दिल्ली के दर्शनीय स्थल

दिल्ली की यात्रा करते वक्त कोई भी यह बात महसूस कर सकता है कि वह ऐतिहासिक महत्व वाले आधुनिक मेट्रोपॉलिटन शहर में है। दिल्ली का इतिहास खूब लंबा और उतार-चढ़ाव वाला रहा है। दिल्ली ने कई साम्राज्यों के उभार और पतन को देखा है। आज की दिल्ली सात शहरों के खंडहरों पर बनी है, जिस पर हिंदू राजपूतों से लेकर मुगल और आखिर में ब्रिटिशों ने राज किया। दिल्ली सही मायनों में एक कॉस्मोपॉलिटन शहर है, जिसने कई जातीय समूहों और उनकी संस्कृति व परंपराओं को आत्मसात किया है। यहां की कला, हस्तशिल्प, खान-पान, त्योहारों और जीवनशैली में भी साफ झलकता है।

दिल्ली परंपराओं और आधुनिकता का सटीक मिश्रण है। दिल्ली की यात्रा पर कोई भी व्यक्ति पर्यटन की विस्तृत शृंखला को निहार सकता है- ऐतिहासिक स्मारकों से आधुनिक वास्तुकला के आश्चर्यों तक, पारंपरिक बाजारों से मेगा मॉल्स तक और बगीचों से लेकर अध्यात्मिक केंद्रों तक। दिल्ली की यात्रा पर आए हैं तो इन प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन आकर्षणों को देखे बिना न जाएं- कुतुब मीनार, हुंमायूं का मकबरा, लाल किला और पुराना किला। ब्रिटिश काल में बने राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट अपने आप में खास है। लोटस टेम्पल और दिल्ली हाट जैसे आधुनिक पर्यटन केंद्र भी दिल्ली में है। इसके अलावा दिल्ली में कई स्मारक और संग्रहालय हैं, जैसे- राष्ट्रीय संग्रहालय, राजघाट, शांति वन, जंतर मंतर आदि।

दिल्ली के पर्यटन स्थल

दिल्ली प्रसिद्ध स्वर्णिम त्रिभुज सर्किट का हिस्सा है, जिसमें आगरा और जयपुर भी आते हैं। कई पर्यटक भारत आने पर दिल्ली से जयपुर और आगरा के लिए ही निकलते हैं। आगरा में ही विश्व प्रसिद्ध वास्तु-आश्चर्य ताज महल है।

दिल्ली को खरीदारों का स्वर्ग कहा जाता है। दिल्ली में खरीदारी के दौरान, पर्यटकों को कई वस्तुओं में विविध विकल्प मिल जाते हैं, जैसे- भारतीय कारपेट्स, रेशम, जेवर, चमड़े और चांदी के बर्तन, हस्तशिल्प, हाथ से प्रिंट किए सूती वस्त्र, रेडीमेड गारमेंट्स। आप किसी डिजाइनर लेबल, ब्रांडेड प्रोडक्ट या स्थानीय स्तर पर बने सामान की खरीदारी कर रहे हैं, तो आपको दिल्ली की यात्रा करते वक्त सब मिल जाएगा। फिर चाहे वह एयर-कंडीशंड मॉल्स हो या सड़क किनारे लगने वाली स्टॉल्स, आपको मोल-भाव जरूर करना होगा। यदि आपको किसी शहर को मनमोहक रूप से समझना है तो उसके बाजारों में घूमकर देखिए। दिल्ली में यात्रा के दौरान आप यह सुनिश्चित करें कि चांदनी चौक और चावड़ी बाजार जैसे पुरानी दिल्ली के बाजारों में घूमने का आपको भी मौका मिले। इन बाजारों में अपना अनूठा भारतीय माहौल है। दिल्ली में खरीदारी करने के अनुभव को यह और शानदार बना देगा। करोल बाग और हौजखास गांव में भी बाजार की दुकानें मिल जाएंगी। दिल्ली पर्यटन ने दिल्ली हाट में कलाकारों के लिए स्थायी दुकानें बनाई हैं, जो पिछले कुछ वर्षों से लोकप्रिय शॉपिंग मार्ट के तौर पर उभरी है।

विदेशियों के लिए दिल्ली भारत का प्रमुख एंट्री पॉइंट है। दिल्ली अच्छे-से जुड़ा हुआ है, जिससे विदेशी पर्यटक हवाई, रेल या सड़क मार्ग से बड़ी आसानी से दिल्ली पहुंच सकते हैं।

दिल्ली आने का सबसे अच्छा वक्त
दिल्ली की यात्रा का सबसे अच्छा वक्त है अक्टूबर से मार्च तक का वक्त। इस दौरान मौसम खुशनुमा होता है। पर्यटक शहर के अलग-अलग नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं। गर्मियों में दिल्ली का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इस वजह से पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि वे गर्मियों में दिल्ली न आएं। उन्हें लू लगने की आशंका ज्यादा रहती है।

दिल्ली में घूमने के लिए जगहें

दिल्ली कैसे पहुंचें
भारत की राजधानी नई दिल्ली में सालभर बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। दुनिया के सबसे बड़े महानगरों में शुमार इस शहर तक पहुंचना मुश्किल नहीं है। देश के अलग-अलग हिस्सों और विदेशों से कई लगातार फ्लाइट्स, ट्रेन और बस इस शहर में पहुंचती हैं।

यदि आपको दिल्ली पहुंचना है तो यहां-वहां देखने की जरूरत नहीं है। हम आपको कुछ आसान रास्ते बताएंगे, जिससे आप लाल किला, कुतुब मीनार, लोटस टेम्पल और काफी कुछ को अपने में समेटने वाले शहर तक पहुंच सकते हैं।

हवाई मार्ग से
दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट दुनिया के सभी महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है। इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से तकरीबन सभी बड़ी इंटरनेशनल एयरलाइंस अपनी फ्लाइट्स संचालित करती हैं। पालम डोमेस्टिक एयरपोर्ट एक घरेलू विमानतल है, जहां भारत के अन्य बड़े शहरों से आने वाली उड़ानें आती हैं।

नई दिल्ली को बाकी दुनिया से जोड़ने वाली बड़ी इंटरनेशनल एयरलाइंस
  • ब्रिटिश एयरवेज- लंदन (हीथ्रो एयरपोर्ट)
  • एयर फ्रांस – पेरिस से (चार्ल्स डी गॉल एयरपोर्ट)
  • चाइना एयरलाइंस – रोम- फ्यूमिसिनो
  • जापान एयरलाइंस- टोक्यो
  • श्री लंका एयरलाइंस – कोलंबो

घरेलू एयरलाइंस जो नई दिल्ली को अन्य भारतीय शहरों से जोड़ती हैं
मुंबई से कोलकाता से बेंगलुरू से
  • एयर इंडिया
  • जेट लाइट
  • जेट एयरवेज कनेक्ट
  • इंडीगो एयरलाइंस
  • गो एयर
  • इंडीगो एयरलाइंस
  • स्पाइस जेट
  • इंडीगो
  • स्पाइस जेट
  • गो एयर


रेल मार्ग से
अपने आधुनिक और संगठित नेटवर्क से भारतीय रेलवे दिल्ली को करीब-करीब सभी बड़े और छोटे केंद्रों से जोड़ता है। शहर में तीन बड़े रेलवे स्टेशन हैं- नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और निजामुद्दीन। पैलेस ऑन व्हील्स, फेयरी क्वीन और रॉयल ओरिएंट एक्सप्रेस जैसी लग्जरी ट्रेनें भी नई दिल्ली कैंटोनमेंट रेलवे स्टेशन से चलती हैं। राजधानी एक्सप्रेस रेलगाड़ियां नई दिल्ली को राज्यों की राजधानियों से जोड़ती है। शताब्दी एक्सप्रेस रेलगाड़ियां नई दिल्ली को पड़ोसी शहरों से जोड़ती है।

नीचे उन रेलगाड़ियों की सूची दी जा रही है, जो बड़े भारतीय शहरों से दिल्ली के लिए निकलती हैं-
मुंबई से कोलकाता से बेंगलुरू से
  • एर्नाकुलम-हजरत निजामुद्दीन दुरंतो एक्सप्रेस
  • पश्चिम एक्सप्रेस
  • केरल संपर्क क्रांति एक्सप्रेस
  • कालका मेल
  • जनता एक्सप्रेस
  • नई दिल्ली –हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस
  • कर्नाटक संपर्क क्रांति एक्सप्रेस
  • बेंगलुरू-हजरत निजामुद्दीन राजधानी एक्सप्रेस
  • कोंगु एक्सप्रेस

सड़क मार्ग से
दिल्ली भारत के सभी बड़े महानगरों से राजमार्गों और सड़कों के माध्यम से अच्छे-से जुड़ा हुआ है। राज्य में तीन बड़े बस स्टॉप्स हैं- कश्मीरी गेट, सराय काले खान और आनंद विहार पर इंटर स्टेट बस टर्मिनस (आईएसबीटी)। शहर में कुछ और पॉइंट्स भी हैं, जहां से कई राज्यों की और प्राइवेट चलने वाले परिवहन सुविधाओं जैसे- एयरकंडीशंड, डीलक्स और साधारण कोच भी संचालित होते हैं।

दिल्ली में यात्रा कैसे करें
दिल्ली में यात्रा करने के लिए बसें, मेट्रो ट्रेन, ऑटो रिक्शा के साथ ही साइकिल-रिक्शा भी है। टूरिस्ट टैक्सी अन्य राज्यों से परिवहन के लिए हैं, वहीं पीली और काली टैक्सियों का इस्तेमाल दिल्ली में किसी भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने के लिए किया जा सकता है। यह सुरक्षित तो हैं, लेकिन तुलनात्मक रूप से महंगी सेवा हैं। दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (डीटीसी) बसें शहर के हर इलाके में जाती हैं और यह परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। ऑटो रिक्शा भी एक विकल्प हैं, लेकिन सही यात्री किराया तय करने के लिए मोल-भाव करना बेहद जरूरी हो जाता है। विलासिता पूर्ण विशेष पर्यटक बसें भी पैकेज्ड टूर्स के साथ उपलब्ध हैं। यह बसें दिल्ली के सभी पर्यटन केंद्रों का भ्रमण कराती है। हाल ही में शुरू हुई दिल्ली मेट्रो रेलवे लाइन दिल्ली के सभी महत्वपूर्ण स्थानों को आपस में जोड़ती है। यह सुविधाजनक और सबसे अच्छा साधन है।

दिल्ली में खरीदारी
दिल्ली में स्थानीय बाजार और खरीदारीः दिल्ली में शॉपिंग करने का अलग ही आनंद है। आपको यहां हर वस्तु मिल जाएगी। आकर्षक कपड़े, तांबे के बर्तन, लकड़ी की कारीगरी, जेवर, चमड़े और धातु की कृतियों से लेकर सुगंधित तेलों तक। दिल्ली में ही आपको पॉश, उच्च स्तरीय शॉपिंग मॉल से लेकर शहर के दिल में स्थित लोकल मार्केट तक सभी मिल जाएंगे।

  • सरकारी और राज्यों के एम्पोरियमः बाबा खड़क सिंह मार्ग (कनॉट प्लेस के पास) राज्यों के एम्पोरियम है, जहां आपको उन राज्यों के अधिकृत हस्तशिल्प मिल जाएंगे। लेकिन यहां मोल-भाव नहीं होता, रेट फिक्स है।

    • कनॉट प्लेसः खरीदार तो जैसे चुंबक जैसा खिंचे चले आते हैं यहां। दुकानों और फुटपाथ पर जेवरों, चमड़े की वस्तुओँ, कपड़ों, जूते और अन्य रुचिकर और रंगबिरंगी वस्तुएं बेचने वालों की कमी नहीं है।

    • पालिका बाजारः कनॉट प्लेस में यह एक अंडरग्राउंड मार्केट है। बड़ी संख्या में स्थानीय लोग यहां उपभोक्ता सामग्री खरीदने पहुंचते हैं। मोल-भाव भी खूब करते हैं। विदेशी पर्यटकों को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर कीमत बताई जाती है, इसलिए मोल-भाव जरूरी है।

    • खान मार्केटः दिल्ली के लोकप्रिय शॉपिंग इलाकों में से क है- खान मार्केट। सामान्य तौर पर यहां विदेशी राजनयिक और विदेशी ही ज्यादा आते हैं। यहां कई लोकप्रिय बुकशॉप्स और कॉफी शॉप्स हैं। जैसे कि फुल सर्कल और कैफे टर्टल।

    • हौज खास गांवः डिजाइनर फर्नीचर शॉप्स, आर्ट गैलरी और बुटीक के लिए यहां आइए।

    • दिल्ली हाटः आईएनए मार्केट के पास यह एक ओपन एयर फूड और क्राफ्ट बाजार है। पारंपरिक हस्तशिल्पों, जेवरात और घर के सजावटी सामान के लिए प्रसिद्ध है। यहां आप किफायती दर पर पूरे देश का खाना चख सकते हैं।

  • अंसल प्लाजाः यह एक आधुनिक शॉपिंग मॉल है, जहां आपको कपड़ों के लोकप्रिय विदेशी ब्रांड्स से लेकर विश्वसनीय कॉस्मेटिक्स और परफ्यूम ब्रांड्स भी मिल जाएंगे।

दिल्ली में होटल
व्यापार और पर्यटन के लिहाज से दिल्ली भारत के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। सालभर में यहां कई पर्यटक आते हैं। यहां सभी शीर्ष उच्च स्तरीय होटल्स, डीलक्स के साथ ही बजट होटल्स भी हैं। दिल्ली के होटल्स सभी जेबों और पसंद के अनुसार है। विलासिता पूर्ण आराम के लिहाज से, दिल्ली में दुनियाभर से आने वाले पर्यटकों के रहने के लिए फर्स्ट-क्लास भारतीय और अंतरराष्ट्रीय चेन उपलब्ध है। दिल्ली में कुछ टॉप एंड होटल्स हैं: द लीला पैलेस, द इम्पीरियल, द ओबेरॉय, ताज महल होटल, आईटीसी मौर्य, हिल्टन गार्डन, ली मेरिडियन और शांग्रिला का इरोज होटल आदि। स्टैंडर्ड बजट होटल और मध्यम किराये वाले गेस्ट हाउस से लेकर कम खर्चीले यूथ होस्टल्स और लॉज तक, दिल्ली में हर तरह के मुसाफिर के ठहरने की व्यवस्था है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास पहाड़गंज इलाके में बजट होटलों और लॉजेस की भरमार है। यहां पैसा बचाया जा सकता है, इसलिए कई विदेशी इन्हीं होटल्स में रहना पसंद करते हैं। इन होटलों में चेक-इन करने से पहले रूम और होटल को अच्छे-से जांच लें। इनके अलावा भी दिल्ली में कई होटल हैं, जो सभी यात्रियों के बजट के मुताबिक सेवाएं देते हैं।

दिल्ली में घूमने लायक जगहें

इंडिया गेट
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
इंडिया गेट पत्थर का बना एक स्मारक है, जो पहले विश्व युद्ध में शहादत देने वाले भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था। यदि आप दिल्ली में घूमने निकले हैं तो निश्चित तौर पर पहली जगह इंडिया गेट ही होगी। भारतीय सैनिक ब्रिटिश आर्मी का हिस्सा थी और उसने अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रहे ब्रिटिश साम्राज्य की सैन्य ताकत का प्रतिनिधित्व किया। इंडिया गेट का डिजाइन एडविन लुटियंस ने बनाया था। 42 मीटर ऊंचे इस ढांचे को बनाने में 10 साल लगे थे।

राष्ट्रपति भवन
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
राष्ट्रपति भवन दिल्ली का एक प्रसिद्ध स्मारक है। यह भारत के तत्कालीन वाइसरॉय का महल था। इस समय राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति रहते हैं। यह भवन भी एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था। 1911 में इसका निर्माण शुरू हुआ और इसके बनने में करीब 19 साल लगे। राष्ट्रपति भवन के पश्चिमी हिस्से में एक बहुत ही खूबसूरत मुगल गार्डन है। हर साल बसंत में यह गार्डन आम लोगों के लिए खोला जाता है। सिर्फ 25 रुपए की रजिस्ट्रेशन फीस चुकाकर राष्ट्रपति भवन और मुगल गार्डन की सैर की जा सकती है। 30 से ज्यादा पर्यटकों के ग्रुप को रियायत दी जाती है और 12 साल से कम उम्र के बच्चों से कोई शुल्क नहीं वसूला जाता।

लाल किला
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
लाल पत्थर से बना यह लाल किला 2 किलोमीटर चौड़ा है। शहर की ओर इसकी ऊंचाई 33 मीटर है जबकि नदी की ओर 18 मीटर। यह किला शाहजहां ने 1638 में बनवाया था। 10 साल बाद 1648 में यह बनकर तैयार हुआ था। इसके अंदर कई इमारतें हैं, जिनमें जनसभा के लिए दीवान-ए-आम, मोती मस्जिद, रंगीन महल और शाही स्नान गृह शामिल हैं। पारसी, यूरोपीय और भारतीय स्थापत्य कला से सुसज्जित यह किला अपने आप में बेजोड़ है।

जामा मस्जिद
श्रेणीः धार्मिक
जामा मस्जिद पुरानी दिल्ली में स्थित है। यह दिल्ली की एक प्रमुख मस्जिद है। शहंशाह शाहजहां ने कई इमारतों का निर्माण कराया। उनमें भारी-भरकम खर्च से बना यह आखिरी आलीशान भवन है। यह देश की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। इसके आंगन में एक साथ 25 हजार लोग आ सकते हैं। इस मस्जिद का निर्माण 1644 में शुरू हुआ था और 1658 में पूरा हुआ। 5000 कलाकारों ने इसके निर्माण में भाग लिया था। जामा मस्जिद में तीन भव्य दरवाजे हैं और 40 फीट ऊंची दो मीनारें और चार टावर हैं। यह लाल पत्थर और संगमरमर से बनी है।

गुरुद्वारा सिस गंज साहिब
श्रेणीः धार्मिक
“जब तक एक पवित्र व्यक्ति गरीब ब्राह्मणों की खातिर अपना सिर नहीं गिराता, तब तक राजा की तानाशाही से बचने की कोई उम्मीद नहीं मिल सकती।” यह शब्द थे उस शख्स के जो हिंदुओं पर मुगलों के अत्याचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ा। वह सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर साहिब जी थे। साहसी गुरु, जो वीरता और दृढ़ निश्चय के प्रतीक बने। गैर-मुस्लिमों के धार्मिक विश्वास को बचाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। मुगल शासक औरगंजेब ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। गुरुद्वारा सिस गंज साहिब इन साहसी गुरु की शहादत का प्रतीक है।

गुरुद्वारा बांग्ला साहिब
श्रेणीः धार्मिक
गुरुपर्व और गुरुनानक जयंती पर नई दिल्ली में गुरुद्वारा बांग्ला साहिब की चमक देखना अपने आप में भव्यता के साक्षात दर्शन करना है। इस अवसर पर गुरुद्वारा जगमगा उठता है। दो दिन चलने वाले अखंड पथ पर विशेष कीर्तन कार्यक्रम होते हैं। इस जगह का पूरा माहौल ही शांतिदायक है। यदि आप इन पर्वों के दौरान दिल्ली में रहे तो इस जगह जाने का अवसर कतई न चूके।

जंतर मंतर
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
संसद मार्ग पर कनॉट प्लेस में स्थित यह ढांचा महाराजा जय सिंह द्वितीय की ऑब्जर्वेटरी में से एक है। जयपुर के शासक ने 1725 में इस ऑब्जर्वेटरी का निर्माण कराया था। इस पर बड़ा सा सनडायल बना है, जिसे प्रिंस ऑफ डायल कहा जाता है। इस ऑब्जर्वेटरी में अन्य उपकरण दिव्य गणनाओं और ग्रहणों के पूर्वानुमानों में मदद करते थे। इसका निर्माण जयपुर के राजा जय सिंह द्वितीय ने दिल्ली में किया था। दिल्ली का जंतर मंतर अपने भीमकाय उपकरणों की मदद से खगोलीय गणनाओं में मदद करता था। जंतर-मंतर में कई ऐसे उपकरण हैं, जो खगोलीय ब्रह्मांड के रास्ते का ग्राफ बना सकते हैं।

कुतुब मीनार
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
दिल्ली का कुतुब मीनार दुनिया का सबसे ऊंची ईटों से निर्मित मीनार है। इसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है। दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 में इसका निर्माण कराया था। उस समय कुतुब मीनार में सिर्फ एक तलघर था। उनके उत्तराधिकारी और दामाद शम्सउद्दीन इल्तुतमिश ने तीन और टावर बनाए। कुतुब मीनार भारतीय-इस्लामिक स्थापत्य कला का शुरुआती और आज भी मौजूद प्रमाण है। इसके आसपास बने प्राचीन ढांचों को कुतुब परिसर कहा जाता है।

बहाई मंदिर (लोटस टेम्पल)
श्रेणीः धार्मिक
बहाई मंदिर या लोटस टेम्पल का यह नाम उसके फूल जैसे आकार की वजह से है। यह दिल्ली के दक्षिणी हिस्से में स्थित है। इरानी-कनाडाई वास्तुविज्ञ फरीबुक साहबा ने 1986 में इसे डिजाइन किया था। इसकी 27 शुद्ध सफेद रंग की पंखुड़ियां हैं। यह मंदिर बहाई पूजास्थल है, जो दिल्ली के पर्यटन आकर्षणों में से एक है; यह स्थापत्य कला से जुड़े कई पुरस्कार जीत चुका है और कई पत्रिकाओं और अखबारों में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ है। लोटस टेम्पल में जाने का सबसे अच्छा वक्त अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। साल के यह माह दिल्ली के मनोहर दृश्यों को निहारने के लिए श्रेष्ठ है।

बिजय मंडल
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
दिल्ली के पुरातात्विक इतिहास का गूढ़ रहस्य हासिल करना वास्तव में एक मुश्किल काम है! आपको नहीं पता कि सदियों पहले बनाए गए इन शांत खड़े रहस्यमय ढांचों में क्या छिपा है। हाल ही में मैं एक पहेलीनुमा संरचना के संपर्क में आया, जिसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। कई घंटों के शोध के बाद, मैंने पाया कि यह सबसे सनकी शासक मुहम्मद बिन तुगलक का “हजार स्तंभों” वाला महल था। किले का यह विशाल परिसर जहांपनाह का हिस्सा था, दिल्ली की सल्तनत के चार शहरों में से एक।

सुनहरी मस्जिद
श्रेणीः धार्मिक
प्राचीन काल में भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। इसी वजह से बड़ी संख्या में शासकों ने यहां हमले किए। इन शासकों के अत्याचार का एक बड़ा इतिहास है। उन्होंने न केवल देश की संपदा को लूटा, बल्कि खून भी बहाया। ऐसे ही एक शासक के अत्याचारों को दिल्ली की एक छोटी मस्जिद में दर्ज किया गया था। कुलीन मुगल रोशन-उद दौला जफर खान ने इसे बनवाया था। यह मस्जिद चांदनी चौक में है और उसे सुनहरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है।

इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर
कला मानवीय प्रकृति का अभिन्न अंग है। यह इकलौती ऐसी गतिविधि है, जिसके जरिए विचारों को उतनी ही शुद्धता के साथ पेश किया जा सकता है। इंदिरा गांधी कला केंद्र देश का प्रमुख सरकारी संस्थान है, जो खास तौर पर देश में कला के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए बना है।

दिवंगत प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने 24 मार्च 1987 में इसका उद्घाटन किया था। उन्होंने अपनी मां इंदिरा गांधी की याद में बनवाया था।

जमाली कमाली मस्जिद
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
मेरे जैसा इतिहास प्रेमी भी कई संरचनाओं में दफन आकर्षक रहस्यों और राज़ों के बारे में जान नहीं सकता। संभवतः इसी वजह से मैं हमेशा अपने आसपास छिपे किलों और मकबरों का पता लगाने की कोशिश करता हूं। और मुझे राजधानी में फिर ऐसी ही एक और जगह मिल गई। महरौली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पार्क में स्थित जमाली कमाली मस्जिद और मकबरा दिल्ली के पास स्थित एक और प्राचीन संरचना है। इतिहास में इस जगह के असामान्य नाम का रहस्य खुला। दो लोग थे – शेख जमाली कंबो और उनकी साथी कमाली। दोनों की याद में ही यह जगह बनी थी।

लाल कोट
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
लाल कोट, का शाब्दिक अर्थ है- ‘लाल किला’। दक्षिण दिल्ली में स्थित यह दीवारों का गढ़ या सैन्य चौकी है। लाल पत्थर से बनाया गया यह दिल्ली का पहला किला था।

शहर की ऐतिहासिक भव्यता की एक झलक पाने के लिए हर एक को यहां आना चाहिए। लाल कोट अपने वक्त का पहली रक्षात्मक संरचना थी। इसे 731 ईसवी में तोमर शासक अनंग पाल प्रथम ने बनवाया था। यह लाल कोट आयताकार है, जिसकी परिधि 2.25 किलोमीटर है।

गदर स्मारक
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
एक सदी पहले, जब भारत ब्रिटिश राज के अधीन था, कुछ साहसी लोगों ने उपनिवेश के खिलाफ अभियान छेड़ा था। उन्होंने वह शुरू किया जिसे आज हम, “पहला स्वतंत्रता संग्राम” कहते हैं। यह इतना आसान नहीं था; हजारों सैनिकों ने क्रूर ब्रिटिशर्स से लड़ने में अपनी जान न्योछावर कर दी। उनके नायकत्व और समर्पण की निशानियां ही रखी गई हैं गदर स्मारक में।

बेगमपुरी मस्जिद
श्रेणीः धार्मिक
दिल्ली पर कई राजवंशों ने राज किया। दिल्ली उनकी राजधानी बनी रही। इस वजह से यहां अलग-अलग वंशों की स्थापत्य कला के अंश देखे जा सकते हैं। कई संरचनाएं तो अभी भी हमारी पहुंच से बाहर है। हम उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते। मैंने भी शहर के एक विरान गांव में ऐसा ही कुछ देखा। दक्षिण दिल्ली के बेगमपुर गांव में बेगमपुरी मस्जिद है। यह एक प्राचीन मस्जिद है, जिसके तुगलक युग के होने के संकेत हैं। 14वीं सदी में बनी यह मस्जिद फिरोज शाह तुगलक के दरबार के प्रधान मंत्री खान-ए-जहां-जुनान शाह की बनाई सात प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक है।

द नेशनल जूलॉजिकल पार्क (राष्ट्रीय प्राणी उद्यान)
बचपन में देखे अति-मोहक “चिड़िया-घर” को कोई कैसे भूल सकता है? इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता कि बच्चों को जानवरों से विशेष लगाव होता है और चिड़ियाघर ही एक ऐसी जगह है, जिसे हर आयु वर्ग का व्यक्ति पसंद करता है। तकरीबन हर दिल्लीवासी अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार तो राष्ट्रीय प्राणी उद्यान या “चिड़ियाघर” जरूर गया होगा। चिड़ियाघर शहर के सबसे रुचिकर पिकनिक स्थलों में से एक है और यहां वर्ष में किसी भी वक्त देखा जा सकता है।

मिर्जा गालिब की कब्र
श्रेणीः धार्मिक
शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने हर काल में प्रसिद्ध मिर्जा गालिब की दिल को छू जाने वाली शेरो-शायरी और कविताएं नहीं सुनी होंगी। अक्सर उन्हें उर्दू साहित्य का शेक्सपीयर कहा जाता है। अपनी बेहतरीन कविताओं और छोटी कहानियों की वजह से मिर्जा गालिब ने पूरी दुनिया में शौहरत पाई है। वह मुगल शासन के दरबार में एक जाने-पहचाने शायर हुआ करते थे। उन्हें मुगल शासक बहादुर शाह जफर का काफी करीबी बताया जाता है। गालिब दिल्ली में रहे और यह शहर उनके दिल के काफी करीब था। वह इस शहर को दुनिया की आत्मा कहा करते थे।

कालका जी मंदिर
श्रेणीः धार्मिक
भारतीय विरासत की एक प्रमुख विशेषता है यहां के असंख्य मंदिर, जो देश के सभी हिंदुओं के लिए बहुत महत्व रखते हैं। हमारी राजधानी में भी कई प्राचीन हिंदू मंदिर हैं। जिनका निर्माण सैकड़ों साल पहले किया गया था। जब हम दिल्ली के प्राचीन मंदिरों की बात करते हैं तो पहला नाम मेरे दिमाग में आता है- कालका जी मंदिर।

नेशनल साइंस सेंटर
अपने अकादमिक जीवन में हममें से कितने लोगों को विज्ञान से प्रेम था? निश्चित ही ज्यादा को नहीं होगा। विज्ञान के बारे में हमेशा से यह धारणा रही है कि इस विषय को सिर्फ बुद्धिमान दिमाग ही पढ़ और समझ सकते हैं। लेकिन एक ऐसी जगह है, जो हर किसी को इस जटिल विषय का दीवाना बना देगी। यह है नई दिल्ली का नेशनल साइंस सेंटर। नेशनल साइंस सेंटर एक विज्ञान संग्रहालय है। इसका उद्देश्य लोगों में विज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ाना और विज्ञान के क्षेत्र में उनकी रुचि बढ़ाना है।

दिगंबर जैन मंदिर
श्रेणीः धार्मिक
लाल मंदिर के तौर पर प्रसिद्ध, दिगंबर जैन मंदिर दिल्ली का सबसे पुराना जैन मंदिर है। इस मंदिर का ताल्लुक मुगल काल से भी रहा है। तब से, अब तक इसमें कई बदलाव आए हैं। पार्श्वनाथ को समर्पित इस मंदिर में एक मानस्तंभ है। यह मंदिर लाल पत्थर से बना है और इसके अंदरूनी हिस्सों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। शुद्ध सोने की कलाकारी और पेंटिंग। मंदिर की पहली मंजिल पर एक धार्मिक हॉल है। मंदिर परिसर में एक बुक स्टोर भी है, जहां जैन धर्म से जुड़े साहित्य का विस्तृत कलेक्शन उपलब्ध है।

निजामुद्दीन दरगाह
श्रेणीः धार्मिक
दिल्ली में स्थित निजामुद्दीन दरगाह निजामुद्दीन औलिया की दरगाह है। उन्हें दुनिया के सबसे प्रसिद्ध सूफी संतों में गिना जाना है। यह दिल्ली के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में शुमार है। हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग इस स्थान पर जाते हैं।

भव्य हजरत निजामुद्दीन मकबरे में जालियां लगी है। यहां संगमरमर की आर्च और आंगन है। इन जालियों में भक्त लाल धागे बांधते हैं। इस मान्यता के साथ कि उनकी इच्छा पूरी होगी। मकबरे के अंदर मजार को सुगंधित गहरे हरे रंग के कपड़े से ढंका हुआ है। भक्त प्रार्थना करते हैं, मजार पर गुलाब की पंखुड़ियां फेंकते हैं और अगरबत्ती लगाते हैं।

पांच इंद्रियों का उद्यान
नई दिल्ली में 20 एकड़ में फैले पांच इंद्रियों के उद्यान का उद्घाटन फरवरी 2003 में एक आरामदेह जगह के तौर पर किया गया था। जहां जाकर सुस्ता सके और तरोताजा हो सके। इसे दिल्ली पर्यटन परिवहन निगम (डीटीटीडीसी) ने विकसित किया है। शहर की भीड़ और उसके शोर से भागना हो तो इस हरे आकर्षक बगीचे और सलीके से रखी गई भव्य चट्टानों पर आकर सुस्ता सकते हैं। यह उद्यान कई हिस्सों में बंटा हुआ है।

अक्षरधाम मंदिर
श्रेणीः धार्मिक
भारत मंदिरों की धरती है। इसे दिल्ली में समझा जा सकता है। अक्षरधाम दिल्ली के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। जिसने अपनी धर्मपारायणता और अध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्धि पाई है। दिल्ली के सबसे महत्वपूर्ण स्मारकों में से एक है अक्षरधाम मंदिर। वास्तुकला संबंधी वैभव के लिए इसे जाना जाता है। 234 पिलर, 9 गुंबद और 20 चतुर्भुजाकार शिखर –बेहतरीन कलाकारी और शिल्पकारी को प्रदर्शित करते हैं। भारत के स्थापत्य शास्त्र की तर्ज पर बना दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर डिजाइनर्स की रचनात्मकता और इंजीनियर्स की विद्वता का आदर्श उदाहरण है।

राजस्थान से लाए गए 6000 टन गुलाबी पत्थरों पर शिल्पकारी के जरिए यह मंदिर बना है। कारीगरी मंदिर के डिजाइन में है, जिसका इस्पात और लोहे जैसी धातुओं से कोई लेना-देना नहीं है। दीवारों पर बहुत महीन काम किया गया है, जो इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है। पगोड़ा, जो अलग-अलग ध्यान मुद्राओं में बैठे साधु-संतों को प्रदर्शित करता है।

राज घाट
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
दिल्ली में राज घाट एक पवित्र स्थान है, जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पंचतत्व में विलीन हुए थे। 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के अगले ही दिन उनका अंतिम संस्कार इसी जगह पर किया गया था। राज घाट यमुना नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है और इसी वजह से इस जगह को महात्मा गांधी के अंतिम संस्कार के लिए उपयुक्त माना गया था।

राज घाट एक सरल वर्गाकार प्लेटफार्म है। इस पर काले रंग का स्मारक पत्थर लगा है, जिस पर “हे राम” लिखा हुआ है। आखिरी सांस लेने से पहले गांधीजी के मुंह से यह दो शब्द ही निकले थे। ईटों के जिस प्लेटफार्म पर गांधीजी को मुखाग्नि दी गई थी, उसी के आकार का काले पत्थर से बने प्लेटफार्म पर समाधि है। महात्मा गांधी की समाधि के ईर्द-गिर्द कुछ बेहद खूबसूरत पौधे और पेड़ लगाए गए हैं। यह एक शांतिपूर्ण माहौल तैयार करते हैं। ऊंची दीवारों से इस जगह की सुरक्षा की जाती है। पास ही में बने दो संग्रहालयों को महात्मा गांधी को समर्पित किया गया है। राज घाट के उत्तर में स्थित शांति वन में जवाहर लाल नेहरू की समाधि बनाई जाएगी।

पुराना किला (ओल्ड फोर्ट)
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
पुराना किला एक आयताकार किला है, जो चौड़ाई में करीब दो किलोमीटर तक फैला है। मुख्य दरवाजे के भीतर एक छोटा सा पुरातत्व संग्रहालय है। गेट के ऊपर से नई दिल्ली का नजारा बेहतरीन है। हर शाम को यहां साउंड एंड लाइट शो होता है।

लोधी गार्डन
श्रेणीः बगीचा
किसी जमाने में इसे लेडी वेलिंगटन पार्क कहकर पुकारा जाता था। बेहतरीन लोधी गार्डन में मुबारक शाह, इब्राहीम लोधी और सिकंदर लोधी की मजारें बीच-बीच में दिखाई देंगी। यह बगीचा सुबह-सुबह कसरत करने वालों के लिए खासा पसंद है। उन्हें भी पसंद है जिन्हें अकेलापन अच्छा लगता है।

हुमायूं का मकबरा
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
मथुरा रोड के पास स्थित इस भव्य बगीचे का गुंबद मुगल स्थापत्य कला का एक बेहतरीन उदाहरण है। इसे उनकी बेवा हामिदा बानु बेगम ने 1565 में बनवाया था। चारदीवारी के भीतर वर्गाकार बगीचे हैं, जिसमें रास्ते और पानी की नालियां हैं।

सफदरजंग मकबरा
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
हुमायूं के मकबरे की परंपरा में यह दिल्ली का आखिरी उद्यान मकबरा है। 1754 में बना सफदरजंग का मकबरा आकार और स्तर में इतना भव्य नहीं है। इसमें जंगली महल, मोती महल, बादशाह पसंद और मदरसा जैसे छोटे मंडप हैं।

कनॉट प्लेस
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
दिल्ली के सबसे बड़े व्यवसायिक क्षेत्रों में से एक कनॉट प्लेस में कई तरह की दुकानें, व्यवसाय, रेस्त्रां और एम्पोरियम है। हर वर्ग और बजट के लिए यह दुकानें मुफीद हैं।

दिल्ली हाट
श्रेणीः मौज-मस्ती और मनोरंजन
यह पारंपरिक बाजार का माहौल देता है। लेकिन यहां सभी आधुनिक जरूरतें पूरी होती हैं। हस्तशिल्प, खान-पान और सांस्कृतिक गतिविधियों का मिश्रण यहां दिखता है। यह ऐसी जगह है जहां भारतीय संस्कृति और जातीय खान-पान साथ मिलता है, एक अनूठा बाजार जो भारतीय संस्कृति की समृद्धि दर्शाता है।

लक्ष्मीनारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर)
श्रेणीः धार्मिक
1938 में उद्योगपति जीडी बिड़ला ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। यह दिल्ली के बड़े मंदिरों में से एक है। यह कनॉट प्लेस के पास स्थित है। यह मंदिर देवी लक्ष्मी और उनके पति नारायण को समर्पित हैं। इस मंदिर का उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था। इस करार के साथ कि सभी जातियों के लोगों को यहां आने और आराधना करने की अनुमति होगी।

इस्कॉन मंदिर
श्रेणीः धार्मिक
हरे कृष्ण मंदिर से पहचान रखने वाले इस प्रसिद्ध मंदिर में श्री श्री राधा कृष्ण की मूर्तियों की आराधना की जाती है। दक्षिण दिल्ली मे स्थित यह मंदिर लाल पत्थर से बना है। पारंपरिक वैदिक और आधुनिक शैली का मिश्रण यहां के स्थापत्य में दिखता है।

तुगलकाबाद किला
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
1321 में तुगलक के गाजी मलिक ने अपने शासन के चार साल के भीतर दिल्ली के तुगलकाबाद में सबसे मजबूत किले का निर्माण कराया था। भले ही यह आज खंडहर हो गया हो, इसकी भव्यता विशाल है। इसकी दीवारों, गढ़ और बड़े-बड़े टावर के भीतर प्रभावशाली महल, खूबसूरत मस्जिद, और भव्य हॉल्स हैं।

चांदनी चौक
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
यह दिल्ली के सबसे पुराने और व्यस्ततम बाजारों में से एक है। एशिया का सबसे बड़ा थोक बाजार भी इसे ही कहा जाता है। शाहजहां ने यह बाजार बनवाया था। लाल किले से जामा मस्जिद तक पुराने शहर में यह बाजार फैला हुआ है।

नेशनल एग्रीकल्चरल साइंस म्युजियम
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
आईसीएआर के नेशनल एग्रीकल्चरल साइंस सेंटर कैम्पस में स्थित यह म्युजियम भारत में अपनी तरह का पहला है। 23 हजार वर्ग फीट फ्लोर एरिया की दो मंजिल की इस इमारत को खास तौर पर डिजाइन किया गया है। इसमें भारत में प्राचीन समय से कृषि क्षेत्र में हुए विकास को दिखाया गया है। हमारे देश की मौजूदा स्टेट-ऑफ-द-आर्ट टेक्नोलॉजी को भी इसमें दिखाया गया है। साथ ही भविष्य की संभावनाएं भी इसमें हैं।

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय
श्रेणीः इतिहास और संस्कृति
मौलाना आजाद रोड स्थित यह भारत के सबसे बड़े संग्रहालयों में से एक है। प्रागैतिहासिक काल से समकालीन कला तक की विविध वस्तुएं यहां उपलब्ध है। संस्कृति मंत्रालय इसकी देखरेख करता है। यह भारत सरकार का ही एक हिस्सा है।

दिल्ली के पास के पर्यटन आकर्षण

हरिद्वार
यह शहर उत्तराखंड में है। भारत के सबसे लोकप्रिय तीर्थस्थलों में से एक है हरिद्वार। गंगा नदी के किनारे होने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। इसे सात सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में गिना जाता है।

यह न केवल भारतीयों, बल्कि दुनियाभर के धार्मिक पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। सालभर भक्त हरिद्वार पहुंचते हैं। यहीं पर 12 साल में एक बार कुंभ मेले का आयोजन भी होता है, जिसमें करोड़ों लोग भाग लेते हैं।

मथुरा
मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है। यह उत्तरप्रदेश में यमुना नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। हिंदू तीर्थस्थल होने के अलावा यह मथुरा जिले का प्रशासनिक स्थल भी है। मथुरा 3,800 वर्ग किलोमीटर में फैला है। मथुरा को “ब्रजभूमि”, भगवान कृष्ण की धरती भी कहा जाता है। यह शहर दिल्ली से दक्षिण-पूर्व में 145 किलोमीटर और आगरा से उत्तर-पश्चिम में 58 किलोमीटर दूर स्थित है। मथुरा भी सालभर पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। शहर की हर गली और नुक्कड़ में भगवान श्रीकृष्ण ने बचपन बिताया है। बांसुरी का संगीत यहां गूंजा है। मथुरा से कई पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियां जुड़ी है, जो इस जगह को और खास बनाती हैं।

आगरा
उत्तरप्रदेश में यमुना नदी के किनारे स्थित है आगरा। इसे दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक- ताज महल का पर्याय है। यह जगह अपनी खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। आगरा राज्य की राजधानी लखनऊ से 363 किलोमीटर दूर स्थित है। यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, सभी पर्यटकों की यात्रा सूची में जरूर रहता है।

अंतिम संशोधन : जुलाई 24, 2018