-आम महत्वपूर्ण है। यह जनता के लिए सभागार होता था। शासक यहां बैठकर आम जनता की समस्याएं सुनते थे और उनकी समस्याओं को हल करते थे। दीवान-ए-खास में खास लोगों की बैठक होती थी। सम्राट यहां बैठकर योजनाओं, रणनीति और गोपनीय जानकारियों पर चर्चा करते थे। यह जगह कार्नेलियन तथा अन्‍य पत्‍थरों के पच्‍चीकारी मोज़ेक कार्य के फूलों से सजा दीवान-ए-खास सोने से बने और एक समय प्रसिद्ध रहे मयूर सिहांसन के लिए भी जानी जाती थी, जिसे 1739 में इरान के शासक नादिरशाह द्वारा हथिया लिया गया।

लाल किले का भ्रमण यादगार अनुभव है। किले में मौजूद कई आकर्षण आपको सम्मोहित करते हैं। इनमें से एक है- शाही स्नान और हमाम। शाही स्न्नान यानी वह जगह जहां शाही परिवार के सदस्य स्नान किया करते थे। शाही बुर्ज वह जगह है जहां शाहजहां काम करते थे। यहां की दीवारों पर भी बेहतरीन काम किया गया है। मोती मस्जिद एक और भवन है, जिसे देखना अतीत की भव्यता को सामने लाकर खड़ा कर देता है। इसे शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने बनवाया था। किले में महिलाओं के लिए एक खास जगह बनाई गई थी, जिसे रंग महल कहा जाता है। रंगबिरंगी दीवारें, आइने की नक्काशी, सोने और चांदी के डिजाइन से सज्जित छत से इसकी खूबसूरती और भी बढ़ गई है। इतना ही नहीं संगमरमर के फर्श के बीच में बना कुंड इसकी सुंदरता को कई गुना बढ़ा देता है।

पर्यटकों के लिए लाल किले के यह हिस्से मंगलवार से रविवार तक सुबह 9.30 बजे से शाम को 4.30 बजे तक खुले रहते हैं। कोई भी पर्यटक फीस चुकाकर अंदर प्रवेश कर सकता है। शुक्रवार को प्रवेश मुफ्त होता है। लाल किले के आसपास सड़कों का नेटवर्क भी बहुत अच्छा है। ऐसे में किसी भी व्यक्ति को कहीं भी पहुंचने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती। पर्यटक नक्शे की मदद से आसपास के अन्य पर्यटन स्थलों पर भी पहुंच सकते हैं। नक्शे पर कई और भी आकर्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें देखने का अपना मजा है।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण जगह, जैसे हम्माम और मोती मस्जिद, पास-पास ही स्थित है। हम्माम या पब्लिक बाथ मुगलों की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करता था। हम्माम का इतिहास 16वीं सदी तक यानी पुराने किले तक जाता है। उत्तर में, एक बड़ा व आकर्षक पार्क है, जिसे हयात बख्श बाग भी कहा जाता है। इसे जीवनदायी बाग भी कहते हैं। एक लाल पत्थर वाला पैविलियन, जफर महल बीचोंबीच स्थित है। यहां पर बगीचे को पानी देने के लिए बारिश का पानी संग्रहित करने के लिए एक बड़ा तालाब भी बना है।

लाल किला – एंट्री फी, टाइमिंग, पता, ऑफिशियल वेबसाइट



स्थानः नेताजी सुभाष मार्ग, चांदनी चौक, नई दिल्ली 110006

सबसे पास का मेट्रो स्टेशनः चांदनी चौक

समयः खुलने का समयः सुबह 9:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक

अवकाशः सोमवार

एंट्री फीः 10 रुपए (भारतीयों के लिए), 250 रुपए (विदेशियों के लिए)

साउंड और लाइट शोवयस्कों के लिए एंट्री फीः 80 रुपए बच्चों के लिए एंट्री फीः 30 रुपए

खुलने का समयःशाम 6:00 – 8:30 बजे तक (हिंदी) रात 8:00 -9:30 बजे तक (अंग्रेजी)

फोटोग्राफीः कोई शुल्क नहीं

वीडियो फिल्मिंगः 25 रुपए

फोन नंबर (ऑफिशियल) : +91-11-23277705

ऑफिशियल वेबसाइट : www.delhitourism.gov.in

प्रमुख आकर्षणः

लाहौर गेटः यह किले का प्रमुख दरवाजा है

चट्टा चौकः यह एक ढंका हुआ बाजार है, जहां से आप हैंडीक्राफ्ट और स्मारक खरीद सकते हैं

दीवान-ए-आमः इस हॉल में मुगल शासक आम लोगों से संवाद करते थे। खूबसूरत पैनलों से सुसज्जित है।

दीवान-ए-खासः इस बड़े पिलर वाले हॉल में मुगल शासक अपने मंत्रियों और अन्य विश्वस्तों से संवाद करते थे।

मोती मस्जिदः यह एक छोटी मस्जिद है, जिसमें संगमरमर की नक्काशी की गई है।

हयात बख्श बाग या “लाइफ-बेस्टोइंग गार्डन”: फव्वारे, पैवेलियन, पोखर और कई तरह के फूल और पौधे आपको यहां मिल जाएंगे।

हम्माम या रॉयल बाथः यह पूरी तरह से संगमरमर से बना है।

जनानाः महिलाओं के इस्तेमाल के लिए काम आने वाला पैवेलियन।

रंग महल या रंगों का महलः इसकी सजावट के लिए कांच का काम किया गया है। सोने-चांदी से छत पर नक्काशी की गई है।

लाइट एंड साउंड शोः यह शाम छह बजे शुरू होता है। मुगल इतिहास के बारे में हिंदी व अंग्रेजी में विस्तार से बताया जाता है। आपको इस शो के लिए अतिरिक्त टिकट खरीदना होगा। टिकट की कीमत 80 रुपए (वयस्क के लिए) और 30 रुपए (बच्चों के लिए) है।

टिप्सः
अपने साथ पानी लेकर जाएं, बाहर से कुछ खाने का सामान लाने की अनुमति नहीं है।
जेबकतरों और ठगों से सावधान रहे।
लाइट एंड साउंड शो जरूर देखें। यह काफी रोचक है।
चट्टा चौक में शॉपिंग करते वक्त मोल-भाव पर ध्यान दें। हर छोटे-बड़े सामान की कीमत बहुत ज्यादा रखी है। एक बार आप स्मारक को देख लें तो आप शॉपिंग कर सकते हैं। चांदनी चौक मार्केट में खाने-पीने की दुकानों पर भी धावा बोल सकते हैं। पराठे वाली गली में पराठे जरूर खाएं। आपको यह अच्छा लगेगा!